इतिहास के क्रूर पन्नों पे
समय तो दर्ज़ करेगा
हर गुज़रता लम्हा
मुँह में उगे मुहांसों से लेकर
दिल की गहराइयों में छिपी क्रांति को
खोल के रख देगा निर्विकार आईने की तरह
अनगिनत सवाल रोकेंगे रास्ता
तेरी मेरी
हम सबकी भूमिका पे
जो तटस्थ रहेंगे
या लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
क्या सामना करोगे इन सवालों का
सृष्टि के रहने तक
युग के बदलने तक
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
वर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
हम भारतवासियों को सोने कि आदत है ... हम कुम्भकर्ण के वंशज हैं शायद ...
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
बहुत सच कहा है...कर्म की पुकार को अनसुना करने वालों को इतिहास कभी माफ़ नहीं करता. बहुत सारगर्भित और समसामयिक प्रस्तुति..
नहीं बिलकुल भी सोते नहीं रहेंगे देखिये ना जाग गई है जनता अत्याचार सहने की सीमा समाप्त हो गई है अब ... हाँ...
जवाब देंहटाएंजो तटस्थ रहेंगे
या लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
बहुत बढ़िया प्रश्न उठाया है आपने... प्रभावशाली कविता..
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक प्रश्न ..आज भी नींद से नहीं जागे तो इतिहास भी माफ नहीं करेगा ..
जवाब देंहटाएंउद्देलित करते प्रश्न और कविता
जवाब देंहटाएंबेहद सटीक एवं सार्थक अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंजो तटस्थ रहेंगे
जवाब देंहटाएंया लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
samayaanukool rachna
bahut khoob !
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
बहुत सही प्रश्न उठाया है आपने. सटीक रचना.
अत्यंत सटीक, ज्यादा सोना भी कभी कभी अति खतरनाक साबित हो जाता है, जो कुछ होरहा है यह हमारे ज्यादा सोने का ही परिणाम है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जो तटस्थ रहेंगे
जवाब देंहटाएंया लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
यह तो है ही ....इतिहास अपना काम करता रहेगा ..लेकिन हम क्या कर रहे हैं ? यह विचारणीय है ?
सामयिक एवं सटीक ,सार्थक रचना हेतु बधाई स्वीकार करें ...
जवाब देंहटाएंदिगंबर जी....अन्यथा न लें तो एक बात कहना चाह रही हूँ..."सृष्टि" ...इस शब्द में टाइपिंग एरर हो गयी है ...कृपया ,ठीक कर लीजिए .
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
JAGO SONE WALOON !
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
हमारे लिए सही मायने में यही आज़ादी की लड़ाई है. भला हम चुप कैसे बैठ सकते हैं . जबाव तो देना ही है. प्रभावशाली ,सार्थक अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंsarthak prshan hai....
जवाब देंहटाएंगरीबी ,महगाई ,और भ्रष्टाचार इन सब से आजादी की लड़ाई लड़ने हेतु अब सभी को तैयार होना ही होगा . .सार्थक प्रस्तुति .आभार
जवाब देंहटाएंblog paheli no.1
यह प्रश्न सदा ही रहेगा।
जवाब देंहटाएंप्रिय बंधुवर दिगंबर नासवा जी
जवाब देंहटाएंसस्नेहाभिवादन !
भविष्य में उठने वाले प्रश्नों का जवाब
वर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
बहुत ख़ूब ! अच्छी रचना है…
भाईजी , एक सवाल है … 2010 में ग़ज़ल के लिए पुरस्कृत होने वाला रचनाकार 2011 में लगातार ( कई बार सात-आठ पोस्ट तक ) ग़ज़ल लिखे-प्रस्तुत किए बिना रह कैसे लेता है ?!
अजी आपकी ग़ज़ल का इंतज़ार है …
मैंने वर्तमान संदर्भों को ले'कर जो लिखा है पढ़ने के लिए भी आइए न …
काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut sargarbhit abhivyakti. asardar rahega aaj ka ye sawal.
जवाब देंहटाएंभविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
-बेहद संजीदा प्रश्न!! उम्दा रचना.
बेहद सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
अगर अब भी नहीं उठें सोने वाले तो फिर कब उठेंगे?
जवाब देंहटाएंभविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...? ... ab to her haal mein jaagna hai
सोते हुए घोड़ों को जगाके झिंझोड़ने वाली रचना ....भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...? ..http://veerubhai1947.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/
मंगलवार, १६ अगस्त २०११
पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .
Thursday, August 18, 2011
Will you have a heart attack?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
सटीक चिंतन । आखिर कब ?
जवाब देंहटाएंभविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
नहीं सोना किसी समस्या का हल नहीं अब तो जागना ही होगा.सुन्दर प्रस्तुति .चिंतनीय पोस्ट.आभार
बिल्कुल नही। अब सोने का वक्त नही है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल नही। अब सोने का वक्त नही है।
जवाब देंहटाएंभविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
aaj ko sambhalna bahut jaroori hai .sundar rachna
बहुत सटीक रचना और गहन विचार |
जवाब देंहटाएंआशा
वर्तमान में बोये बीज ही..भविष्य में फल देंगे...भविष्य सुरक्षित करने के लिए वर्तमान में इन्वेस्टमेंट करना पड़ता है...ये बात अलग है कि फल हमारे बच्चों को मिले...
