स्वप्न मेरे: नाता ...

मंगलवार, 18 जून 2013

नाता ...

अब्बू के तो पाँव है छूता, माँ से लाड लड़ाता है 
अपने-पन का ये कैसा फिर माँ बेटे का नाता है 

डरता है या कर ना पाता, अब्बू से मन की बातें 
आगे पीछे माँ से पर वो सारे किस्से गाता है 

हाथ नहीं हो अब्बू का जैसे इंसान बनाने में 
सबके आगे बस वो अपनी माँ का राग सुनाता है 

मुश्किल हो या दुख जितना अब्बू से बाँट नहीं पाता 
बिन बोले माँ के सीने लग के हल्का हो जाता है 

उम्र के साथ वो अब्बू जितना हो जाता है पर फिर भी   
माँ के आगे अपने को फिर भी बच्चा ही पाता है   

ऐसी तो है बात नहीं की अब्बू से है प्यार नहीं    
माँ के आगे पर बेटे को कोई नहीं फिर भाता है 

76 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही कहा आपने, पिता से प्यार तो होता है पर स्वाभाविक रूप से मां से जो प्यार,लाड दुलार मिलता है वही मनुष्य को मां के अति निकट कर देता है.

    भावनात्मक लगा ही है जो मां से इंसान अपने आपको कभी अलग नही कर पाता है.

    रामराम.

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  2. माँ के स्नेह में स्नेहत्व भरपूर होता है।

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  3. माँ रोती है तो दूधपीबा बच्चे का रोना भी शुरू हो जाता है. इसी नाते की वजह से शायद.. सुन्दर पंक्तियाँ.

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  4. बहुत सुन्दर, इसके लिए माँ की तरफ से बच्चे को मिलने वाला 'सॉफ्ट कॉर्नर' जिम्मेदार है !

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  5. माँ का स्नेह बेटे के प्रति पिता से ज्यादा मिलने के कारण शायद माँ को अपने से ज्यादा नजदीक पाता है,,,,,

    बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,सुंदर रचना,,,


    RECENT POST : तड़प,

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  6. हाँ जी बेटों का तो माँ की ओर झुकाव स्वाभाविक है..पर बेटियाँ तो पिटा की लाडली होती हैं....

    ग़ज़ल बहुत सुन्दर..मगर बेटी होने के नाते मैं इसका उलट पढूंगी :-)
    सादर
    अनु

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  7. माँ का स्नेह बेटे के प्रति
    .........बहुत सुंदर नाता

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  8. माँ बेटे का नाता ही ऐसा है.

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  9. ऐसी तो है बात नहीं की अब्बू से है प्यार नहीं
    माँ के आगे पर बेटे को कोई नहीं फिर भाता है

    ...बिल्कुल सच कहा है...पिता का सम्मान करता है पर प्रेम और लगाव माँ से ही होता है...

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  10. आज की पीढ़ी अब्बू से भी सारी बात कह लेती है ... हमारे समय में ज़रूर पिता से डर लगता था ॥न जाने क्यों ? जबकि पिता ने शायद ही कभी डांटा हो :):)


    खूबसूरत गज़ल

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  11. आज की पीढ़ी अब्बू से भी सारी बात कह लेती है ... हमारे समय में ज़रूर पिता से डर लगता था ॥न जाने क्यों ? जबकि पिता ने शायद ही कभी डांटा हो :):)


    खूबसूरत गज़ल

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  12. .बेहतरीन अभिव्यक्ति आभार . जनता की पहली पसंद -कौंग्रेस आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  13. बच्चे का माँ से जो रिश्ता होता है वह उसके गर्भ रहने से लेकर अपने आप में समर्थ होने तक एक अंश जैसे ही होता है और यही कारण है कि वह माँ के करीब ज्यादा होता है . पिता से उतना करीब नहीं हो पाता है . प्यार दोनों के लिए बराबर होता है लेकिन बाँट वह माँ के साथ ही पाता है .

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  14. रस परिवर्तन की दरकार है !

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  15. माँ से कुछ ज्यादाही भावनात्मक रिश्ता होता है बेटे का यह एक वैज्ञानिक तथ्य है, इस नाते बहुत सुन्दर सार्थक रचना लिखी है !

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  16. दोनो ही रिश्तों के भावों को एक साथ समेटना ………बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  17. मुश्किल हो या दुख जितना अब्बू से बाँट नहीं पाता
    बिन बोले माँ के सीने लग के हल्का हो जाता है

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  18. मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
    आप की ये रचना 21-06-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
    पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
    आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।

    मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।


    जय हिंद जय भारत...

    कुलदीप ठाकुर...

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  19. उम्दा रचना,बिल्कुल सच कहा आपने,लेकिन यह भी उतना ही सच है कि बेटे माँ के जिगर के टुकड़े होते है तो बेटियां बाप की लाडली,बेटा माँ की परछाई होता है तो बेटियाँ पिता के दिलों पे राज करती है....... सच है,नाता ही तो है

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  20. अब तो बच्चे पिता-माता दोनों से ही समान रूप से जुडे रहते हैं लेकिन पहले तो वाकई मां से ही कह पाते थे दिल की बात.

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  21. अब तो बच्चे पिता-माता दोनों से ही समान रूप से जुडे रहते हैं लेकिन पहले तो वाकई मां से ही कह पाते थे दिल की बात.

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  22. बेटों का माँ से चाहें वह कुछ भी बन जाए एक अटूट बंधन हमेशा रहता है.

