स्वप्न मेरे: नीली आँखें ...

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

नीली आँखें ...

भागना चाहता था मैं
समय के पंखों पे सवार हो कर
इतना दूर
की मेरा साया भी मुझे न ढूंढ सके

आँखे खुली रखना चाहता था
तू सपने में भी करीब न आ सके
डूबना चाहता था समुन्दर में
की होश भी बाकी न रह सके

मैंने कोशिश की

खुला आसमान देख कर भागा
नीले समुन्दर में छलांग भी लगाई
पर हर बार की तरह
तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
खुला आसमान साफ नज़र आता था

79 टिप्‍पणियां:

  1. ओह...क्या लिखा है आपने...नासवा जी
    पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था
    .....कभी-कभी..ऐसा भी महसूस होता है

    बेहतरीन रचना!

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  2. आह ………बहुत ही कोमल भावों को संजोया है……………आँखो की गहराई और पारदर्शी समन्दर ………गज़ब्।

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  3. एकदम मोहित कर दिया आपने अच्छी कविता दिल से निकली हुई आवाज का ही नतीजा है

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  4. समंदर सी आँखें और उसमें दीखता आसमान .. सुन्दर प्रस्तुति

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  5. मुझे तो मंज़िल मिल गई लगती है। अब शांत होकर अपने होने को महसूस करें।

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  6. हम किसी से नहीं स्वयं से भागते है और फिर वहीँ आकर खड़े हो जाते है .... सुन्दर

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  7. कविता पढ़ कर एक पुराना गाना याद आगया
    जाइये आप कहा जायेगे ये नज़र लौट के फिर आयेगी

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  8. खुला आसमान देख कर भागा
    नीले समुन्दर में छलांग भी लगाई
    पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था... ye hai bas ek kamaal aankhon ka

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  9. तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था
    Kya nafasat hai!

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  10. तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था
    सुन्दर ,लाजवाब अभिव्यक्ति ..

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  11. नीले रंग की सुषमा से कभी विमुक्त न हो कवि हृदय...!
    बेहद सुन्दर रचना!

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  12. खुला आसमान देख कर भागा
    नीले समुन्दर में छलांग भी लगाई
    पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया ......

    क्योंकि..... ये इश्क इश्क है इश्क इश्क.

    best.

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  13. पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था ....pr hr baar ki tarh..sundar.

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  14. बहुत खूब, पढ़कर हम भी गहराइयाँ मापने लगे !

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  15. कोशिशे नाकाम का ज़िक्र भी क्या कीजे
    फ़ानी तो जायेगा ही फ़िक्र भी क्या कीजे

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  16. बहुत ही सुन्दर रचना ..प्रभावशाली है इसका लिखा हर शब्द

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  17. अद्भुत बिंब सजाया है आँखो में

    समन्दर की अतल गहराई और असीम आकाश की स्वतंत्रता नयनों के बंधन में!! खुबसूरत!!

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  18. नीली आँखों मेम्न पूरा आसमान ....बेहद खूबसूरत ख्याल.

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  19. वाह आँखें आसमान और समंदर...बहुत ही खूबसूरत ख्यालों का संयोजन...

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  20. तेरी "आँखों" से जुदाई तो नहीं माँगी थी,
    क़ैद माँगी थी रिहाई तो नहीं माँगी थी!

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  21. बहुत सुन्दर प्रस्तुति .
    तभी तो कहा है --तेरी आँखों के सिवाय दुनिया में रखा क्या है .

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  22. पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था

    ....लाज़वाब ....बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..

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  23. अनुपम भाव संयोजन लिए बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  24. मोहब्ब्त का रिश्ता दिल से और आँखों से ही तो जुड़ा होता है...
    बहुत सुन्दर....

    सादर.

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  25. क्या खूब... क्या खूब.... वाह!
    बहुत सुन्दर रचना सर...
    सादर बधाई..

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  26. पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था

    अब ऐसी रचना के लिए प्रशंशा के शब्द कहाँ से लाऊं...आपतो हर बार कमाल करते हैं दिगंबर जी...आप और आपकी लेखनी को मेरा नमन है.

    नीरज

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  27. हर बार की तरह एक सशक्त और खूबसूरत रचना |
    आशा

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  28. पारदर्शी समंदर से बचकर कहाँ भागा जा सकता था !
    खूबसूरत अभिव्यक्ति !

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  29. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........बहुत खूब.....

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  30. PAARDARSHI SAMUNDER HAI NA...IS LIYE BHAAGOGE BHI TO BHAAGNE NAHI DEGA...LAUT K FIRRRRRRRR AAOOOGEE.

