पंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं ...
सर्द हवा में गर्म चाय का थर्मस भर चलते हैं.
पंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं.
खिड़की खुली देख कर उस दिन शाम लपक कर आई,
हाथ पकड़ कर बोली बेटा चल छत पर चलते हैं.
पर्स हाथ में ले कर जब वो पैदल घर से निकली,
इश्क़ ने फिर चिल्ला के बोला चल दफ्तर चलते हैं.
सब के साथ तेरी आँखों में दिख जाती है हलचल,
जब जब बूट बजाते हम जैसे अफसर चलते हैं.
गश खा कर कुछ लोग गिरे थे, लोगों ने बोला था,
पास मेरे जब आई बोली चल पिक्चर चलते हैं.
जब जब उम्र ठहरने लगती दफ्तर की टेबल पे,
धूल फांकती फ़ाइल बोली चल अब घर चलते हैं.
याद किसी की नींद कहाँ आने देगी आँखों में,
नींद की गोली खा ले चल उठ अब बस कर चलते हैं.
वाह!गज़ब का सृजन सर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर।
पर्स हाथ में ले कर जब वो पैदल घर से निकली,
इश्क़ ने फिर चिल्ला के बोला चल दफ्तर चलते हैं..वाह!
वाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआती क्या खंडाला से आगे की रचना...ऐज़ युज़ुअल...बेहतरीन...👌👌👌
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-06-2021को चर्चा – 4,105 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
बढ़िया गजल।
जवाब देंहटाएंसर्द हवा में गर्म चाय का थर्मस भर चलते हैं.
जवाब देंहटाएंपंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं.
बहुत सुंदर पंक्तियां
यह ग़ज़ल मनमौजी अंदाज़ में लिखी है आपने दिगम्बर जी। आनंद आ गया पढ़कर।
जवाब देंहटाएंवाह !! बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़ल । बेफिक्री के मूड को दर्शाती अति सुन्दर
भावाभिव्यक्ति ।
बहुत खूबसूरत गजल।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंयाद किसी की नींद कहाँ आने देगी आँखों में,
जवाब देंहटाएंनींद की गोली खा ले चल उठ अब बस कर चलते हैं.
वाह !! बहुत खूब...एक से बढ़कर एक लाजबाब शेर...सादर नमन आपको
खूबसूरत अंदाजेबयां,बेहतरीन गज़ल ।
जवाब देंहटाएंवाह!एक अलग अंदाज की हासृय रस की ग़ज़ल मस्ती से भरी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
वाह! बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंवाह, बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंवाह! लाजवाब ग़ज़ल! दाद स्वीकारें.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंसर्द हवा में गर्म चाय का थर्मस भर चलते हैं.
जवाब देंहटाएंपंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं,,,,,,,,, बहुत सुंदर ग़ज़ल बारिश और गर्म चाय,।
वाह ! नए अंदाज की गजल
जवाब देंहटाएंआज तो गज़ब के मूड में लिखी है ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ।
बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है नासवा जी, गश खा कर कुछ लोग गिरे थे, लोगों ने बोला था,
जवाब देंहटाएंपास मेरे जब आई बोली चल पिक्चर चलते हैं.....मनमौजी गज़ल
पर्स हाथ में ले कर जब वो पैदल घर से निकली,
जवाब देंहटाएंइश्क़ ने फिर चिल्ला के बोला चल दफ्तर चलते हैं.
वाह!!!
क्या बात...
अलग ही अंदाज... लाजवाब।
याद किसी की नींद कहाँ आने देगी आँखों में,
जवाब देंहटाएंनींद की गोली खा ले चल उठ अब बस कर चलते हैं.
लगभग हर व्यक्ति की जुबां को एक अभिव्यक्ति दे देते हैं आपके अलफ़ाज़ !! लिखते रहिये
सर्द हवा में गर्म चाय का थर्मस भर चलते हैं.
जवाब देंहटाएंपंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं.
वाह सर ! दिल तो पहले ही शेर पर मर मिटा!
आगे आगे तो गज़ब की बातें मिलीं, जैसे -
सब के साथ तेरी आँखों में दिख जाती है हलचल,
जब जब बूट बजाते हम जैसे अफसर चलते हैं.
और.....
जब जब उम्र ठहरने लगती दफ्तर की टेबल पे,
धूल फांकती फ़ाइल बोली चल अब घर चलते हैं.
बहुत पसंद आई ये ग़ज़ल भी !
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जवाब देंहटाएंTakipçi Satın Al
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