अभी अभी एक लम्हे की इब्तदा हुई
जागती आँखों में कुछ ख़्वाब सुगबुगाने लगे
ये कायनात जैसे ठिठक गयी
घने कोहरे की चादर चीर कर
रौशनी मद्धम मद्धम मुस्कुराने लगी
आसमान से टूट कर कोई तारा
ज़मीन पर बिखर गया
वो लम्हा अब निखर गया
कैनवस की आड़ी तिरछी रेखाओं में
एक अक्स साकार होने लगा
वो लम्हा साँस लेने लगा
वो लम्हा साँस लेने लगा
सारी कायनात झूम उठी
पल उस पल जैसे ठहर गया
साँस जैसे थम गयी
xxxxxx......
तुमने क्यों अचानक मुझे
झंड्झोर कर उठा दिया
लम्हा मेरे हाथ से फिसल कर
वक़्त की गहराइयों में खो गया
वो कहने को तो एक लम्हा ही था
पर मेरी जिंदगी निचोड़ गया
मेरी जिंदगी निचोड़ गया
सुंदर भावसहित रचना बहुत बहुत बधाई मेरे ब्लॉग पर पधारने का धन्यबाद अपना आगमन नियमित बनाए रखे और मेरी नई रचना कैलेंडर पढने पधारें
जवाब देंहटाएंD13ABB2CB6
जवाब देंहटाएंhacker arıyorum
kiralık hacker
tütün dünyası
-
-
583AC1DBD0
जवाब देंहटाएंBeğeni Satın Al
Telafili Takipçi
Instagram Takipçi Atma