स्वप्न मेरे: दिसंबर 2025

शनिवार, 6 दिसंबर 2025

तुम साथ रहोगे तो सफ़र ठीक रहेगा ...

ऐसे ही रहेगा वो मगर ठीक रहेगा.
गुस्से को झटक दोगे तो सर ठीक रहेगा.

देना है जो अन्जाम किसी बात को, अब दो,
कुछ देर दवाओं का असर ठीक रहेगा.

छत फूस की होगी तो उड़ा लेंगी हवाएँ,
इसको जो बदल दोगे तो घर ठीक रहेगा.

क्योंकि था पिता जी को मिला, आपका हक हो,
बेहतर तो है तन्हा ये शिखर ठीक रहेगा.

अब ये न करो वो न करो ठीक नहीं है,
क्या मन में किसी बात का डर ठीक रहेगा.

चाहत है के आँगन में चहकते हों परिन्दे,
फूलों से लदा एक शजर ठीक रहेगा.

मुश्किल ही सही वक़्त गुज़र जाएगा यूँ तो,
तुम साथ रहोगे तो सफ़र ठीक रहेगा.