स्वप्न मेरे: हमको अपनों ने मिल के लूटा है ...

शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

हमको अपनों ने मिल के लूटा है ...

बाद मुद्दत वो हमसे रूठा है.
दिल किसी बात पर तो टूटा है.

मन्नतें हो रहीं है सब पूरी,
कैसे कह दूँ शजर ये झूठा है.

छोड़ आये उसी मोहल्ले को,
जिस जगह वक़्त हमसे छूटा है.

कुछ हकीकत चुभी है पैरों में,
काँच का ख्व़ाब है जो टूटा है.

मैं उधर तुम इधर चली आईं,
चश्म-दीदी गवाह बूटा है.

याद के ढेर हैं जहाँ बिखरे,
वो ठिकाना ही अपना कूचा है.

दुश्मनों का इलाज था लेकिन,
हमको अपनों ने मिल के लूटा है.
#स्वप्न_मेरे

7 टिप्‍पणियां:

  1. बाद मुद्दत वो हमसे रूठा है.
    दिल किसी बात पर तो टूटा है.
    वाह !
    एक से बढ़कर एक अश्यार

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 02 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  3. पूरी कहानी कह गया...''छोड़ आये उसी मोहल्ले को,
    जिस जगह वक़्त हमसे छूटा है.'' ....वाह बहुत खूब

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  4. मन्नतें हो रहीं है सब पूरी,
    कैसे कह दूँ शजर ये झूठा है.

    best line

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  5. हृदयस्पर्शी पंक्तियां।


    हमें तो अपनों ने लुटा
    गैरों में कहां दम था।

    जवाब देंहटाएं
  6. भाई वाह...बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति...👏👏👏

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