स्वप्न मेरे

शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

कान्हा - एक ग़ज़ल

 मेरी एक ग़ज़ल वर्षा जी की आवाज़ में … वर्षा जी रायपुर की रहने वाली हैं और बहुत ही कमाल की आवाज़ है उनकी … 

बहुत आभार वर्षा जी का इस कान्हा को समर्पित ग़ज़ल को आवाज़ देने के लिए … 

पाँव कान्हा के छू कर विहल हो गए 

माता यमुना के तेवर प्रबल हो गए 

सौ की मर्यादा टूटी सुदर्शन चला 

पल वो शिशुपाल के काल-पल हो गए 

राधे-राधे जपा हो गई तब कृपा 

कुंज गलियन में जीवन सफल हो गए



सोमवार, 8 सितंबर 2025

पर न जाने घर पे कितनी बार ही खटके हुए …

ढूँढते हो क्यों पुराने आईने चटके हुए.
और कुछ लम्हे किसी दीवार पे अटके हुए.

हम है ठहरी झील की मानिन्द गुज़रे वक़्त की,
लोग आते है किसी की याद में भटके हुए.

डूबना तो था हमारे भाग्य में लिक्खा हुआ,
हम तो वो हैं तिनके से भी खींच के झटके हुए.

एक आवारा नदी से बह रहे थे दूर तक,
वक़्त के बदलाव में तालाब हम घट के हुए.

उगते सूरज को हमेशा साथ रखते हैं सभी,
हम हैं ढलती शाम जैसे धूप से पटके हुए.

नाप में छोटा बड़ा होना लिखा तक़दीर में,
हम क़मीज़ों से हैं अक्सर शैल्फ़ में लटके हुए.

क्या कहूँगा सोच कर खोला नहीं दर फिर कभी,
पर न जाने घर पे कितनी बार ही खटके हुए.

शनिवार, 16 अगस्त 2025

जन्माष्टमी …

 युगपुरुष योगिराज द्वारकाधीश श्री कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ … 🌹🌹

#janmashtami #जन्माष्टमी #krishna

शनिवार, 9 अगस्त 2025

जिसे समझ है उसे कैसे हिदायत भेजूँ ...

किसे ज़मीन ये दीवार किसे छत भेजूँ.
किसे मैं सिर्फ़ ये रेशम सी मुहब्बत भेजूँ.

यही है शर्त मुझे साथ ही रखना होगा,
तो कौन कौन है मैं जिसको ये दौलत भेजूँ.

चुकाना चाहते है क़र्ज़ के जैसे वे इसे,
किसी को कैसे में एहसान की लागत भेजूँ.

सहेजने के लिए कौन मुनासिब है बता,
में किसको रीति-रिवाजों की रिवायत भेजूँ.

ख़ुदा तो प्रेम को मैंने ही बनाया पहले,
में किसका दोष निकालूँ किसे लानत भेजूँ.

मेरा तो दिल भी मेरे पास नहीं रहता है,
में किसके पास कहो इसकी शिकायत भेजूँ.

वो ना-समझ भी जो लगते तो बता देता सब,
जिसे समझ है उसे कैसे हिदायत भेजूँ.

शनिवार, 2 अगस्त 2025

किसी के पास सदा वक़्त रुका होता है ...

मशाल बन के अंधेरे में खड़ा होता है. 
लिबास धूप का जिस-जिस को अता होता है.

हज़ार बार उठेगा जो लगी हो ठोकर,
उठा न फिर वो नज़र से जो गिरा होता है.

उसी जगह पे महकती है मुहब्बत पल-पल,
जहाँ-जहाँ भी तेरा ज़िक्र हुआ होता है.

न जाने कब ये बखेड़ा खड़ा करे कोई,
शरीफ़ दिल में जो शैतान छुपा होता है.

तुम्हारे साथ का मतलब ये समझ पाया हूँ,
हसीन मोड़ भी मंज़िल का पता होता है.

उसे यक़ीन है गंगा में धुलेंगे सारे,
गुनाह कर के वो हर बार गया होता है.

किसी को मिलने की ख़ुद से भी नहीं है फ़ुरसत,
किसी के पास सदा वक़्त रुका होता है.