स्वप्न मेरे: रिश्ते

बुधवार, 17 दिसंबर 2008

रिश्ते

काश ये रिश्ते
पतझड़ के पत्तों की तरह होते
मौसम के साथ बदल जाते....

काश ये रिश्ते
बादल की तरह होते
बरसते बिखर जाते....

काश ये रिश्ते
बहती हवा होते
छूते गुज़र जाते....

दिल के किसी कोने मैं
गहरा घाव तो न बनाते
आंसूं बन कर
पिघलते तो न रहते....

कितना अच्छा होता,
ये रिश्ते ही न होते................

25 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत संवेदना है, इस रचना में!

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  2. ये रिश्ते ही न होते..sach ye rishte hi naa hote,achchi kavita hai

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  3. रिश्ते न होते ..बहुत खूब ..बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना

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  4. बहुत सुन्दर तरीके से आपने अपने मन की संवेदनाओं को अभिव्यक्त किया है.
    बहुत सुन्दर रचना

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  5. कितना अच्छा होता कि ये रिश्ते न होते वाह भाई वाह मुकम्मल कविता।

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  6. कविता तक तो ठीक है। बाकी रिश्ते इतने बुरे भी नहीं होते।

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  7. jab koi apna ghaav de jata hai to sachmuch aisa hi lagta hai.....

    bahut hi bhaavpoorn abhivyakti kee hai aapne.

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  8. रिश्ते के अर्थ को उकेरती बहुत बढिया अद्भुत रचना

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  9. काश ये रिश्ते
    बादल की तरह होते
    बरसते बिखर जाते....

    bahut hi sundar panktiyan..
    ek tees sunayee deti hai aap ki kavita mein.

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  10. दिल के किसी कोने मैं
    गहरा घाव तो न बनाते
    आंसूं बन कर
    पिघलते तो न रहते....
    काश ऐसा होता...

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  11. bahut dino se aapki rachnao ko hum pad rahe thein
    par tarif ke layak alfaz nahi mil rahe thein
    phir socha aaj hum bina alfaz ke dil se tarif kar de
    kyun ki aap bhi to alfaz nahi zazbat likhte hain

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  12. sir ,itni achi kavita padne ke baad ab kahne ke liye kya shesh rahta hai ..

    manobhaavo se bharpur nazm ..

    aapko badhai ..


    aapka vijay
    poemsofvijay.blogspot.com

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  13. इतना दर्द भरा है रचना में .अब रिश्ते हों या ना हों ,फ़िर भी महसूस किया जा सकता है .

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  14. कल 07/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  15. arre nahi nahi.. aisa kaahe?? khatte meethe jaise bhi hain.. inhi rishton se to zindagi hai..

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  16. एक दुखी पल की करुण पुकार ....हाँ कभी कभी मन होता है सब कुछ तहस नहस हो जाये .....सुन्दरता से उकेरा पल

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  17. रिश्तों की वेदना....

    कम शब्दों में संसार समेटे रचना...
    सादर.

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  18. kash ye kavita maine likhe hote.....bahut sundar likha hai apne

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है