दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
आप आ गए थे भूल से कभी इधर
वादियों में आपका जमाल रह गया
इस शेर में शुतुरगुर्बा का ऐब बन रहा था जिसका मुझे ज्ञान नहीं था ... गुरुदेव पंकज ने बहुत ही सहजता से इस दोष को दूर कर दिया ... पहले ये शेर इस प्रकार था ...
(आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
वादियों में आपका जमाल रह गया)
गुरुदेव का धन्यवाद ...
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
आ न पाए वो शबे विसाल रह गया
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
जवाब देंहटाएंआ न पाए वो शबे विसाल रह गया
वाह वाह वाह ...बहुत ही सुन्दर.
आदरणीय नासवा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
वादियों में आपका जमाल रह गया
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
आ न पाए वो शबे विसाल रह गया
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.
बहुत बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंयही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!
खूबसूरत ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंMARIK ANUBHUTI.......
जवाब देंहटाएंथा अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
बहुत सुन्दर ।
इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
बहुत आशिकाना ।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है भाई ।
आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
जवाब देंहटाएंवादियों में आपका जमाल रह गया
bahut khoob !
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
waah
दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
जवाब देंहटाएंमिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया
बहुत खूब बहुत बढ़िया ... बधाई
बहुत सुन्दर हृदयस्पशी रचना!
जवाब देंहटाएंइक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
जवाब देंहटाएंफिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया bahut romantic...
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
जवाब देंहटाएंआ न पाए वो शबे विसाल रह गया
-खूबसूरत ग़ज़ल....
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
जवाब देंहटाएंआ न पाए वो शबे विसाल रह गया
...वाह!
रूमानी खयालों को बहुत नाजुक तरीके से बाँधा है साहब :)
जवाब देंहटाएंलिखते रहिये ...
waah...ye to mazaa aa gaya....sadhuwaad...
जवाब देंहटाएंदेख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
बहुत ही खुबसूरत गज़ल, दाद को मोहताज नहीं पर दिल ने कहा बहुत खूब .
इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
जवाब देंहटाएंफिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
वाह नासवा जी वाह, क्या रूमानी शेर है.
खूबसूरत ग़ज़ल.
बेहद रोमांटिक ग़ज़ल... खास तौर पर यह शेर...
जवाब देंहटाएं" इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
फिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया "
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
बहुत सुंदर ...... प्रेम के भावों में रंगी ग़ज़ल
दिगंबर जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अशार ..बहुत अच्छे भाव ..से भरी ग़ज़ल लिखी है आप ..एक एक शेयर लाजबाब है खास कर यह शेयर बहुत पसंद आये
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
बहुत बहुत मुबारक
badhiya ,
जवाब देंहटाएंथा अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
सकारात्मक सोच का प्रतिबिंब है ये शेर...
बहुत खास.
हर शेर बार बार पढ़ा जाने वाला है...
har sher umdaygi ka namoona hai.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल ..हर शेर अपने आप में गज़ब ढाता हुआ ...
जवाब देंहटाएंइस मासूम और बेहद हसीन ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल करें बंदापरवर...हम तो आपकी कलम के मुरीद हो गए हैं .
जवाब देंहटाएंनीरज
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
अच्छी ग़ज़ल का बहुत ख़ूबसूरत और नाज़ुक शेर
मुझे सबसे अच्छा यह लगा..
जवाब देंहटाएंछत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
बेहतरीन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
जवाब देंहटाएंवादियों में आपका जमाल रह गया
बहुत सुंदर गजल, धन्यवाद
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया ,,,,
यूँ तो गजल बेहतरीन रही.. लेकिन उक्त पंक्तियों ने अपने दिल को छू लिए....
सुंदर भावपूर्ण पोस्ट बधाई|
जवाब देंहटाएंआशा
daad kubool keejiye sahab
जवाब देंहटाएंdaad dene padegi aapki post ki jai hoooooooooo
जवाब देंहटाएंदेख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया.
खूबसुरत गजलों का सुन्दर नजराना...
आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
जवाब देंहटाएंवादियों में आपका जमाल रह गया
बहुत ही रोमान्टिक ।
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
बहुत खूब।
bahut khub... kya umda gazal hai... main humesha soncha karta hun ki main kab koi gazal likh sakunga... par mere paas shabdon kee bahut kami hai...
जवाब देंहटाएंइक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
जवाब देंहटाएंफिर किसी का रेशमी रुमाल रह गय
वाह नास्वा जी क्या बात है लाजवाब ।
छ्त न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
बहुत ही अच्छी लगी आपकी गज़ल। वैसे तो हमेशा ही होती है मगर इसमे कुछ खास बात जरूर है। बधाई।
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया........
बहुत खूब, खूबसूरत, बेमिसाल....
दिल को छू लिया आपकी इस ग़ज़ल ने....
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
क्या बात है...बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल....सारे के सारे शेर बेहतरीन हैं....
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
जवाब देंहटाएंवादियों में आपका जमाल रह गया
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
आ न पाए वो शबे विसाल रह गया
bahut sundar...rachna
सगुण ही याद आते है ! सभी याद नहीं आते ! बहुत ही सुन्दर भाव !
जवाब देंहटाएंथा अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
यह ग़ज़ल तरल संवेदनाओं के कारण आत्मीय लगती है|
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
वादियों में आपका जमाल रह गया
गज़ल का हर शेर दिल मे उतर गया…………बेहद गज़ब के अन्दाज़ मे लिखी है ये गज़ल्।
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
वाह वाह वाह ...बहुत ही सुन्दर.
जवाब देंहटाएंकुँवर जी,
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
आसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
waah ,bahut khoob man khush kar diya .
इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
जवाब देंहटाएंफिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई।
आ गए थे तुम कभी जो भूल से इधर
जवाब देंहटाएंवादियों में आपका जमाल रह गया
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
आ न पाए वो शबे विसाल रह गया
गज़ल का हर शेर बेमिसाल है...
हार्दिक शुभकामनायें।
....bahut achhi gajal!
जवाब देंहटाएंye panktiya bahut kuch kah gayee
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
जवाब देंहटाएंआ न पाए वो शबे विसाल रह गया.
गज़ल का हर शेर अनमोल ओर लाजवाब. भावनाओं को शब्दों का जामा पहनाया है.
बेहतरीन ग़ज़ल ......आभार !
जवाब देंहटाएंछत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया........
बहुत ही ग़जब का शेर कहा है...बेहतरीन ग़ज़ल
bahut sundar....jaandaar..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंकुँवर जी,बधाई|
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
जवाब देंहटाएंफिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
गजब है यह रुमाल का रह जाना
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
आसमां की छत...वाह क्या बात है, बहुत गहरी बात।
लाजवाब ग़ज़ल है, नासवा जी।
बहुत-बहुत बधाई।
एक खुशनुमा एहसास आपकी ग़ज़ल में ......
जवाब देंहटाएंअक्षय-मन
एक खुशनुमा एहसास आपकी ग़ज़ल में ......
जवाब देंहटाएंअक्षय-मन
अति उत्तम ,अति सुन्दर और ज्ञान वर्धक है आपका ब्लाग
जवाब देंहटाएंबस कमी यही रह गई की आप का ब्लॉग पे मैं पहले क्यों नहीं आया अपने बहुत सार्धक पोस्ट की है इस के लिए अप्प धन्यवाद् के अधिकारी है
और ह़ा आपसे अनुरोध है की कभी हमारे जेसे ब्लागेर को भी अपने मतों और अपने विचारो से अवगत करवाए और आप मेरे ब्लाग के लिए अपना कीमती वक़त निकले
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
बहुत ही सुंदर गज़ल भाई दिगम्बर नासवा जी बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंदेख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
जवाब देंहटाएंमुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया !
हर पंक्ति सुंदर बनी है !
अति सुन्दर!
जवाब देंहटाएंछत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
वाह. यही है बड़ी सोच. बधाई स्वीकारें
बहुत भावपूर्ण पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
मिलिए हमारी गली के गधे से
बढ़िया प्रस्तुति नासवा जी ....शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंछुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
जवाब देंहटाएंआ न पाए वो शबे विसाल रह गया
गजल की हर पंक्ति लाजवाब ... बेहतरीन प्रस्तुति ।
अच्छी ग़ज़ल......
