स्वप्न मेरे: इश्क़ में रोज़ वजूहात बदल जाते हैं ...

सोमवार, 24 जुलाई 2023

इश्क़ में रोज़ वजूहात बदल जाते हैं ...

बहते अश्कों की जो बरसात बदल जाते हैं.
दर्द में डूबी हुई रात बदल जाते हैं.

ग़र तरक़्क़ी के शजर उग सके पगडण्डी पर,
शह्र के साथ ये देहात बदल जाते हैं.

चाय उँगली से हिलाने का असर मत पूछो,
मीठी चीनी के भी अनुपात बदल जाते हैं.

साथ आ जाएँ तो क्या कुछ न बदल जाएगा,
जिनकी आमद से ये लम्हात बदल जाते हैं.

तितलियाँ रंग-बिरंगी हैं यहाँ मत भेजो,
बातों-बातों में ख़यालात बदल जाते हैं.

आपका घूरना, फिर देखना, फिर शरमाना,
देखते देखते ख़तरात बदल जाते हैं.

इश्क़ तसलीम तो कर लेंगे नज़र से पर फिर,
होंठ से कहते हुए बात बदल जाते हैं.

आज इस बात पे, कल और किसी किस्से पर,
इश्क़ में रोज़ वजूहात बदल जाते हैं.
(तरही ग़ज़ल)

11 टिप्‍पणियां:

  1. साथ आ जाएँ तो क्या कुछ न बदल जाएगा,
    जिनकी आमद से ये लम्हात बदल जाते हैं.
    वाह ! उम्दा शायरी, बेहतरीन ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 25 जुलाई 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !  

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! वाह!
    हमेशा की तरह एक सुंदर अच्छी गज़ल पढ़ने को मिली।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. इश्क़ तसलीम तो कर लेंगे नज़र से पर फिर,
    होंठ से कहते हुए बात बदल जाते हैं.
    बहुत खूबसूरत हैं सारे ही शेर....

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह , भावों के ही साथ शब्दों के अर्थ भी बदल जाते हैं .

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है