लटक रहा हूँ में उलझे से सवालों जैसे
तू खिडकियों से कभी झाँक उजालों जैसे
है कायनात का जादू के असर यादों का
सुबह से शाम भटकता हूँ ख्यालों जैसे
समय जवाब है हर बात को सुलझा देगा
चिपक के बैठ न दिवार से जालों जैसे
किसी भी शख्स को पहचान नहीं हीरे की
मैं छप रहा हूँ लगातार रिसालों जैसे
में चाहता हूँ की खेलूँ कभी बन कर तितली
किसी हसीन के रुखसार पे बालों जैसे
बजा के चुटकी में बाजी को पलट सकता हूँ
मुझे न खेल तू शतरंज की चालों जैसे
करीब आ के मेरे हाथ से छूटी मंजिल
किसी गरीब की किस्मत से निवालों जैसे
तू खिडकियों से कभी झाँक उजालों जैसे
है कायनात का जादू के असर यादों का
सुबह से शाम भटकता हूँ ख्यालों जैसे
समय जवाब है हर बात को सुलझा देगा
चिपक के बैठ न दिवार से जालों जैसे
किसी भी शख्स को पहचान नहीं हीरे की
मैं छप रहा हूँ लगातार रिसालों जैसे
में चाहता हूँ की खेलूँ कभी बन कर तितली
किसी हसीन के रुखसार पे बालों जैसे
बजा के चुटकी में बाजी को पलट सकता हूँ
मुझे न खेल तू शतरंज की चालों जैसे
करीब आ के मेरे हाथ से छूटी मंजिल
किसी गरीब की किस्मत से निवालों जैसे
7B690C4887
जवाब देंहटाएंGörüntülü Sex
Görüntülü Sex
Canlı Cam Show