स्वप्न मेरे: माँ का दिल ...

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

माँ का दिल ...


कहते हैं गंगा मिलन
मुक्ति का मार्ग है

कनखल पे अस्थियां प्रवाहित करते समय
इक पल को ऐसा लगा
सचमुच तुम हमसे दूर जा रही हो ...

इस नश्वर संसार से मुक्त होना चाहती हो
सत्य की खोज में
श्रृष्टि से एकाकार होना चाहती हो

पर गंगा के तेज प्रवाह के साथ
तुम तो केवल सागर से मिलना चाहती थीं
उसमें समा जाना चाहती थीं

जानतीं थीं
गंगा सागर से अरब सागर का सफर
चुटकियों में तय हो जाएगा    
उसके बाद तुम दुबई के सागर में
फिर से मेरे के करीब होंगी ...    

किसी ने सच कहा है
अपनी माँ के दिल को जानना
मुश्किल नहीं ...  

(१३ वर्षों से दुबई रहते हुवे मन में ऐसे भाव उठाना स्वाभाविक है) 

58 टिप्‍पणियां:

  1. किसी ने सच ही कहा है वाकई माँ का दिल दरिया है जिसका कोई पार नहीं ....बेहतरीन शब्द दिए आपने अपनी भावना को ...

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  2. सर्वप्रथम नमस्कार ,सच कहा इतने लम्बे समय परदेश में गुजारने के बाद ऐसा मन में भाव आएगा ही। अपने सुंदर भाव को पप्रस्तुति का सार्थक अंदाज। मैं अबू धाबी में 10 से हूँ।
    rajendra651@gmail.com

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  3. जानतीं थीं
    गंगा सागर से अरब सागर का सफर
    चुटकियों में तय हो जाएगा
    उसके बाद तुम दुबई के सागर में
    फिर से मेरे के करीब होंगी ...

    भावुक , भावना -पूर्ण !

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  4. माँ के प्रति आदर और प्रेम जतातीं सुंदर पंक्तियाँ..

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  5. संस्मरण में रण दिखा, सुमिरन सा भावार्थ |
    खड़े खड़े कुरुक्षेत्र में, होते विचलित पार्थ ?

    होते विचलित पार्थ, नहीं परमारथ भूलो |
    एक बार फिर आज, चरण माता के छू लो |

    माता रही विराज, युगों से ईश चरण में ||
    निहित मरण सा शब्द, नासवा संस्मरण में || |

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  6. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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  7. माँ के जाने के बाद उसे करीब पाने की लालसा व्यक्त करती सुंदर रचना ।

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  8. शब्द नहीं मिलते आपकी ऐसी कविता पर कुछ कहने को,
    मन भावुक हो जाता है

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  9. भावुक मन से भी सो स्वीट कहने को मन किया.

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  10. माँ के प्रति आपके मनोभावों को सादर सलाम

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  11. अत्यधिक मर्मस्पर्शी रचना ... माँ और माँ का प्यार अविस्मरणीय होता है.

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  12. ओह रे ताल मिले नदी के जल में ,

    नदी मिले सागर में ,

    सागर मिले कौन से जल में ,

    कोई जाने न .

    कुछ ऐसा ही अन्वेषण है कवि का इस रचना में .आत्मा एक ऊर्जामय चेतना ही है जो रूपांतरित होती है .शरीर तत्व पञ्च तत्व में विलीन हो जाता है आत्मा आत्मिक चक्र में चली आती है .आभार

    आपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियों का .

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  13. आपके ह्रदय में उठते सहज भाव का हम ह्रदय से सम्मान करते हैं..

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  14. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  15. माँ की यादें बहुत प्यारी होती हैं !!

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  16. बिलकुल ठीक कहा आपने ऐसा लगना स्वाभाविक सी बात है मार्मिक रचना...

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  17. अत्यंत भावुक और मर्मस्पर्षि रचना.

    रामराम.

