स्वप्न मेरे: दस्तक ...

शनिवार, 20 जनवरी 2024

दस्तक ...

बादलों का आवारा झुण्ड चला गया कब का
वापस लौटने लगी पहाड़ों की धूप

गडरिए भी लौटने लगे अपनी-अपनी भेड़ों के साथ

मौसम बदलने लगा रुख हवा की चाल पर

तुम तो साक्षी थीं उस पल की
कैद किया था हम दोनों ने कायनात का वो लम्हा
झपकती पलकों के दर्मियाँ

उस दिन इन सब के बीच
एक दस्तक और भी हुई थी मेरे दिल के आस-पास
वो शायद पहली हलचल थी प्यार की

क्या तुमने भी महसूस की ऐसी ही कोई हलचल
एक जंगली गुलाब भी तो खिला था उसी पल ...
#जंगली_गुलाब

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