कभी ख़त्म नहीं होता सिलसिला ... समझ से परे है कि जी रहा हूँ यादों में या यादें हैं तो जी रहा हूँ ... कोई एहसास, कोई नशा ... कुछ तो है जो रहता है मुसलसल तेरी यादों के साथ ... जब कभी जिंदगी की पगडण्डी पे यादों के कुछ लम्हे अंकुरित होने लगते हैं, उसी पल महकने लगती है वही पुरानी खुशबू मेरे जेहन में ...
टूटते तारों को देखना
जैसे प्रेमिका की मांग में पड़े सिन्दूर का याद आना
जंगली गुलाब की खुशबू लिए
आँखों से बहते खून के कतरे
बेवजह तो नहीं
---
खामोशी तोड़ने की जिद्द
कानों का अपने आप बजना
मैं जानता हूँ वो हंसी की खनक नहीं
वो तेरी सिसकी भी नहीं
एक सरगोशी है तेरे एहसास की
गुज़र जाती है जो जंगली गुलाब की खुशबू लिए
---
सन्नाटा इतना की सांस लेना भी गुनाह
ऐसे में बेसाख्ता पत्तों की सरसराहट
यकीनन बहुत करीब से गुज़रा है कोई लम्हा
जंगली गुलाब की खुशबू लिए
टूटते तारों को देखना
जैसे प्रेमिका की मांग में पड़े सिन्दूर का याद आना
जंगली गुलाब की खुशबू लिए
आँखों से बहते खून के कतरे
बेवजह तो नहीं
---
खामोशी तोड़ने की जिद्द
कानों का अपने आप बजना
मैं जानता हूँ वो हंसी की खनक नहीं
वो तेरी सिसकी भी नहीं
एक सरगोशी है तेरे एहसास की
गुज़र जाती है जो जंगली गुलाब की खुशबू लिए
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सन्नाटा इतना की सांस लेना भी गुनाह
ऐसे में बेसाख्ता पत्तों की सरसराहट
यकीनन बहुत करीब से गुज़रा है कोई लम्हा
जंगली गुलाब की खुशबू लिए
BA1311F6FD
जवाब देंहटाएंkiralık hacker
hacker arıyorum
kiralık hacker
hacker arıyorum
belek