स्वप्न मेरे: जवाब
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रविवार, 26 जून 2022

जवाब ...

खिड़की की चौखट पे बैठे
उदास परिंदों के प्रश्नों का जवाब किसी के पास नहीं होता 
सायं-सायं करती आवारा हवाओं के पास तो बिलकुल नहीं
 
कहाँ होती है ठीक उसके जैसी वो दूसरी चिड़िया 
घर बनाया था तिनका-तिनका जिसके साथ लचकती डाल पर  
के मिल के देख लिए थे कुछ सपने सावन के मौसम में 
आसान तो नहीं होता लम्हा-लम्हा तिनके कतरा-कतरा उम्र में उलझाना
 
हालाँकि सपनों की ताबीर उम्र में न हो तो नहीं होती मुकम्मल ज़िन्दगी
पर आसान भी नहीं होता रहना फिर उसी घोंसले में
जहाँ बेहिसाब यादों के तिनके वक़्त के साथ शरीर को लहुलुहान करने लगें 
 
कितनी अजीब होती हैं यादें किसी भी बात से ट्रिगर हो जाती हैं 
मेरे प्रश्नों का भी जवाब भी किसी के पास कहाँ होता है

सोमवार, 21 अगस्त 2017

जो अपने दिल में इन्कलाब लिए बैठा है ...

वो रौशनी का हर हिसाब लिए बैठा है
जो घर में अपने आफताब लिए बैठा है

इसी लिए के छोड़नी है उसे ये आदत 
वो पी नहीं रहा शराब लिए बैठा है

पता है सच उसे मगर वो सुनेगा सब की 
वो आईने से हर जवाब लिए बैठा है

वो अजनबी सा बन के यूँ ही निकल जाएगा
वो अपने चहरे पे नकाब लिए बैठा है

दिलों के खेल खेलने की है आदत उसकी 
वो आश्की की इक किताब लिए बैठा है

करीब उसके मौत भी न ठहर पाएगी 
जो अपने दिल में इन्कलाब लिए बैठा है