स्वप्न मेरे: जिसे समझ है उसे कैसे हिदायत भेजूँ ...

शनिवार, 9 अगस्त 2025

जिसे समझ है उसे कैसे हिदायत भेजूँ ...

कहीं ज़मीन ये दीवार कहीं छत भेजूँ.
किसी को सिर्फ़ ये रेशम सी मुहब्बत भेजूँ.

यही है शर्त मुझे साथ ही रखना होगा,
तो कौन कौन है मैं जिसको ये दौलत भेजूँ.

चुकाना चाहते है क़र्ज़ के जैसे वे इसे,
किसी को कैसे में एहसान की लागत भेजूँ.

सहेजने के लिए कौन मुनासिब है बता,
में किसको रीति-रिवाजों की रिवायत भेजूँ.

ख़ुदा तो प्रेम को मैंने ही बनाया पहले,
में किसका दोष निकालूँ किसे लानत भेजूँ.

मेरा तो दिल भी मेरे पास नहीं रहता है,
में किसके पास कहो इसकी शिकायत भेजूँ.

वो ना-समझ भी जो लगते तो बता देता सब,
जिसे समझ है उसे कैसे हिदायत भेजूँ.

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