स्वप्न मेरे: एक शजर उग आया है उस मिटटी में ...

मंगलवार, 30 नवंबर 2021

एक शजर उग आया है उस मिटटी में ...

कह दूंगा जब लौटूंगा इस छुट्टी में.
कितना कुछ लिख पाया ना जो चिठ्ठी में.
 
बुन लें एक नए ख़्वाबों की हम दुनिया,
राज़ छुपे हैं इतने मन की गुत्थी में.
 
इश्क़ ओढ़ कर बाहों में तुम सो जाना,
रात छुपा लाया हूँ अपनी मुठ्ठी में.
 
लेना देना बातें सब हो जाती थीं,
बचपन की उस बात-बात की कुट्टी में.
 
बादल का ही दोष हमेशा क्यों हो जब,
चाँद छुपा रहता है अपनी मस्ती में.
 
इश्क़ हवा में पींगें भरता रहता है,
असर है कितना एक तुम्हारी झप्पी में.
 
जिस टीले पे वक़्त गुज़ारा करते थे,
एक शजर उग आया है उस मिट्टी में.

21 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी हर ग़ज़ल बस कहर ही ढा देती है ....

    इश्क़ ओढ़ कर बाहों में तुम सो जाना,
    रात छुपा लाया हूँ अपनी मुट्ठी में.
    क्या गज़ब लिखा है ....

    जिस टीले पे वक़्त गुज़ारा करते थे,
    एक शजर उग आया है उस मिटटी में.

    प्रेम की पराकाष्ठा ..... लाजवाब

    पहले शेर में छुट्टी लिख लीजिये .....

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  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (01-12-2021) को चर्चा मंच          "दम है तो चर्चा करा के देखो"    (चर्चा अंक-4265)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  3. लेना देना बातें सब हो जाती थीं,
    बचपन की उस बात-बात की कुट्टी में.

    वाह ! बचपन की याद ताजा हो गयी, यूँ तो हर शेर ही कोई कहानी छुपाये हैं

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  4. क्या बात है सर जी। बहुत शानदार ग़ज़ल।

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  5. हर शेर लाजवाब, पूरी गजल ही शानदार है । अपने आप में परिपूर्ण रचना । बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको 💐🙏

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  6. हमेशा की तरह लाजवाब | आभार ब्लॉग पर आ कर टिपण्णी देने के लिए |

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  7. इश्क़ ओढ़ कर बाहों में तुम सो जाना,
    रात छुपा लाया हूँ अपनी मुठ्ठी में.---भावों को खूबसूरती

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  8. बुन लें एक नए ख़्वाबों की हम दुनिया,
    राज़ छुपे हैं इतने मन की गुत्थी में.

    इश्क़ ओढ़ कर बाहों में तुम सो जाना,
    रात छुपा लाया हूँ अपनी मुठ्ठी में.

    इश्क़ हवा में पींगें भरता रहता है,
    असर है कितना एक तुम्हारी झप्पी में.

    ऐसा लगता है प्यार मोहब्बत अब भी करते पुरी शिद्त और ईमानदारी से ।
    प्रेम और स्नेह से लवालव रचना ।

    आदरणीय , एक महाशय ने कहा मेरी रचना में कई त्रुटिया है पर उन्होंने बताया नहीं क्या?
    कृप्या मेरे पोस्ट पर आयें और अवलोकन कर पूरी ईमानदारी से त्रुटि बतायें ताकि मैं उसमें सुधार कर संक । धन्यवाद !

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  9. आह! यह ग़ज़ल है या कमाल! शायरी के सच्चे शैदाई ऐसी ही ग़ज़लों और नज़्मों की जुस्तुजू में तो रहते हैं।

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  10. वाह! लावण्य छलक रहा है हर शेर में मासुम सी ग़ज़ल!अहा।

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  11. इश्क़ ओढ़ कर बाहों में तुम सो जाना,
    रात छुपा लाया हूँ अपनी मुठ्ठी में.
    वाह!!!
    लेना देना बातें सब हो जाती थीं,
    बचपन की उस बात-बात की कुट्टी में.
    हर एक शेर बहुत ही कमाल के ....
    लाजवाब गजल ।

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  12. इश्क ओढ़ कर बाहों में तुम सो जाना,
    रात छुपा लाया हूँ अपनी मुट्ठी में
    ---------------------
    कमाल! कमाल! और बस कमाल लिखा है आपने। आप जैसे शायर को सादर प्रणाम।

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  13. बेहतरीन.... लाज़वाब..., अत्यन्त सुन्दर ।

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  14. इश्क़ हवा में पींगें भरता रहता है,
    असर है कितना एक तुम्हारी झप्पी में.....कुछ अलफ़ाज़ आपको 20 वर्ष पहले की जिंदगी से एकदम से रूबरू करा देते हैं आपके !! बेहतरीन ग़ज़ल

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है