वापस लौटने लगी पहाड़ों की धूप
गडरिए भी लौटने लगे अपनी-अपनी भेड़ों के साथ
मौसम बदलने लगा रुख हवा की चाल पर
तुम तो साक्षी थीं उस पल की
कैद किया था हम दोनों ने कायनात का वो लम्हा
झपकती पलकों के दर्मियाँ
उस दिन इन सब के बीच
एक दस्तक और भी हुई थी मेरे दिल के आस-पास
वो शायद पहली हलचल थी प्यार की
क्या तुमने भी महसूस की ऐसी ही कोई हलचल
एक जंगली गुलाब भी तो खिला था उसी पल ...
#जंगली_गुलाब
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंपहाड़ों पर ऐसे ही बदलता रहता है मौसम, पर मन का मौसम एक बार बदला तो ताउम्र साथ रहता है
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंकुछ एकदम अलग , एकदम ताज़ा !
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