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  31. इन गहरी समंदर सी नीली आँखों में जो डूबा है वह पार नहीं उतरा डूब ही गया है... गहरी रचना

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  32. वैचारिक ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।

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  33. आँखों सी गहराई और पारदर्शिता लिए रचना

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  34. खुला आसमान देख कर भागा
    नीले समुन्दर में छलांग भी लगाई
    पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था...

    jaaiye aap kahan jaayenge...
    ye nazar laut ke fir aayegi....

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  35. झील सी नीली आँखों में आसमान का विस्तार भी है और समंदर की गहराई भी तो इनसे दूर भागने की ज़रूरत ही क्या है ! और भागेंगे भी कहाँ ? इनका न तो कोई छोर है ना ही किनारा तो इन्हीं में तो रहना होगा ! बहुत सुन्दर रचना !

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  36. शायद अपनी पूरी झलक भी दिख गयी..बहुत सुन्दर लिखा है आपने..

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  37. आँखें हैं नीली
    अम्बर है समाया
    समुन्दर भी

    लाजवाब प्रस्तुति...

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  38. sir
    kuchh comments dene ko baaki kahan raha sab ne sab kah diya
    han ! aapko dhanyvaad jarur dena chahungi mera housla banaye rakhne ke liye------
    hardik badhai is behtreen prastuti ke liye
    poonam

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  39. 'ज्यों-ज्यों डूबै स्याम-रँग त्यों-त्यों उज्ज्वल होय.'!
    - नीले रंग की महिमा अपार है !

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  40. 'ज्यों-ज्यों डूबै स्याम-रँग त्यों-त्यों उज्ज्वल होय.'!
    - नीले रंग की महिमा अपार है !

    जवाब देंहटाएं
  41. बहुत खूब ....
    इस नीली नज़्म में कौन न डूब मरे ....:))
    आपकी नज्में सचमुच गज़ब होती हैं ....

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  42. पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था
    bahut khoob....

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  43. बेहद ही उम्दा हमेशा की तरह

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  44. namaskar digamber ji
    आँखे खुली रखना चाहता था
    तू सपने में भी करीब न आ सके
    डूबना चाहता था समुन्दर में
    की होश भी बाकी न रह सके
    .....bahut hi sunder samanser , nili aankhen ......gahara shant pyar , mithi si pukar .....har bar aapki rachna kar rahi nit -naya sringar ,..............bahut-bahut badhai .swikaren .

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  45. पारदर्शी समंदर में कवि-हृदय की पारदर्शिता स्पष्टत: परिलक्षित हो रही है,सुंदर व कोमल रचना.वाह !!!

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  46. तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था

    वाह..!
    मन की गहन अनुभूतियों की सुंदर अभिव्यक्ति।

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  47. आकाश, आँख और अंबुनिधि में डूबने-तैरने का भाव सुंदर बन पड़ा है. बहुत खूब.

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  48. गहरे जज्बात के साथ सुंदर प्रस्तुति....... प्यार भरा कोमल एहसास.

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  49. तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था.

    वसंत के आगमन से पूरा माहौल इश्किया हो गया है. मज़ा आ गया नासवा जी.

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  50. bahut khoob Naswa ji आँखे खुली रखना चाहता था
    तू सपने में भी करीब न आ सके
    डूबना चाहता था समुन्दर में
    की होश भी बाकी न रह सके
    bilkul gahan abhivykti ....badhai

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  51. नीली आँखों का सुन्दर मनोहारी चित्रण देखते ही बनता है...बहुत सुन्दर रचना..

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  52. खुला आसमान देख कर भागा
    नीले समुन्दर में छलांग भी लगाई
    पर हर बार की तरह
    तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया
    जिसके शांत पारदर्शी समुन्दर में
    खुला आसमान साफ नज़र आता था

    पढ़ते पढ़ते नासवाजी के रचना याद आये दुष्यंत -

    तेरी आँखों में एक जंगल है ,मैं जहां राह भूल जाता हूँ .....हालाकि यहाँ रचना का भाव भिन्न है ....जिन्हें हम भूलना चाहे वो अकसर याद आतें हैं ...

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  53. आँखें आसमान और समन्दर .....बहुत ही कोमल भाव !!!

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  54. बेहद खूबसूरत एहसास ...शब्दों का सुंदर तालमेल

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  55. अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे...
    तेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे...

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  56. खूबसूरत एहसास सुन्दर पोस्ट...

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  57. बहुत ही सुन्दर कविता भाई दिगम्बर जी बधाई |

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  58. खूबसूरत प्रस्तुति पर बधाई ।

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  59. नीले समुन्दर सी गहरी आँखों में डूबने के बाद,
    उससे बाहर निकलना सचमुच बहुत ही मुश्किल है।
    सुन्दर अभिव्यक्ति.....बधाई...
    नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)

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  60. तेरी आँखों की गहराई में फंस के रह गया

    और शायद सही गंतव्य प्राप्त हो गया

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है