बेरहम वक़्त
जीवन की डोर
लंबी कतार
मरीज़ों का शोर
प्रसूता कक्ष से आती
साँसों की सुगबुगाहट
मुनिया की आँखों में
भविष्य की आहट
जीवन का खेल
किरण की आशा
हल्का सा डर
कुछ कुछ निराशा
अटकी साँसें
कल के सपने
प्रतीक्षा और प्रसूता कक्ष के बीच
सदियों का फांसला
मटमैला
फटा पाजामा पहने
मुनिया का पति
कुछ लम्हे को अटका वक़्त
निस्तब्धता का शोर
अचानक
लंबी चीख के साथ गूँजती बच्चे की आवाज़
करवट बदलती श्रीष्टि
समय की अंगड़ाई
साँसों का प्रवाह
नयी सुबह की आहट
भड़भड़ा कर खुलते दरवाजे की चरमराहट की बीच
सफेद चादर में लिपटा मुनिया का बेजान शरीर
साथ ही गुलाबी चोला पहने
खिलखिलाता बचपन
साँसों के बदले
साँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
बाहर लगा मुस्कुराता होर्डिंग
बच्चे - हमारे आने वाले कल का भविष्य ....
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
....क्या बात कही है...?...वाह...
.
http://laddoospeaks.blogspot.com/
अपने भारत के कई गाँवों में बनते ऐसे क़िस्से...बेहद भावपूर्ण कविता ..दिल छू लिया दिगंबर जी क्या बताएँ कितने बढ़िया भाव वर्णित किया आपने एक संदेश देने के साथ साथ....बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंओह ! बेहद मार्मिक।
जवाब देंहटाएंचिकित्सा समाज का प्रयास तो यही है कि ऐसा न हो।
Oh! Behad dardnaak!
जवाब देंहटाएंओह , बहुत मार्मिक चित्रण...दर्दभरी रचना....
जवाब देंहटाएंभावुक कर गयी ये रचना.
वास्तविकता से परिचय कराती ये ....मार्मिक रचना .....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंकुछ लम्हे को अटका वक़्त
जवाब देंहटाएंनिस्तब्धता का शोर'
--और इसी शोर में खो जाती एक जिंदगी!
'भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता '
**स्थिति का सटीक आंकलन करती पंक्तियाँ
-मर्मस्पर्शी रचना .
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
क्या बात है ,लाजबाब
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
मार्मिक
बड़ा ही सम्वेदनशील शाब्दिक कोलाज़...."
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी. कहां से कहां ले गये आप !
जवाब देंहटाएंThe last verse really touches the heart and brings tears to the eyes..
जवाब देंहटाएं"Saanson ke badle,
Saanson ka sauda.."
Bahut hi bhavpoorn rachna..
The last verse really touches the heart and brings tears to the eyes..
जवाब देंहटाएं"Saanson ke badle,
Saanson ka sauda.."
Bahut hi bhavpoorn rachna..
बहुत ही गजब की रचना. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंएक हर्ट-ब्रेकिंग कविता..
जवाब देंहटाएंभविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
भारत मे प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु के आँकड़े हैरान कर देने वाले हैं..एक मातृत्व-विहीन बचपन कितना कष्टप्रद होता है..सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है..गहरे और जरूरी निहितार्थ छिपे हैं कविता मे..
Bahut hi bhavpoorn rachna....
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे!
जवाब देंहटाएंयही हमारे नेताओं के व व्यवस्था की सच्चाई है.
फिर वही बात कम शब्द अर्थ हजार.
रत्नेश त्रिपाठी
बहुत ही भावपूर्ण और मार्मिक रचना लिखा है आपने जो सराहनीय है! बधाई!
जवाब देंहटाएंशीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है। इस विषय पर इससे बेहतरीन रचना मैंने नहीं पढ़ी है। बहुत मार्मिक कविता।
जवाब देंहटाएंसाँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
.......बहुत मार्मिक कविता।
.दर्दभरी रचना....
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही मार्मिक रचना प्रस्तुत की है!
जवाब देंहटाएंपढ़कर मन भर आया!
jis tarah se aap likhte hai,main uski fan hoon sir :)
जवाब देंहटाएंdil ko dahaladene wala sajeev chitran......
जवाब देंहटाएंbahut sunder prastuti .
वास्तविकता से रूबरू कराती रचना रोंगटे खडी कर गई। बहुत बधाई नासवा जी।
जवाब देंहटाएंजीवन का खेल
जवाब देंहटाएंकिरण की आशा
हल्का सा डर
कुछ कुछ निराशा
waah waah kya baat hai...
behtareen....
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
great poem
"dard bhari rachaba "
जवाब देंहटाएंbadhai
-----eksacchai { AAWAZ}
"dard bhari rachaba "
जवाब देंहटाएंbadhai
-----eksacchai { AAWAZ}
"dard bhari rachaba "
जवाब देंहटाएंbadhai
-----eksacchai { AAWAZ}
जीवन का खेल
जवाब देंहटाएंकिरण की आशा
हल्का सा डर
कुछ कुछ निराशा
अटकी साँसें
कल के सपने
adbhut rachna ,vedana ke swar gunj rahe hai har shabdo me .
...बहुत सुन्दर, बेहद प्रसंशनीय रचना, बधाई!!!
जवाब देंहटाएंआपने कठिन भावों को शब्द दिया है.
जवाब देंहटाएंमार्मिक अभिव्यक्ति है. अपने उद्देश्य में सफल कविता है यह.
