ये अँधेरा भी छंटेगा धूप को आने तो दो
मुट्ठियों में आज खुशियाँ भर के घर लाने
तो दो
खुद को हल्का कर सकोगे ज़िन्दगी के बोझ
से
दर्द अपना आँसुओं के संग बह जाने तो दो
झूम के आता पवन देता निमंत्रण प्रेम का
छू सके जो मन-मयूरी गीत फिर गाने तो दो
बारिशों का रोक के कब तक रखोगे आगमन
खोल दो जुल्फें घटा सावन की अब छाने तो
दो
सब की मेहनत के भरोसे आ गया इस मोड़ पर
नाम है साझा सभी के तुम शिखर पाने तो दो
पक चुकी है उम्र अब क्या दोस्ती क्या दुश्मनी
वक़्त कितना क्या पता रिश्तों को सुलझाने तो दो ...
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जवाब देंहटाएंkiralık hacker
hacker arıyorum
kiralık hacker
hacker arıyorum
belek