सूखी टहनी से लटके बियाबान घौंसले की उदासी
महसूस करता हूँ बाजरे के ताज़ा दानों की महक
रह रह के झाँकती है इक रौशनी वहाँ से
सुबुकता होगा कोई जुगनू, शायद किसी की याद में
हवा की हथेली पे लिखा सन्देश
न लौट के आने वाले पंछी ने देखा तो होगा ...
महसूस करता हूँ बाजरे के ताज़ा दानों की महक
रह रह के झाँकती है इक रौशनी वहाँ से
सुबुकता होगा कोई जुगनू, शायद किसी की याद में
हवा की हथेली पे लिखा सन्देश
न लौट के आने वाले पंछी ने देखा तो होगा ...
वाह
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 18 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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