अचानक
जवाब देंहटाएंलंबी चीख के साथ गूँजती बच्चे की आवाज़
करवट बदलती श्रीष्टि
समय की अंगड़ाई
साँसों का प्रवाह
नयी सुबह की आहट
..........बहुत बधाई नासवा जी।
संवेदनशील हृदयस्पर्शी रचना, गज़ब का सुक्ष्मावलोकन और एक करारा व्यंग
जवाब देंहटाएंसाँसों के बदले
साँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
बाहर लगा मुस्कुराता होर्डिंग
बच्चे - हमारे आने वाले कल का भविष्य ....
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
atyant marmik aur samvedansheel rachna.
प्रसूता कक्ष से आती
जवाब देंहटाएंसाँसों की सुगबुगाहट
मुनिया की आँखों में
भविष्य की आहट
जीवन का खेल
किरण की आशा
हल्का सा डर
कुछ कुछ निराशा
अटकी साँसें
कल के सपने
प्रतीक्षा और प्रसूता कक्ष के बीच
सदियों का फांसला
वाह नासवा साहब, आपकी कल्पना की दौड़ ने जीवन का क्या खाका खींचा डाला, बहुत खूब !
.........बहुत बधाई नासवा जी।.........
जवाब देंहटाएंसाँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
बाहर लगा मुस्कुराता होर्डिंग
बच्चे - हमारे आने वाले कल का भविष्य ....
Ek kaduwa sach, dardbhari jeeti-jaati dastaan jisse man ko gahri thes pahunchti hai ki aakhir kab tak jhute sapne ke sahare jeeta rahega aam aadmi...
नसवा साहब
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना हरबार की तरह
इस बार भी लाजबाब |
सारी पीड़ा आँखों के सामने सजीव हो उठी
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करे
दिल को छु लेने वाली मार्मिक रचना बहुत पसंद आई यह ...सच के लफ्ज़ हमेशा दिल को भावुक कर देते हैं
जवाब देंहटाएंभड़भड़ा कर खुलते दरवाजे की चरमराहट की बीच
जवाब देंहटाएंसफेद चादर में लिपटा मुनिया का बेजान शरीर
साथ ही गुलाबी चोला पहने
खिलखिलाता बचपन
साँसों के बदले
साँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
बाहर लगा मुस्कुराता होर्डिंग
बच्चे - हमारे आने वाले कल का भविष्य ....
मानवीय संवेदनाओं और जाग्रत विवेक को रेखांकित करती पंक्तियां।
हमारी व्यवस्था के दोगलेपन पर तमाचा
बधाई
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
कहीं अस्पताल के किनारे बैठ लिखी लगती है ये दर्द से जुडी नज़्म......!!
भविष्य की चाह में
जवाब देंहटाएंवर्तमान से टूटा नाता
बहुत सुंदर, धन्यवाद
भावुक कर देने वाली बेहद मार्मिक प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंआभार्!
shuruvaat ki lainepadhate padhte jab antim panktiyo par pahunchitolaga ki kya likhun nihshabd ho ho gai. vastutahaajki sachchai yahi .sanso ke badale sanso ka souda dil ko kchot gai ye pankti.
जवाब देंहटाएंसाँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
बाहर लगा मुस्कुराता होर्डिंग
बच्चे - हमारे आने वाले कल का भविष्य ....
सत्य का कसैलापन लिए एक भावप्रणव कविता! अब तो होर्डिंग और प्रोपेगैंडा ही सब कुछ है.
Is rachna par kya tippani karun?Nishabd hoon.
जवाब देंहटाएंEK MAARMIK SACHCHAI...
जवाब देंहटाएंBAHUT BADHIYA....
KUNWAR JI,
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
सच्चाई बयां करती रचना ...........
बहुत करारा व्यंग्य ,करुण दशा का चित्रण ।अचानक लम्बी चीख के साथ गूंजती बच्चे की आवाज ,और सफ़ेद चादर मे लिपटा.......दुख व्यक्त किया जाये या क्रोध कुछ भी करो क्योंकि भविष्य के लालच मे बर्तमान की बलि चढती आई ही है
जवाब देंहटाएंसाँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा.....jane vidhi ka vidhaan kya hai
साँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
इन चन्द शब्दों ने पूरी जिन्दगी को सामने लाकर खड़ा कर दिया है, गहरे भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
aapki rachnaon ka intzaar hai.....
जवाब देंहटाएंhttp://i555.blogspot.com/ mein is baar तुम मुझे मिलीं....
jaroor padhein....
Wah ! wah !! adhbhut shailee, adbhut kathya....
जवाब देंहटाएंसीधे सरल शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता के लिए बधाई।
नासवा साहब
जवाब देंहटाएंक्या खाका बुना है आपने......उफ़.....प्रसूता के साथ का एहसास.......वाकई क्या रचना संसार है आपका.....!दिल से बधाई....
काबिले तारीफ़
जवाब देंहटाएंसाँसों के बदले
जवाब देंहटाएंसाँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता
ओह बहुत ही गहरी बात कह दी...इन शब्दों के माध्यम से
बहुत ही दर्द भरी अभिव्यक्ती ।
जवाब देंहटाएंसाँसों के बदले
साँसों का सौदा
भविष्य की चाह में
वर्तमान से टूटा नाता ।
आह और वाह !
बेहतरीन और मर्मस्पर्शी कविता---।
जवाब देंहटाएंनासवा जी, भाव विभोर कर दिया आपकी रचना ने.
जवाब देंहटाएंइस साहित्यिक बुलंदी के लिये बधाई.
विलंब के लिये क्षमा सहित.
bahut marmik aur bhavpurn kavita
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंहाथ भर दूरी पे पड़ा
इच्छा मृत्यु का वरदान
धीरे धीरे मुस्कुराता है ...
यही आखिरी सत्य है!
भावपूर्ण रचना |
रत्नेश त्रिपाठी