जवाब देंहटाएंसारे शेर प्यारे बन पड़े हैं...... सुबीर साहब का धन्यवाद जो उनकी मार्फ़त इतनी अच्छी ग़ज़ल हमें नसीब हुयी...
हमें ये शेर तो लाजवाब लगा.
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
वाह वाह !!!!!!!!!
हर शेर खूबसूरत है सर :)
जवाब देंहटाएंek khushnuma ehsaas!!
जवाब देंहटाएंआदरणीय नासवा जी, नमस्कार !
जवाब देंहटाएंदिल को छू लिया आपकी इस बेमिसाल ग़ज़ल ने....
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
बहुत खूबसूरत एहसास की गजल
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया ...
बहुत खूब! हरेक शेर लाज़वाब...आभार
jitnee bhee tareef kee jae kum hee hai ise gazal kee.
जवाब देंहटाएंkal pada tha Shastree jee ke blog par best Gazalkar ka award aapko mil raha hai.bahut bahut badhaee banbhoo.
aasheesh aur shubhkamnae.
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तरी की जाये उतनी कम होगी
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
छुप गया जो चाँद दिन निकल के आ गया
जवाब देंहटाएंआ न पाए वो शबे विसाल रह गया.....
bahut hi umda gajal
इक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
जवाब देंहटाएंफिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
waah digambar ji! bahut khoob!
parakashtha ,bisaale yaar ki...bahut khoob
जवाब देंहटाएंमुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
जवाब देंहटाएंमान गए उस्ताद
आप आ गए थे भूल से कभी इधर
जवाब देंहटाएंवादियों में आपका जमाल रह गया ...
Very appealing lines !
.
छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया
वाह.....लाजवाब...बस लाजवाब...
Gajal mahak uthi...ye to kamal ho gaya....
जवाब देंहटाएंइक हसीन हादसे का मैं शिकार हूँ
जवाब देंहटाएंफिर किसी का रेशमी रुमाल रह गया
देख कर मेरी तरफ तो कुछ कहा नहीं
मुस्कुरा के चल दिए सवाल रह गया
....
लाज़वाब ग़ज़ल ...आभार
aadarniy sir
जवाब देंहटाएंvilamb se post par aane ke liye bahut bahut xhma chahti hun.
aapke gazal ki saari ki saari hi panktiyanbehtreen lagin .
दिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
मिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया
bahut hi shandar tareeke se shabdo ko ek khoobsurat aayaam diya hai
aapne .
behatrren prastuti
sadr dhanyvaad
ponam
आपको और गुरदेव पंकज जी दोनों को बधाई..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है.
मेरे ब्लॉग पर आयें, स्वागत है.
चलने की ख्वाहिश...
"छत न मिल सकी मुझे तो कोई गम नहीं
जवाब देंहटाएंआसमाँ मेरे लिए विशाल रह गया"
"ऊपरवाला जब भी देता
देता छप्पर फाड़ के...!"
इस संसार रूपी घर की
छत इतनी बड़ी है कि
उसके बाद नीचेवाले की
छत छोटी लगने लगती है..!!
बहुत खूब.....
sabhi ne apko achhe comments kiye hain mere blog par bhi ek comment likh dijiye
जवाब देंहटाएंदिल ही दिल में आपका ख्याल रह गया
जवाब देंहटाएंमिल न पाए फिर कभी मलाल रह गया
था अबीर वादियों में तुम नहीं मिले
मुट्ठियों में बंद वो गुलाल रह गया'
फिर भावनाओं में बहा ले गई ये शेरनिया हा हा हा शेर से ज्यादा तेजतर्रार तो शेरनियां ही होती है ना?हा हा हा जानते हैं कहाँ ले गए मुझे ये दो शे'र? मेरे कृष्ण के पास...उस कृष्णा के पास जो युगों पहले छोड़ गया था अपनी राधे को और.....उसकी बंद मुट्ठियों में गुलाल आज् भी है. 'उसे' मालूम भी है या नही,नही मालूम.पर...मेरी प्रतीक्षा खत्म नही हुई बाबु! कभी कभी बहुत भावभीना लिखते हो.