लम्हे जो गुम हुए थे दराजों में मिल गए
दो चार दिन सुकून से अपने निकल गए
दो चार दिन सुकून से अपने निकल गए
डट कर चुनौतियों का किया सामना मगर
दो आंसुओं के वार से पल भर में हिल गए
दुश्मन के तीर पर ही ये इलज़ाम रख दिया
किस किस को कहते यार के खंज़र से छिल
गए
इतिहास बन गए जो समय पर चले नहीं
बहते रहे दरिया तो समुंदर से मिल गए
कहते थे आफ़ताब पे रखते हैं नियन्त्रण
कल रात माहताब के हाथों जो जल गए
तो क्या हुआ जो होठ पे ताला लगा लिया
आँखों से आपके तो कई राज़ खुल गए
अल्जाइमर है या के तकाज़ा है उम्र का
कुछ ख़त हमारी याद के पन्नों से धुल गए
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जवाब देंहटाएंhacker bulma
kiralık hacker
tütün dünyası
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जवाब देंहटाएंtakipçi
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