अपने ख़त का जवाब ले लो
इन हाथों से गुलाब ले लो
चाहो मिलना कभी जो मुझ से
दिल की मेरे किताब ले लो
अनजाने ही दिए थे जो फिर
उन ज़ख्मों का हिसाब ले लो
मिलने वाला बने न दुश्मन
चेहरे पर ये नकाब ले लो
अमृत सा वो असर करेगी
उनके हाथों शराब ले लो
काटेंगे ये सफ़र अकेला
इन आँखों से ये ख्वाब ले लो
इन हाथों से गुलाब ले लो
चाहो मिलना कभी जो मुझ से
दिल की मेरे किताब ले लो
अनजाने ही दिए थे जो फिर
उन ज़ख्मों का हिसाब ले लो
मिलने वाला बने न दुश्मन
चेहरे पर ये नकाब ले लो
अमृत सा वो असर करेगी
उनके हाथों शराब ले लो
काटेंगे ये सफ़र अकेला
इन आँखों से ये ख्वाब ले लो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है