कभी कभी
पंख लगा के उड़ता समय
आभास नहीं होने देता किसी विशेष दिन का
खास कर
जब दिन ऐसे बीत रहे हों की इससे अच्छे दिन हो ही नहीं सकते
ऐसे में अचानक ही जादुई कायनात
अपने इन्द्रधनुष में छेद कर
किसी विशेष दिन को और सतरंगी कर देती है
पता है आज सुबह से
हवा की सरगोशी रह रह के कुछ कहना चाह रही है
महकती बसंत पंख लगा के उड़ना चाहती है
ओस की बूंदों पे लिखा पैगाम
किसी के नाम करना चाहती है
तुम्हें तो मालुम ही है इसका राज़
फिर क्यों नहीं आ जातीं मेरे पहलू में
मुझे पता है आज सब तुमसे बात करना चाहते हैं
हो सके तो मुलाक़ात भी करना चाहते हैं
पर मैं
तुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
आज ...
तुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
आज ...
भाव पुर्ण सुंदर पंक्तियाँ बहुत आच्छी रचना
पता है आज सुबह से
जवाब देंहटाएंहवा की सरगोशी रह रह के कुछ कहना चाह रही है
महकती बसंत पंख लगा के उड़ना चाहती है
ओस की बूंदों पे लिखा पैगाम
किसी के नाम करना चाहती है
LAAZABAB !
पता है आज सुबह से
जवाब देंहटाएंहवा की सरगोशी रह रह के कुछ कहना चाह रही है
महकती बसंत पंख लगा के उड़ना चाहती है
ओस की बूंदों पे लिखा पैगाम
किसी के नाम करना चाहती है ... ग़ज़ल है, नज़्म है या ख्याल है प्यार का
वाह!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
बेहद भावपूर्ण और खूबसूरत अभिव्यक्ति..
सादर.
भावपूर्ण लेख ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
तुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ
...आपने कितनी बड़ी बात सरल शब्दों में कही है .....वाह क्या बात है बहुत खूब
मन के भावों को व्यक्त कर दिया आपने अपनी सुन्दर कविता में। बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंआँख बंद कर लो,वे साथ होंगे....चले जायेंगे वहाँ तक जहाँ तुम्हें जाना है,ख्वाब के टूटने तक साथ निभाना है !
जवाब देंहटाएंकहीं आज सचमुच वो विशेष दिवस तो नहीं.. अगर है तो बधाई जो इतनी सुन्दर कविता जन्मी.. और ना भी हो तो इस दिवस को कैद करके रख लीजिए.. वक्त का घडा बड़ी जल्दी रीत जाता है!!
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर अभिव्यक्ति! बहुत खूबसूरती से आपने मन के भावों को शब्दों में पिरोया है!
जवाब देंहटाएंअहसासों की भावपूर्ण अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंपर मैं
जवाब देंहटाएंतुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
आज ...
Kitna nafasat bhara andaaz hai ye!
पर मैं
जवाब देंहटाएंतुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
आज ... .wow sunder shabdo ke sunder sansar ke kho jana chahata hoon .......aaj .........bahut khaas . bahut -bahut badhai .
waah....
जवाब देंहटाएंअब जब भी स्वीकार कर लिया है तो मेरी ओर से बधाई, शुभकामनाएं.. आज तो जुमेरा बीच जाने का दिन है..आप बैठे कविता लिख रहे हैं!!
जवाब देंहटाएंऐसे में अचानक ही जादुई कायनात
जवाब देंहटाएंअपने इन्द्रधनुष में छेद कर
किसी विशेष दिन को और सतरंगी कर देती है
Kaash! Aisa ho jaye!
आज शायद फागुन का पहला दिन है !
जवाब देंहटाएंफाग में किसकी याद आ रही है ?
प्रीत का पैगाम देती भावपूर्ण कविता...बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंहकीकत के सपने ही सबसे सुंदर होते हैं।
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
जवाब देंहटाएंखो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
बहुत खूबसूरत सा खयाल...
बहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
वाह ...बहुत खूब कहा है
जवाब देंहटाएंकल 08/02/2012 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, !! स्वदेश के प्रति अनुराग !!
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंbahut pyaari kavita, shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंपता है आज सुबह से
जवाब देंहटाएंहवा की सरगोशी रह रह के कुछ कहना चाह रही है
महकती बसंत पंख लगा के उड़ना चाहती है
ओस की बूंदों पे लिखा पैगाम
किसी के नाम करना चाहती है
अगर यह सिर्फ एहसास है तो भी बहुत खूबसूरत है .तसव्वुरे बारात है .
तुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
waah.......
यह खास कविता किसी खास दिन का ही पैगाम दे रही है शायद...यदि यह सच है तो बधाई और शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंकविता से जाहिर होता है यह दिन आपके जीवन का अति महत्वपूर्ण दिन है। अच्छी कविता और खास दिन के लिए बधाई स्वीकार करें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही लजावाब भाव संयोजन किया है आपने समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंआज तो उसे आना ही होगा..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंमन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
जवाब देंहटाएंबेहद, सुन्दर ,भावपूर्ण प्यारी सी प्यारभरी रचना है....
जवाब देंहटाएंदिनों को स्वयं से जोड़कर उन्हें विशेष बना देते हैं हम..
जवाब देंहटाएंman bheetar hi bheetar kaisi duniya basa leta hai aur insan uski udan k sath udta chala jata hai.
जवाब देंहटाएंbas kisi b bhaav me rah kar har insan khush rahe yahi dua hai.
काफी दिन हुए आपकी कविताओं को पढ़े हुए,आपकी कविता में उल्लिखित समय भले ही पंख लगाकर उड़ रहा हो पर अपना समय भदेस हो चुका है किस मुंह से आपकी कविताओं पे कमेन्ट करें जबकि आप इतना खूबसूरत लिख डालते हैं कि अपनी टिप्पणी उसके सामने लजाई शरमाई घबराई सकुचाई सी खड़ी रह जाये !
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मुझे पता है आज सब तुमसे बात करना चाहते हैं
जवाब देंहटाएंहो सके तो मुलाक़ात भी करना चाहते हैं
पर मैं
तुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
लो फिर बसंत आई.....
और साथ में ये प्यार भरा पैगाम भी....
कोई मना करे भी तो कैसे....!!
एक और अच्छी कविता, एक बार और धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबस ऐसे ही पुकारते चलिए ....
जवाब देंहटाएंकौन कमबख्त नही चलेगा आपके साथ !
उम्दा भाव !
बसंत बयार का असर है या फागुनी आहट का ? अतिसुंदर रचना, वाह !!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ख्यालो से सजी रचना...बधाई!!
जवाब देंहटाएंसुंदर ख्याल , बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
तुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
...बहुत खूब! लाज़वाब अहसास...
समय पंख लगा कर उड जाता है, केवल सपने ही संजोए रह जाते हैं पलकों में ॥
जवाब देंहटाएंइस रूमानियत पर कौन फ़िदा ना हो जाये...ए दोस्त...
जवाब देंहटाएंइस रूमानियत पर कौन ना हो जाये फ़िदा...ए दोस्त...
जवाब देंहटाएंwaah bahut sambedna he...
जवाब देंहटाएंवाह ...ये प्यार का जादू हैं या शब्दों का ...बेहद संजीदा प्यार से भरी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपता है आज सुबह से
जवाब देंहटाएंहवा की सरगोशी रह रह के कुछ कहना चाह रही है
महकती बसंत पंख लगा के उड़ना चाहती है
ओस की बूंदों पे लिखा पैगाम
किसी के नाम करना चाहती है
bahut sundar rachna ....
कुछ टेंशन लग रहा है उस साइड से!
जवाब देंहटाएंजीवन की यह लय गेयता बनी रहे तो जीवन बड़ा सहज सुखद लगता है समय पंख लगा के उड़ जाता है लेकिन जब लय टूटती है तब सब कुछ तेज़ी से चुकने लगता है .भाई साहब आपकी टिपण्णी अपेम में पड़ी थी अभी - अभी निकाली है . आप भी कभी कभार देख लिया करें टिप्पणियाँ और उनका स्पेम में चले जाना .
