स्वप्न मेरे: सिरफिरे ...

शनिवार, 7 सितंबर 2024

सिरफिरे ...

मत ढूंढना मेरे शब्दों में अपने किस्से
ओर प्रेमिका तो कभी नहीं
मैं नहीं चाहता बढ़ जाए सिरफिरों की गिनती

काँटों में न ढूँढने लग जाएँ जंगली गुलाब
टुकड़ों में न बंट जाए ये शहर …

#जंगली_गुलाब

7 टिप्‍पणियां:

  1. गुलाब तो काँटों में ही मिलते हैं

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द सोमवार 09 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  3. कवि महोदय आग में घी डालने की जिम्मेदारी से नहीं बच सकते... सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति... 👏👏👏

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