हुआ है हादसा इतना बड़ा वीरान तो होगा
अभी निकला है दहशत से शहर सुनसान तो
होगा
घुसे आये मेरे घर में चलो तस्लीम है
लेकिन
तलाशी की इजाज़त का कोई फरमान तो होगा
बिमारी भी है भूखा पेट भी हसरत भी जीने
की
जरूरत के लिए घर में मेरे सामान तो
होगा
अकेले नाव कागज़ की लिए सागर में उतरा
हूँ
हमारे होंसले पर आज वो हैरान तो होगा
कभी ये सोच कर भी काम कर लेती है दुनिया
तो
न हो कुछ फायदा लेकिन मेरा नुक्सान तो
होगा
दबा लेना अभी तुम राज़ अपने दिल के अन्दर
ही
दीवारों की दरारों में किसी का कान तो
होगा
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