स्वप्न मेरे: ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की ...

रविवार, 29 दिसंबर 2013

ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की ...

सभी मित्रों को नव वर्ष की मंगल कामनाएँ ... सन २०१४ आपके जीवन में सुख, शान्ति और नित नई खुशियाँ ले के आए ...

खबर है आसमां पे कुछ सितारों के उभरने की
ये कोशिश है परों को चाँद के फिर से कुतरने की

जहाँ से लौटना मुमकिन नहीं होता है जीवन में
ज़रूरी तो नहीं उस राह पे तन्हा गुज़रने की

किसी के दिल में क्या है ये किसी को क्या पता होगा
चलो कोशिश करें इस बज़्म में सजने सँवरने की

सफर तय करके अब तो आ गई कश्ती किनारे पर
करें अब बात क्या सागर के सीने में उतरने की

अगर मिलना वही है जो लिखा है इस मुकद्दर में
ज़रूरत क्या है फिर जीने की खातिर काम करने की

अकेले भी उतर सकते हो पर अच्छा यही होगा
सहारा हो जो तिनके का तो कोशिश हो उतरने की 

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