जवाब देंहटाएंअब तो सभी को जग जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंभ्रष्टाचार के खिलाफ़ दमदार ललकार !
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित और समसामयिक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंजो तटस्थ रहेंगे
जवाब देंहटाएंया लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
क्या सामना करोगे इन सवालों का
सृष्टि के रहने तक
युग के बदलने तक...
बहुत सुन्दर और सटीक पंक्तियाँ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने! बधाई!
अगर अभी नहीं जागे तो इन अनुत्तरित प्रश्नों का जवाब देना मुश्किल हो जाएगा !
जवाब देंहटाएंइस कविता ने बहुत सारे प्रश्नों के सीने पर उगे घावों को कुरेद दिया है !
आभार !
क्या करें दिगंबर जी, नींद टूटती ही नहीं है :))
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना.
बढ़िया प्रश्न ,,,बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति ......
जवाब देंहटाएंसमर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र
जवाब देंहटाएंजो तटस्थ है, समय लिखेगा उनका भी अपराध .
सुँदर प्रेरक रचना .
wah bahut sarthak rachna....
जवाब देंहटाएंकल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित और समसामयिक प्रस्तुति........
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर,शानदार और उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है!
आप से निवेदन है इस लेख पर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दे!
तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा
yakshprashn uthati nazm...bahut khoob!
जवाब देंहटाएंभविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे
.....बेहद सटीक संजीदा प्रश्न
बहुत ज़रूरी सवाल उठाया है नासवा जी...
जवाब देंहटाएंअगर जवाब भी आज ही नहीं दिया गया, तो इतिहास हमें माफ़ नहीं करेगा.
महात्मा बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल से कहा था --मैं तो ठहर गया , तुम कब ठहरोगे ?
जवाब देंहटाएंकुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनका ज़वाब देना इतना आसान नहीं ।
कम से कम आज के मनुष्य के लिए तो नहीं ।
सुन्दर प्रस्तुति ।
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...?
सच कहा आपने.... सुंदर रचना
vicharneey rachna....pashno ka hal to dhundhna padega khud ko hi..
जवाब देंहटाएंजब तक खुद की चेतना जागृत नहीं होगी कुछ नहीं होगा..सटीक सवाल करती रचना मन में हलचल पैदा करती है...
जवाब देंहटाएंएक पुरानी कहावत से आपके प्रश्न का उत्तर देने का मन हो रहा है..
जवाब देंहटाएंजो सोया हो उसे तो जगाया जा सकता है, लेकिन जो सोने का बहिने किये लेता है उसे कैसे जगायेंगे!!
देखें कुम्भकर्णों की बस्ती में किसी ने बिगुल फूँका है!! शायद चमत्कार हो जाए!!
अनगिनत सवाल रोकेंगे रास्ता
जवाब देंहटाएंतेरी मेरी
हम सबकी भूमिका पे
जो तटस्थ रहेंगे
या लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
अभी भी समय है..
अपनी भूमिका निश्चित करने क लिए..
हर पंक्ति खूबसूरत है और प्रेरणा दायक भी..
नई ओज और सोच के लिए आपकी लेखनी को सलाम ..!
सामयिक प्रश्न! जब मैं रात के अन्धेरे में निश्चिंत सो रहा होता हूँ, धरती के किसी भाग में सूरज लड रहा होता है अन्धकार से और फैला रहा होता है दिन का स्वर्णिम उजाला!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर व सामयिक,
जवाब देंहटाएंसाभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
इसीलिए कहते है जागते रहो ! इतिहास गवाह है ! बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर विचारोत्तेजक सार्थक प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंआभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
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जवाब देंहटाएंजो तटस्थ रहेंगे
जवाब देंहटाएंया लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
जागरूक करने वाली कविता।
इस दुर्योधन की सेना में सबके सब शकुनी शकुनीबैठें हैं ,एक भी सेना पति भीष्म पितामह नहीं हैं ,शूपर्ण -खा है ,मंद मति बालक है जिसे भावी प्रधान मंत्री बतलाया समझाया जा रहा है .एक भी कृपा -चारी नहीं हैं काले कोट वाले फरेबी हैं जिन्होनें संसद को अदालत में बदल दिया है ,तर्क और तकरार से सुलझाना चाहतें हैं ये मुद्दे .एक अरुणा राय आ गईं हैं शकुनियों के राज में ,ये "मम्मीजी" की अनुगामी हैं इसीलिए सरकारी और जन लोक पाल दोनों बिलों की खिल्ली उड़ा रहीं हैं.और हाँ इस मर्तबा पन्द्रह अगस्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है सोलह अगस्त अन्नाजी ने जेहाद का बिगुल फूंक दिया है ,मुसलमान हिन्दू सब मिलकर रोजा खोल रहें हैं अन्नाजी के दुआरे ,कैसा पर्व है अपने पन का राष्ट्री एकता का ,देखते ही बनता है ,बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ....