जवाब देंहटाएंशिद्दत से किया इसरार ..बहुत सुन्दर नज़्म
जवाब देंहटाएंपता है आज सुबह से
जवाब देंहटाएंहवा की सरगोशी रह रह के कुछ कहना चाह रही है
महकती बसंत पंख लगा के उड़ना चाहती है
ओस की बूंदों पे लिखा पैगाम
किसी के नाम करना चाहती है
bhavon se bhari sunhari si panktiyan
bahut sunder
rachana
रूमानियत टपक रही है ,भाई.
जवाब देंहटाएंतुम चलोगी न मेरे साथ !!!
जवाब देंहटाएंइस यकीन के आगे तो कोई बात ही नही ! बेहद अपना ! बधाई !
ऐसे में अचानक ही जादुई कायनात
जवाब देंहटाएंअपने इन्द्रधनुष में छेद कर
किसी विशेष दिन को और सतरंगी कर देती है
बहुत सुन्दर चित्रमयी प्रस्तुति
अपने इन्द्रधनुष में छेद कर
जवाब देंहटाएंकिसी विशेष दिन को और सतरंगी कर देती है
सुन्दर अहसासों से लबरेज़ कविता
अब तक तो वो आपके साथ ही होगी ना . सुँदर काव्य .
जवाब देंहटाएंवाह: बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंतो वह आपके साथ ही है न इतने मनुहार के बाद।
जवाब देंहटाएंऐसे में अचानक ही जादुई कायनात
जवाब देंहटाएंअपने इन्द्रधनुष में छेद कर
किसी विशेष दिन को और सतरंगी कर देती है
प्रेम दिवस आने ही वाला है आपकी ये रचना उसमें चार चांद लगा देगी ।
कविता के भाव मन को दुलरा गए।
जवाब देंहटाएंसही है महाप्रभु...इतने के बाद तो चल ही देगी. :)
जवाब देंहटाएंतुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंतुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
bahut hi sundar Digambar ji ...kya khoob likha hai.... bhai blog pr apni photo to laga dijiye shayad kisi mod pr mulakat ho to pahchanane ka sankat na rahe.
भाव पुर्ण सुंदर पंक्तियाँ बहुत आच्छी रचना
जवाब देंहटाएंपता है आज सुबह से
जवाब देंहटाएंहवा की सरगोशी रह रह के कुछ कहना चाह रही है
महकती बसंत पंख लगा के उड़ना चाहती है
ओस की बूंदों पे लिखा पैगाम
किसी के नाम करना चाहती है ...
..sundar vimb .....vasant mein pyarbhare paigam likhne kee baat hi nirali hai..
sundar sunhali yaadon mein hichkole khilani ko majboor karti prastuti..
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.....बधाई....
जवाब देंहटाएंनेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
भाव पुर्ण सुंदर और बहुत आच्छी रचना
जवाब देंहटाएंतुम चलोगी न मेरे साथ
जवाब देंहटाएंआज ...
इस एहसास और आग्रह के उद्घाटन के बाद तो चलना ही होगा
ॐ नमः शिवाय...शुभकामनाएँ पर्व विशेष की!!!
जवाब देंहटाएंbahut umda bhaav piroye hain rachna me behad khoobsurat.
जवाब देंहटाएंपर मैं
जवाब देंहटाएंतुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
सौन्दर्य बोध से संसिक्त रचना हर शब्द खूब सूरत .
बसंती अहसासों में भिंगोती रचना..
जवाब देंहटाएंइतनी खूबसूरत चाहत, इतनी खूबसूरत गुजारिश :) :)
जवाब देंहटाएंतुम्हें पलकों में बंद करके सो जाना चाहता हूँ
तुम्हारे साथ सपनों की सतरंगी दुनिया में
खो जाना चाहता हूँ ...
तुम चलोगी न मेरे साथ
आज ...
:)