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  18. वाह, बहुत खूब!!! बस और कुछ नहीं है कहने को।।।

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  19. बहुत सुन्दर भावुक और मार्मिक रचना . आभार

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  20. मुझे निर्मल वर्मा की वो पंक्तियाँ याद आती हैं जब कोई हिंदू अपने परिजनों की अस्थियाँ हरिद्वार में गंगा में बहाता है तो उसे वैसे ही संपूर्ति की प्राप्ति होती होगी जैसा कि ग्रीक लेखकों को कैथार्सिस की संपूर्ति में प्राप्त होती थी।

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  21. मार्मिक है माँ के लिये आपकी वेदना । इसे वही महसूस कर सकता है जिसे यह वेदना सहनी पडी हो ।

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  22. इन भावों को महसूस करना उनको अपने पास पाना ही है ..यादों में जो हर वक्त साथ रहे वो न हो कर भी पास ही है...उनका आशीर्वाद और कृपा दृष्टि आप पर बनी रहे ..यह भावपूर्ण रचना उन्हें श्रद्धा सुमन हैं.

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  23. ह्रदय में उतरते मन के भाव निशब्द करते हुए

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  24. जी सचमुच, माँ है, आप हैं, हम हैं तो इस जगत में भावनाओं की प्रधानता है। भाव निशब्द करते हैं।

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  25. भावमय करते शब्‍द ... नि:शब्‍द करती अभिव्‍यक्ति
    सादर

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  26. सुन्दर प्रस्तुति!
    वरिष्ठ गणतन्त्रदिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ और नेता जी सुभाष को नमन!

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  27. आदरणीय सर आपके ह्रदय के हाल का मैं अनुभव कर सकता हूँ. माँ के लिए यह समर्पण और प्रेम भाव मुझे भावुक कर गया. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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  28. विश्व हमारा एक रहेगा, जल के माध्यम से, तटों के माध्यम से, मार्मिक रचना।

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  29. MA KO HARDIK SHRDHANJALI .....

    MAMSPARSHI RACHANA KE LIYE HARDIK BADHAI NASWA JI .......ESKE SATH HI SATH AK KHAS BADHAI BHI SWEEKAREN KI AP NE BLOG PR APNI TASHVIR LGA DI HAI .

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  30. भीगी-भीगी सी रचना....
    आप कहीं भी हों... माँ को आपके पास आने के लिए किसी ज़रिए की ज़रूरत नहीं... वो तो हमेशा ही आपके पास, आपके साथ हैं.....
    ~सादर!!!

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  31. भीगी-भीगी सी रचना....
    आप कहीं भी हों... माँ को आपके पास आने के लिए किसी ज़रिए की ज़रूरत नहीं... वो तो हमेशा ही आपके पास, आपके साथ हैं.....
    ~सादर!!!

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  32. सबसे पहले माँ को नमन. दिल छू गए आपके शब्द. दूर हो के भी माँ दूर कैसी जा सकती है.

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  33. माँ के दिल को जानना कठिन नहीं..दुःख है आज लोग उसको जानने की कोशिश नहीं करते..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  34. माँ की यादें आसानी से भुलाई नहीं जा सकती हैं. भावनात्मक अभिव्यक्ति.

    ६४ वें गणतंत्र दिवस पर बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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  35. man ko kareeb pane ke liye hamara man kya kya soch leta hai.bahut sunder .

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  36. माँ की ममता बच्चो को ढूढ़ लेती है |

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  37. maa se kabhi koi juda nhi ho sakta.
    sunder abhiwaykti..

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  39. माँ की स्मृति को गंगा नदी, सागर और अरब सागर से जोड़ कर जीवन को समझने की कोशिश और दुःख में सुख की तलाश... बहुत अच्छी और भावुक रचना. शुभकामनाएँ.

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  40. मन को झंकृत करती एक अच्छी कविता |आभार

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  41. सागर की लहरों में मां की लोरियों की धुन !

    हृदय को स्पर्श करने वाले शब्द।

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  42. मां महान, संसारवान। सुन्‍दर अनुभूति।

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  43. माँ कितनी भी दूर हो ....रहती हमेशा आस पास ही है ......तभी तो हमेशा हर विपदा में उसी का नाम ज़बान पर आता है .......और सुकून भी मिल जाता है ....

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