स्वप्न मेरे: तुम्हारी कविता ...

शनिवार, 30 मार्च 2024

तुम्हारी कविता ...

तुमने कहा लिखो कविता मेरे पर
चली गयीं फिर दूर, चाहे कुछ पल के लिए

हालांकि तुम जानतीं थीं
मेरी हर कविता तुमसे शुरू हो कर
खत्म होती है तुम पर

शब्दों का सैलाब उमड़ता तो है, पर बिखर जाता है
तेरी हथेली की मज़बूत दीवार के आभाव में

मैं जानता हूँ जब तुम आओगी तो समेट लोगी
सँवार लोगी सभी शब्द करीने से
बुन लोगी कविता जो बिखरी पड़ी है
हमारे घर के जाने पहचाने जर्रों के बीच

फिर ये जंगली गुलाब भी तो महकने लगा है ...
#जंगली_गुलान

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 01 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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  3. बिखरी कविताओं को समेटना बड़ी जिम्मेदारी का काम है, इनको बड़े प्यार से चुनना होता है फूलों की तरह !

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  4. बहुत सुन्दर
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 अप्रैल 2024को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  5. हालांकि तुम जानतीं थीं
    मेरी हर कविता तुमसे शुरू हो कर
    खत्म होती है तुम पर
    अहा!!!!
    अद्भुत ...लाजवाब ।

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