स्वप्न मेरे: बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

शुक्रवार, 8 मई 2009

बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

गूरू देव पंकज सुबीर जी के आर्शीवाद ने इस ग़ज़ल को निखारा है .......
उम्मीद है आपको भी पसंद आएगी .......


बेरुखी, शिकवे गिले, बच्चों सा तेरा रूठना
चार दिन इस जिंदगी के हैं नहीं ये भूलना

पंख हैं कोशिश करो उड़ने की उड़ ही जाओगे
छोड़ दो यूं बिल्लियों को देख आंखें मूंदना

था गलत वो कल भी और है आज भी उतना गलत
सिर्फ जाति को बना आधार इन्सां पूजना

क्या हुआ देवालयों में जा न पाये तुम अगर
फूल जो मसले गए उनको उठा कर चूमना

दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना

32 टिप्‍पणियां:

  1. जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना

    सबसे अच्छी बात यही है ..बहुत मासूम सी गजल है ..बच्चे की ख़ुशी में हर दर्द नाकाम है ..बहुत अच्छी लगी आपको यह गजल शुक्रिया

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  2. क्या हुआ देवालयों में जा न पाये तुम अगर
    फूल जो मसले गए उनको उठा कर चूमना
    kya behtreen sher racha he...///me to is sher me bahut gahre tak chala gaya..paya ki gar "kuchlo" ko "choomne" ki vidha prachlit ho jaye to yakinan "ful" ( desh ke bachche yaa boodhe yaa fir dabe hue log) kabhi murjhaye hi nahi//fir samaz sevak ki bhumika me sansthaye aadi banae ki kya jaroorat??? kher..aapki gazal ki disha me badal rahaa hu, kintu hota yahi he ki ham sochte kuchh he aour uske arth bahut vyapak tarike se nikal kar baahar aate he/
    harek sher LAZAVAAB he//fir vahi kahunga- PANKAJ JI ka haath lag jaaye to paaras hona hi he////

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  3. जिंदगी के फलसफे को आपने गजल में बहुत खूबसूरती से उकेरदिया है।

    -----------
    SBAI TSALIIM

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  4. DARD UNKA KYA HAI JINKE SIR PE HOTI CHHAT NAHI...
    BAHOT HI KARINE SE KAHI HAI AAPNE YE SHE'R ,BEHAD UMDA BAN PADAA HAI ... IS SHE'R PE KYA KAHUN ... BAHOT BAHOT BADHAAYEE AAPKO GURU DEV KO SAADAR PRNAAM KAHEN...

    AAPKA
    ARSH

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  5. जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना

    yahi sach hae

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  6. जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना

    wah digambar ji kamaal ka likha hai. sach hai bachche ko to dekh kar hi gam door ho jaata hai. badhai.

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  7. क्या हुआ देवालयों में जा न पाये तुम अगर
    फूल जो मसले गए उनको उठा कर चूमना....
    बहुत सुंदर लाइनें .बधाई .

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  8. दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना
    bhut ghri bat khi hai
    badhai

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  9. दिगंबर जी
    अलग हट के गजल कही आपने
    तेवर अच्छे लगे

    ये शेर पसंद आये

    क्या हुआ देवालयों में जा न पाये तुम अगर
    फूल जो मसले गए उनको उठा कर चूमना

    दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

    जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना

    वीनस केसरी

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  10. बहुत सुन्दर।
    घुघूती बासूती

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  11. जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना
    ... prabhaavashaalee abhivyakti !!!

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  12. bahut achchi gazal..
    दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना
    Waah is pankti me bahut gehraayi hai..

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  13. जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना
    -
    पंख हैं कोशिश करो उड़ने की उड़ ही जाओगे
    छोड़ दो यूं बिल्लियों को देख आंखें मूंदना
    ***--बहुत खूबसूरत ख्याल हैं.


    दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

    वाह! वाह! वाह!
    बहुत उम्दा शेर!

    बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल कही है आप ने!
    बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  14. जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना
    -
    पंख हैं कोशिश करो उड़ने की उड़ ही जाओगे
    छोड़ दो यूं बिल्लियों को देख आंखें मूंदना
    ***--बहुत खूबसूरत ख्याल हैं.


    दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

    वाह! वाह! वाह!
    बहुत उम्दा शेर!

    बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल कही है आप ने!
    बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  15. दिगंबर जी ,
    पूरी गजल पढ़ कर मन खुश हो गया ..पर इस
    sher की बात ही अलग है ..बहुत khoobsoorat
    दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना....
    बधाई
    Hemant

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  16. बेरुखी, शिकवे गिले, बच्चों सा तेरा रूठना
    चार दिन इस जिंदगी के हैं नहीं ये भूलना

    बहुत ही खूबसूरत और लाजवाब.

    रामराम.

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  17. भई दिगम्बर जी, क्या बात है.....बहुत ही खूबसूरत गजल.....खास तौर पर पहला,पांचवा और अन्तिम शेर तो जबरदस्त है...

    "जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना "

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  18. बेरुखी, शिकवे गिले, बच्चों सा तेरा रूठना
    चार दिन इस जिंदगी के हैं नहीं ये भूलना

    हर बार की तरह लाजवाब.......!!

    दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

    वाह...वाह.....बहुत खूब....!!

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  19. बेहतरीन रचना. कई जगह जिंदगी की असली खूबसूरती को उकेरा है शब्दों में जैसे बच्चे की खिल खिल हंसी.... चार दिन इस जिंदगी के हैं नहीं ये भूलना,.....पंख हैं कोशिश करो उड़ने की उड़ ही जाओगे ,.....
    और ये पंक्तियाँ तो गजब ही है... क्या बात लिखी है, jawab नहीं..-
    दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

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  20. बेहतरीन ग़ज़ल है लेकिन जाति की स्पैलिंग ठीक हो जाये तो और बेहतर हो जायेगी..... वाहवा...

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  21. क्या ग़ज़ल कही है दिगम्बर जी...बगैर रदीफ़ के कयामत बरपाती हुई कि बस उफ़्फ़-वाह किये जा रहा हूँ मै...
    किसी एक शेर चुनना दुश्वार है, सब-के-सब लाजवाब हैं सरकार...

    just superb !!!!

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  22. क्या हुआ देवालयों में जा न पाये तुम अगर
    फूल जो मसले गए उनको उठा कर चूमना

    bahut hi badhiya...

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  23. मोदगिल जी............शुक्रिया ध्यान दिलाने का, गलती सुधार ली है

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  24. जब कभी छाने लगे दिल पर उदासी की घटा
    तब किसी बच्चे की खिल खिल में खुशी को ढूंढना ....mere man ki baat kah di ...aapne...bachchon se bahut hi prit rakhta hoon

    जवाब देंहटाएं
  25. आप मेरे ब्लॉग पर आए और एक उत्साहवर्द्धक कमेन्ट दिया, शुक्रिया.
    आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला। वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। आप की रचनाएँ, स्टाइल अन्य सबसे थोड़ा हट के है... आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे. बधाई स्वीकारें।

    आप के अमूल्य सुझावों और टिप्पणियों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...

    Link : www.meripatrika.co.cc

    …Ravi Srivastava

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  26. दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना

    क्या बात है .....

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  27. digambar ji

    kya khoob likha hai .. deri se aane ke liye maafi chahunga ... aapki gazal padha to buis padhte hi chale gaya.. aur zindagi ke kitne kareeb hai aapke ahsaas , bhai main to aapki lekhni ko salaam karta hoon ..

    dil se bahdai

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  28. था गलत वो कल भी और है आज भी उतना गलत
    सिर्फ जाति को बना आधार इन्सां पूजना

    संदेश भी सुंदर, शब्द भी सुंदर
    और सुनाने का अंदाज भी सुंदर
    सुखनवर, सुखनवर, सुखनवर...

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  29. बेरुखी, शिकवे गिले, बच्चों सा तेरा रूठना
    चार दिन इस जिंदगी के हैं नहीं ये भूलना

    पंख हैं कोशिश करो उड़ने की उड़ ही जाओगे
    छोड़ दो यूं बिल्लियों को देख आंखें मूंदना


    sundar ati sundar

    shabdo ko bahot khoobsurti se sajaya hai

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  30. दर्द उनका क्या है जिनके सर पे होती छत नहीं
    बारिशों में भीगते छप्पर से जाकर पूछना
    सुन्दर!

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