प्रेम किसी एक दिन का मोहताज नहीं ... जब सब कुछ लगा हो दाव पर तो हर लम्हा उस प्रेम को सजीव करने का प्रयास करता है ... प्रकृति का हर रंग प्रेम के रंग में घुलने लगता है और एक नई कायनात अंगड़ाई लेती है ... वो तेरी और मेरी कायनात नहीं ... बस होती है तो प्रेम की ... और प्रेम का कोई एक दिन नहीं होता, कोई एक नाम नहीं होता ... जैसे तुम्हारा भी तो कोई नाम नहीं ... कभी जानाँ, कभी जंगली गुलाब तो कभी अनीता (मेरी वो, मेरी एजी) या कभी ...
वेलेंटाइन ...
सुनो मेरी वेलेंटाइन
घास पे लिखी है इक कहानी
ओस की बूँदों से मैंने
फिजाँ में घुलने से पहले
तुम चहल-कदमी कर आना
बेरंग पानी की बूँदों में
मुहब्बत के रँग भर आना
रोक लूँगा कुछ घड़ी
ये बादे-सबा
थाम लूँगा इक लम्हा
कुनमुनाती धूप
तुम चुपके से कहानी के
किरदार में समा जाना
सुनो मेरी वेलेंटाइन
ज़िंदगी बन के आना ...
वेलेंटाइन ...
सुनो मेरी वेलेंटाइन
घास पे लिखी है इक कहानी
ओस की बूँदों से मैंने
फिजाँ में घुलने से पहले
तुम चहल-कदमी कर आना
बेरंग पानी की बूँदों में
मुहब्बत के रँग भर आना
रोक लूँगा कुछ घड़ी
ये बादे-सबा
थाम लूँगा इक लम्हा
कुनमुनाती धूप
तुम चुपके से कहानी के
किरदार में समा जाना
सुनो मेरी वेलेंटाइन
ज़िंदगी बन के आना ...
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