स्वप्न मेरे: किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ ...

सोमवार, 8 अप्रैल 2019

किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ ...


हज़ार काम उफ़ ये सोच के थक लेता हूँ
में बिन पिए जनाब रोज़ बहक लेता हूँ  

ये फूल पत्ते बादलों में तेरी सूरत है
वहम न हो मेरा में पलकें झपक लेता हूँ

कभी न पास टिक सकेगी उदासी मेरे
तुझे नज़र से छू के रोज़ महक लेता हूँ

हरी हरी वसुंधरा पे सृजन हो पाए 
में बन के बूँद बादलों से टपक लेता हूँ

तमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
में चाँद बन के टहनियों में अटक लेता हूँ

मुझे सिफ़त अता करी है मेरे मौला ने
सुबह से शाम पंछियों सा चहक लेता हूँ

यही असूल मुद्दतों से मेरा है काइम
ख़ुशी के साथ साथ ग़म भी लपक लेता हूँ

तमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
में ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ

सितम हज़ार सह लिए हैं सभी हँस हँस के
किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ

51 टिप्‍पणियां:

  1. ये फूल पत्ते बादलों में तेरी सूरत है
    वहम न हो मेरा में पलकें झपक लेता हूँ


    उफ्फ़ क्या बात हैं बेहद romantic

    जवाब देंहटाएं
  2. वाहह्हह... वाहह्हह... बहुत उम्दा... लाज़वाब गज़ल..।शानदार हर शेर अलहदा ...बहुत जानदार 👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (09-04-2019) को "मतदान करो" (चर्चा अंक-3300) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  4. तमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
    में चाँद बन के टहनियों में अटक लेता हूँ
    वाह....., आपकी सृजनात्मकता और कल्पना शक्ति के साथ शब्द-भंडार भी भी अतुलनीय है ।

    जवाब देंहटाएं
  5. तमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
    में ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ

    सितम हज़ार सह लिए हैं सभी हँस हँस के
    किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ
    वा...व्व...बहुत ही उम्दा प्रस्तूति, दिगम्बर जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. फूल पत्ते बादलों में तेरी सूरत है
    वहम न हो मेरा में पलकें झपक लेता हूँ

    वाह वाह वाह वाह.. क्या बात है क्या बात है!

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह। क्या बात है। बहक लेना बिना पिए ।



    जवाब देंहटाएं
  8. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/04/2019 की बुलेटिन, " ८ अप्रैल - बहरों को सुनाने के लिये किए गए धमाके का दिन - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. तमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
    मैं चाँद बन के टहनियों में अटक लेता हूँ !
    हमेशा की तरह बेहतरीन है हर पंक्ति,संग्रहणीय रचना।

    मुझे सिफ़त अता करी है मेरे मौला ने
    सुबह से शाम पंछियों सा चहक लेता हूँ

    यही असूल मुद्दतों से मेरा है काइम
    ख़ुशी के साथ साथ ग़म भी लपक लेता हूँ।
    बहुत खूब ! हर शेर वाह कहने को मजबूर करता है।

    जवाब देंहटाएं
  10. तुझे नज़र से छू के रोज़ महक लेता हूँ

    क्या बात है ... सुंदर अंदाज़
    हर शेर लाजवाब

    जवाब देंहटाएं
  11. तमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
    में ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ
    हर एक शेर लाजबाब..... ,सादर नमस्कार आप को

    जवाब देंहटाएं
  12. तमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
    में ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब....एक से बढ़कर एक शेर...।

    जवाब देंहटाएं
  13. किसी के दर्द में तो यूँ ही छलक लेता हूँ ...
    बेहद प्रभावशाली रचना !

    जवाब देंहटाएं
  14. वाह.....
    आपका क्या कहने ....

    हज़ार काम उफ़ ये सोच के थक लेता हूँ
    में बिन पिए जनाब रोज़ बहक लेता हूँ

    जवाब देंहटाएं
  15. तमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
    में ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ...

    जिंदगी की वास्तविकता है।
    वेहतरीन गज़ल।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर

    1. जी नमस्ते,
      आपकी लिखी रचना 10 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
      पांच लिंकों का आनंद पर...
      आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

      हटाएं
  16. कभी न पास टिक सकेगी उदासी मेरे
    तुझे नज़र से छू के रोज़ महक लेता हूँ
    वाह जबरदस्त और रोमांटिक अलफ़ाज़ ...लेकिन इस बार पहली बार टाइपिंग मिस्टेक हुई हैं आपसे ...मैं को में लिखा है कई बार ..मजा आ जाता है आपकी गजलें पढ़के ...इंतज़ार रहता है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत आभार आपका आदरणीय ... अच्छा लगाता है आपका निरंतर प्रेम ...

      हटाएं
  17. वाह बहुत ही उम्दा बेहतरीन गजल हर शेर लाजवाब ।
    शायरी में शुद्ध हिंदी का एक शेर बेमिसाल।
    बेमिसाल ।

    जवाब देंहटाएं
  18. जीवन जब एक सौगात नजर आने लगे और जर्रे जर्रे में उसकी खबर आने लगे, तभी शब्दों में इतनी गहराई भर जाती है कि प्रशांत महासागर भी उसके सामने कम हो जाता है, बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  19. आपका बहुत बहुत आभार इस रचनात्मक प्रतिक्रिया के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीय

    जवाब देंहटाएं
  21. तमाम अड़चनों से मिट न सकेगी हस्ती
    में ठोकरों से ज़िन्दगी का सबक लेता हूँ....बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  22. आपकी ग़ज़लगोई नए अंदाज़ पा रही है.

    तमाम रात तुझे देखना है खिड़की से
    में चाँद बन के टहनियों में अटक लेता हूँ

    क्या बात है.

    जवाब देंहटाएं
  23. यही असूल मुद्दतों से मेरा है काइम
    ख़ुशी के साथ साथ ग़म भी लपक लेता हूँ
    वाह!
    क्या खुब कहा है आपने!!

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है