सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएं ... इस पावन पर्व की पूर्व संध्या पर आज के हालात पे लिखी गज़ल प्रस्तुत है ... आशा है सबका स्नेह मिलता रहेगा ...
जब तलक नापाक हरकत शत्रु
की सहते रहेंगे
देश की सीमाओं पर सैनिक
सदा मरते रहेंगे
पत्थरों से वार कर उक्सा रहे हैं देश-द्रोही
और कब तक हम अहिंसा मार्ग
पर चलते रहंगे
मानता हूँ सिर के बदले सिर
नहीं क़ानून अपना
पर नहीं स्वीकार अपने वीर
यूँ कटते रहेंगे
दक्ष हो कर आज फिर प्रतिशोध
तो लेना पड़ेगा
सर्प कब तक आस्तीनों में
छुपे पलते रहेंगे
एक ही आघात में अब क्यों
नहीं कर दें बराबर
शांति चर्चा, वार्ताएं
बाद में करते रहेंगे
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