पुरखों का घर छूट गया
अम्मा का दिल टूट गया
दरवाज़े पे दस्तक दी
अन्दर आया लूट गया
मिट्टी कच्ची होते ही
मटका धम से फूट गया
मजलूमों की किस्मत है
जो भी आया कूट गया
सीमा पर गोली खाने
अक्सर ही रंगरूट गया
पोलिथिन आया जब से
बाज़ारों से जूट गया
अम्मा का दिल टूट गया
दरवाज़े पे दस्तक दी
अन्दर आया लूट गया
मिट्टी कच्ची होते ही
मटका धम से फूट गया
मजलूमों की किस्मत है
जो भी आया कूट गया
सीमा पर गोली खाने
अक्सर ही रंगरूट गया
पोलिथिन आया जब से
बाज़ारों से जूट गया
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