स्वप्न मेरे: तमाम उम्र ही जैसे गुज़ार बैठा हो ...

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

तमाम उम्र ही जैसे गुज़ार बैठा हो ...

कहीं से चल के कहीं बार-बार बैठा हो.
मेरी तलाश में हिम्मत न हार बैठा हो.

नमक छिड़कते हैं कुछ लोग घाव पर अक्सर,
कहीं वो खुद से न पट्टी उतार बैठा हो.

यकीं नहीं तो यकीनन भरम रहेगा उसे,
भले ही पास में परवर-दिगार बैठा हो.

फ़क़ीर दिल से मुकद्दर की भेंट देता है,
गरीब हो के कहीं माल-दार बैठा हो.

पराई आग में तपती है ज़िन्दगी ऐसे,
बदन में जैसे किसी का बुखार बैठा हो.

लिबास ज़िस्म पे रहता है काँच का हर-दम,
कहीं किसी को न पत्थर से मार बैठा हो.

उलझ के एक ही लम्हे में रह गया इतना,
तमाम उम्र ही जैसे गुज़ार बैठा हो.

7 टिप्‍पणियां:

  1. यकीं नहीं तो यकीनन भरम रहेगा उसे,
    भले ही पास में परवर-दिगार बैठा हो.

    बहुत सुंदर अश्यार, बेहतरीन ग़ज़ल!

    जवाब देंहटाएं
  2. हमेशा की तरह बहुत ही सुखद एहसास समेटे ग़ज़ल...👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  3. शानदार गज़ल सर।
    सारे शेर एक से बढ़कर एक हैं।
    सादर
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ जुलाई २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. यकीं नहीं है तो यकीनन भरम रहेगा ...वाह
    फकीर होके कहीं मालदार ...क्या कहने . हर शेर कुछ खास कहता है .

    जवाब देंहटाएं
  5. satta matka,kalyan matka,satta batta,Kanpur Matka
    ,kanpur satta matka,super bazar matka,
    kanpur satta,madhur matka,satta bazar,matka king,dubai matka,kanpur matka result,dubai satta,
    madhur bazar,gujarat matka,manipur matka,kanpur matka tips,kalyan satta matka,dp boss matka,
    dp boss,satta matka result,prabhat satta matka,mahakal matka

    जवाब देंहटाएं

आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है