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  23. बड़ा अच्छा लगता है आपकी रचना को पढना ....बेटे भी माँ की कमी को उसी प्रकार महसूस करते है ...जैसे की बेटियाँ .....वस्तुतः अब बच्चे दोनों के करीब हो रहे हैं .....

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  24. शायद मां का वो ममता मयी प्यार ही है जो हमें अपनी ओर खींचता है...

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  25. वाह आदरणीय वाह बेहद सुन्दर ग़ज़ल सभी के सभी अशआर ह्रदय को स्पर्श कर गए मेरी ओर से हार्दिक बधाई के साथ साथ ढेरों दाद भी कुबूल फरमाएं.

    आपकी यह रचना कल बुधवार (19-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  26. बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (19 -06-2013) के तड़प जिंदगी की .....! चर्चा मंच अंक-1280 पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

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  27. माँ के दुलार का ही नतीजा है जो हमशा झुकाव उन्ही की तरफ रहता है आखिर हमारी जननी जो ठहरी..

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  28. अद्भुत नाता होता है माँ के साथ .... बहुत खूबसूरती से बयां किया आपने

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  29. बेटों का तो माँ की ओर झुकाव स्वाभाविक है,मां का वो ममता मयी प्यार ही है जो हमें अपनी ओर खींचता,बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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  30. माँ का रिश्ता सबसे खास होता है।

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  31. उम्र के साथ वो अब्बू जितना हो जाता है पर फिर भी
    माँ के आगे अपने को फिर भी बच्चा ही पाता है
    Wah! Waise to harek panki sundar hai!

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  32. वाह.......बहुत खुबसूरत........वक़्त मिले तो जज़्बात की नयी पोस्ट देखें।

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  33. saahitya mein leek se alag hat kar vaalee baaton ka bhi swagat hona chahiye......... aap ke is sahas ko naman & is rachana ke liye bahut bahut badhaiyan bhai

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  34. अहसास जो कभी खत्म नहीं होंगे

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  35. प्रेम दोनों से है पर ,माँ ..फिर भी माँ है

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  36. "माँ के आगे पर बेटे को कोई नहीं फिर भाता है "

    वैसे ही जैसे बेटी को पिता के आगे कोई नहीं भाता :)
    सुन्दर रचना

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  37. सही कहा....एक बेटा मां के ज्‍यादा करीब होता है...पि‍ता के बनि‍स्‍पत

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  38. भावनात्मक रंग लिए सच्ची अभिव्यक्ति

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  39. बहुत भावपूर्ण, सुंदर रचना ..

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  40. क्यूंकि माँ जैसा दूजा कोई नहीं

    हमेशा की तरह खूब

    पोस्ट !
    वो नौ दिन और अखियाँ चार
    हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!

    जवाब देंहटाएं
  41. क्यूंकि माँ जैसा दूजा कोई नहीं

    हमेशा की तरह खूब

    पोस्ट !
    वो नौ दिन और अखियाँ चार
    हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!

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  42. सच है एक पुत्र अपनी माँ से ज्यादा किसी के नज़दीक नहीं होता, अपने पिता से भी नहीं. जबकि पिता को भी बहुत प्यार करता है. माँ को समर्पित एक और रचना के लिए बधाई.

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  43. माँ के आगे पर बेटे को कोई नहीं फिर भाता है..
    I loved that concluding verse..

    true.. there's no one like Maa :)

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  44. उम्र के साथ वो अब्बू जितना हो जाता है पर फिर भी
    माँ के आगे अपने को फिर भी बच्चा ही पाता है
    बहुत खूबसूरत रचना

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  45. माँ के आगे पर उसको कोई और नही फिर भाता है ।

    प्यारा सच ।

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  46. पता नहीं क्यों पर माँ के पास शुकून मिलता है
    सुन्दर भावपूर्ण
    सादर !

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  47. माँ बेटे का है इस जग में है , कितना सुन्दर नाता ,

    पूत कपूत सुने हैं ,लेकिन माता हुईं सुमाता .

    शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

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  48. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    हैल्थ इज वैल्थ
    पर पधारेँ।

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  49. बड़ी प्यारी मसूस अभिव्यक्ति , आभार आपका !

    अक्सर पेन पेन्सिल लेकर
    माँ कैसी थी ?चित्र बनाते,
    पापा इतना याद न आते
    पर जब आते, खूब रुलाते !
    उनके गले में, बाहें डाले, खूब झूलते,मेरे गीत !
    पिता की उंगली पकडे पकडे,चलाना सीखे मेरे गीत !४

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  50. माँ होती ही ऐसी है ....बहुत सुन्दर ..

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  51. MAA KE MAHATTV KEE KYA BAAT HAI !
    AAPKEE LEKHNI MEIN NIKHAAR HAI .

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  52. क्या बात है...भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...

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  53. kitna yaad krete ho maa ko?? aakhir kb tk?? kvita nhi hai....sisliyan hai uss bchche ki jo maa ko khojta rhta hai hr jagah......hr cheej ....hr shbd me. 'wo' dekhti hogi oopr se hr pl aapko.

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  54. माँ के आँचल की छाँव आत्मा को परिशान्त करती रहेगी आइन्दा भी उसकी याद के झरोखे से ..

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  55. हाथ नहीं हो अब्बू का जैसे इंसान बनाने में
    सबके आगे बस वो अपनी माँ का राग सुनाता है

    :)

    भावनात्मक नाते को हर पंक्ति के साथ सुन्दरता से उकेरा है!

    Beautiful!!!

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  56. माँ के आगे अपने को फिर भी बच्चा ही पाता है

    aawwsm

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