स्वप्न मेरे: अधूरी दास्ताँ

गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

अधूरी दास्ताँ

टूट कर बिखरे हुवे पत्थर समय से मांगते
कुछ अधूरी दास्ताँ खंडहर समय से मांगते

क्यों हुयी अग्नी परीक्षा, दाव पर क्यों द्रोपदी
आज भी कुछ प्रश्न हैं उत्तर समय से मांगते

हड़ताल पर बैठे हुवे तारों का हठ तो देखिये
चाँद जैसी प्रतिष्ठा आदर समय से मांगते

चाँदनी से जल गए थे जिनके दरवाजे कभी
रौशनी सूरज की वो अक्सर समय से मांगते

फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते

29 टिप्‍पणियां:

  1. 'क्यों हुयी अग्नी परीक्षा, दाव पर क्यों द्रोपदी
    आज भी कुछ प्रश्न हैं उत्तर समय से मांगते

    हड़ताल पर बैठे हुवे तारों का हठ तो देखिये
    चाँद जैसी प्रतिष्ठा आदर समय से मांगते'
    - बहुत संदर!

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  2. चाँदनी से जल गए थे जिनके दरवाजे कभी
    रौशनी सूरज की वो अक्सर समय से मांगते

    बहुत खूबसुरत !

    रामराम !

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  3. चाँदनी से जल गए थे जिनके दरवाजे कभी
    रौशनी सूरज की वो अक्सर समय से मांगते

    फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
    समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते

    दोनों ही शे'र बेहद उम्दा और खूबसूरती के साथ वज्नी
    भी बहोत खूब लिखा है आपने ''''........
    अर्श

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  4. पढ़ा, सभी बातें दिल को छू गयीं
    ---
    चाँद, बादल और शाम
    http://prajapativinay.blogspot.com/

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  5. फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
    समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते
    मुझे ये पंक्तियां बहुत अच्‍छी लगी...आभार।

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  6. आपकी एक और अच्छी रचना.
    चाँदनी से जल गए थे जिनके दरवाजे कभी
    रौशनी सूरज की वो अक्सर समय से मांगते
    समेत सभी शेर बहुत उम्दा.

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  7. हड़ताल पर बैठे हुवे तारों का हठ तो देखिये
    चाँद जैसी प्रतिष्ठा आदर समय से मांगते
    भाई वाह...वा...लाजवाब ग़ज़ल...ढेरों बधाईयाँ...
    नीरज

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  8. टूट कर बिखरे हुवे पत्थर समय से मांगते
    कुछ अधूरी दास्ताँ खंडहर समय से मांगते
    " किसी भी एक शेर का जिक्र करना मुश्किल है, हर एक शेर अपने आप मे एक दास्ताँ हो जैसे, ये शेर कुछ ख़ास है..... जाने कितनी अधूरी कहानियाँ दफ़न हो जाती हैं खंडहरों मे...."
    Regards

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  9. फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
    समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते
    बहुत खूब दिगंबर जी!

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  10. फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
    समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते

    बहुत खूब ...!!

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  11. क्यों हुयी अग्नी परीक्षा, दाव पर क्यों द्रोपदी
    आज भी कुछ प्रश्न हैं उत्तर समय से मांगते
    अत्यन्त सुंदर मनमोहक गंभीर चितन से उपजा हुया काव्य

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  12. रचना बहुत सुंदर लगी मगर नीचे की पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं:
    चाँदनी से जल गए थे जिनके दरवाजे कभी
    रौशनी सूरज की वो अक्सर समय से मांगते

    फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
    समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते

    जवाब देंहटाएं
  13. हड़ताल पर बैठे हुवे तारों का हठ तो देखिये
    चाँद जैसी प्रतिष्ठा आदर समय से मांगते
    --naya aur anootha khyal! kya baat hai! bahut khuub!

    achchee ghazal hai.

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  14. भाई अच्‍छा लिख रहे हैं आप- कुमार मुकुल

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  15. iss ghazal ke har ek sher mein nasha hain itna ghera,
    ke ab hosh aaye hume ye dua hain mangte !

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  16. चाँदनी से जल गए थे जिनके दरवाजे कभी
    रौशनी सूरज की वो अक्सर समय से मांगते

    फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
    समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते

    khubsurat....regards

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  17. बहुत ही अच्छी रचना
    WISHING YOU THE VERY BEST IN
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    जवाब देंहटाएं
  18. नववर्ष २००९ की मंगल कामनाओं सहित बहुत बहुत बधाई !

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  19. वाह क्या लिखा है, ख़ुशी की सारी पत्ती खिल गयी
    फुल तो गदगद है पर ज़िन्दगी काटें समय से मंगाते हैं.

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  20. बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.

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  21. कल 07/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  22. बहुत सुन्दर गज़ल...
    बेहतरीन शेर...

    सादर.

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  23. फूल जो काँटों का दर्द सह नही पाते यहाँ
    समय से पहले वही पतझड़ समय से मांगते

    हर छंद दूसरे से सुन्दर है ...किस भाव की तारीफ की जाए ..पूरी कविता बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी है ! बहुत ही सुन्दर दिल को छू गयी यह पंक्तियाँ !!!

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  24. हड़ताल पर बैठे हुवे तारों का हठ तो देखिये...
    वाह! शानदार ग़ज़ल सर...
    सादर

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