जवाब देंहटाएंलीला पुरुष का गायन इस दौर में बहुत ज़रूरी है ,........ ., . ram ram bhai
कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
https://mail.google.com/mail/?shva=1#inbox/131eb67e7a8e62c5
जवाब देंहटाएंजन्मास्टमी मी बहुत बधाई
Happy Krishna Janmastami
शुक्रिया प्रेम की त्रिवेणी !कृष्णा ,रासरचैया का जन्म दिवस आपको भी मुबारक.
इस दुर्योधन की सेना में सबके सब शकुनी शकुनीबैठें हैं ,एक भी सेना पति भीष्म पितामह नहीं हैं ,शूपर्ण -खा है ,मंद मति बालक है जिसे भावी प्रधान मंत्री बतलाया समझाया जा रहा है .एक भी कृपा -चारी नहीं हैं काले कोट वाले फरेबी हैं जिन्होनें संसद को अदालत में बदल दिया है ,तर्क और तकरार से सुलझाना चाहतें हैं ये मुद्दे .एक अरुणा राय आ गईं हैं शकुनियों के राज में ,ये "मम्मीजी" की अनुगामी हैं इसीलिए सरकारी और जन लोक पाल दोनों बिलों की खिल्ली उड़ा रहीं हैं.और हाँ इस मर्तबा पन्द्रह अगस्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है सोलह अगस्त अन्नाजी ने जेहाद का बिगुल फूंक दिया है ,मुसलमान हिन्दू सब मिलकर रोजा खोल रहें हैं अन्नाजी के दुआरे ,कैसा पर्व है अपने पन का राष्ट्री एकता का ,देखते ही बनता है ,बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ....
लीला पुरुष का गायन इस दौर में बहुत ज़रूरी है ,........ ., . ram ram bhai
कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .ये दुर्योधन "काग भगोड़ा "/बिजूका /मनमोहन है ,बाके सारे सब शकुनी हैं ,शूपर्ण -खा अमरीका बैठी है .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
जागने का समय आ गया है.. जो जागेगा वही जवाब दे पाएगा और सोने वाले को भूत भविष्य और वर्त्तमान, सब ठेंगा दिखाएंगे..
जवाब देंहटाएंप्रिय दिगंबर नासवा जी -सुन्दर सन्देश देती ..विचार करने को प्रेरित करती सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंआप सब को श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं -आइये प्रार्थना करें की आन्दोलन सफल हो .....
जो तटस्थ रहेंगे
या लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
आभार आप का
भ्रमर ५
मन के तारों को झकझोर देने वाली एक सटीक रचना...इरादें और मजबूत हो जाते है इस कविता को पढ़ कर..दिगंबर जी बधाई..
जवाब देंहटाएंएक प्रेरणा दाई सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज अलग अंदाज़ है मगर शायद समय यही कहता है ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
Neend to khuli hai.. alsaye huye hi sahi lekin jagne ki purjor koshish hor rahi hai aajkal.. Jai Anna Jai Bharat.
जवाब देंहटाएंजो तटस्थ रहेंगे
जवाब देंहटाएंया लड़ेंगे
समय तो लिखेगा
उन सब का इतिहास
"itihaas gvaah hai aisa hi hua hai...behd shandar rachna"
regards
इतिहास के क्रूर पन्नों पे
जवाब देंहटाएंसमय तो दर्ज़ करेगा
हर गुज़रता लम्हा
मुँह में उगे मुहांसों से लेकर
दिल की गहराइयों में छिपी क्रांति को
खोल के रख देगा निर्विकार आईने की तरह
.....बहुद बढ़िया सामयिक जागरूकता भरी प्रस्तुति..
यक्ष प्रश्न
भविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
वर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...
..सच जागते रहने में ही सबकी भलाई है..
..आपको सपरिवार जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!
अनगिनत सवाल रोकेंगे रास्ता
जवाब देंहटाएंतेरी मेरी
हम सबकी भूमिका पे
सच है...कब तक इन सवालों से मुहँ चुराते रहेंगे....
बहुत ही सशक्त एवं सार्थक अभिव्यक्ति
अब नहीं उठे तो उठने लायक ही नहीं बचेंगे..
जवाब देंहटाएंHi I really liked your blog.
जवाब देंहटाएंI own a website. Which is a global platform for all the artists, whether they are poets, writers, or painters etc.
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लाजवाब ....
जवाब देंहटाएंपढ़ तो मेल में ही ली थी
पर वहा आपने लिंक नहीं दिया था .....
और अपनी क्षणिकाएं दीजिये सरस्वती -सुमन के लिए
परिचय व तस्वीर के साथ .....
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंभविष्य में उठने वाले इन प्रश्नों का जवाब
जवाब देंहटाएंवर्तमान में ही देना होगा
क्या अब भी सोते रहोगे...? ..सच कहा आपने.... सुंदर और सटीक रचना...
sote ko jagaya ja sakta hai.par jo jaga so raha hai use jagana mushkil hai.......
जवाब देंहटाएंsateek samyik v sarthak lekhan.
aabhar
अब नहीं जागेंगे तो हमेशा के लिए सोना ही बेहतर है..
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ा प्रश्न है!