स्वप्न मेरे: मेरी जाना ...

गुरुवार, 24 मई 2012

मेरी जाना ...


रोज सिरहाने के पास पड़ी होती है   
चाय की गर्म प्याली और ताज़ा अखबार 
याद नहीं पड़ता कब देखा 
माँ की दवाई और बापू के चश्मे से लेकर ...       
बच्चों के जेब खर्च और नंबरों का हिसाब 

पता नहीं कौन सी चाभी भरी रहती है तुम्हारे अंदर 

सबके उठने से पहले से लेकर 
सबके सो जाने के बाद तक  
हर आहट पे तुम्हें जागते देखा है 
सब्जी वाले से लेकर मांगने वाला तक 
तुम्हारे दरवाज़े पे दस्तक देता है  

सुबह से शाम तक  
तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में   
न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं 
आँखों के सामने से  

मेरी जाना ... 
तुम्हारा प्यार जानने के लिए 
ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना   
या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ...  

75 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी जाना ...
    तुम्हारा प्यार जानने के लिए
    ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना
    या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ...

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,

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  2. पता नहीं कौन सी चाभी भरी रहती है तुम्हारे अंदर ...
    बस इसी बात को स्वीकारना .....कितना खूबसूरत अहसास है !!!!!

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  3. अपने घर में यही मैं भी महसूस करता हूँ,आपने सच कहा है !!

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी जाना ...
    तुम्हारा प्यार जानने के लिए
    ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना
    या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ... ………क्योंकि मोहब्बत ऐसे भी की जाती है………प्रेमपूर्ण अभिव्यक्ति।

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  5. गृह स्वामिनी को भी छुट्टी मिलनी चाहिए ।
    सुन्दर अहसास संजोये हैं ।

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  6. गृहणियों को समर्पित कविता... कोमल से एहसास हैं इस कविता में...

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  7. पाना ही पुरुष की फितरत रही है
    प्रियतम ने जो कही नहीं अब तक
    उसे चाहता नहीं सुनना भी
    मानकर कि एक वो ही सही है!

    जवाब देंहटाएं
  8. सबके उठने से पहले से लेकर
    सबके सो जाने के बाद तक
    हर आहाट पे तुम्हें जागते देखा है
    सब्जी वाले से लेकर मांगने वाला तक
    तुम्हारे दरवाज़े पे दस्तक देता है

    सुबह से शाम तक
    तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजार जाते हैं
    आँखों के सामने से सशक्त भाव चित्र ,वस्तु परक विश्लेषण प्रेम को व्यापक कलेवर देता हुआ कृपया -'आहट' करें आहाट के स्थान पर और गुज़र जातें हैं करें गुज़ार ....के स्थान पर शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    23 मई 2012
    ये है बोम्बे मेरी जान (अंतिम भाग )
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    यहाँ भी देखें जरा -
    बेवफाई भी बनती है दिल के दौरों की वजह .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  9. ये सब खूबसूरत अहसासों की माया है ....
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  10. सुबह से शाम तक
    तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं
    आँखों के सामने से
    वाह..कितना खूबसूरत अहसास..और बहुत सुंदर शब्दों में, बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  11. यह स्वीकारोक्ति ही बड़ी बात है ..कहाँ सबके बस का होता है.
    बढ़िया रचना.

    जवाब देंहटाएं
  12. यह स्वीकारोक्ति ही बड़ी बात है ..कहाँ सबके बस का होता है.
    बढ़िया रचना.

    जवाब देंहटाएं
  13. इसी को तो पूर्ण समर्पण कहते हैं अपने परिवार और जिम्मेदारियों के प्रति... :-)
    बहुत खूब.... आप भी शामिल हैं आज 24-5-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर... धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुन्दर नासवा जी...मन खुश हो गया पढ़ कर....बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  15. इसे समझ और स्वीकार लिया गया न इतना ही काफी है उनके लिए...अति सुन्दर कोमल अहसास... मन प्रसन्न हो गया रचना पढ़कर... शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति..आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. नासवा साहब, सच्चाई है या फिर कपोल कल्पना ?

    यदि सच्चाई है तो निश्चिततौर पर किस्मत के धनी हो,

    और यदि मेरी ही तरह खाब देखने की बुरी आदत है तो

    हमारे महान अर्थशास्त्रियों जैसे मनमोहन सिंह, बंगाली बाबू ,

    मोंटेक सिंह को किसी ने यह सुझाव अभी तक नहीं दिया कि

    भारतीयों के खाब देखने पर भी सर्विस टैक्स लगा डालों :) :)

    वैसे रचना बहुत सुन्दर है !

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  18. वाह बहुत सुन्दर ..बहुत ही स्वीट सी रचना है :)

    जवाब देंहटाएं
  19. मेरी जाना ...
    तुम्हारा प्यार जानने के लिए
    ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना
    या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ...

    स्त्रियाँ इतनी सहजता से कितने सारे काम कर जाती हैं दिन भर में... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!!

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  20. सुबह से शाम तक
    तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं
    आँखों के सामने से


    इतना अनुभव करना या महसूस कर लेना काफी होता है एक गृहणी के लिए ... बहुत कोमल भावों से रची सुंदर रचना

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  21. जिस अहसास के साथ आपने यह रचना की है उस पर तो यही कहना है कि “अच्छी योजना बनाना बुद्धिमानी का काम है पर उसको ठीक से पूरा करना धैर्य और परिश्रम का। ”

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  22. गज़ब की अभिव्यक्ति सर ....

    जवाब देंहटाएं
  23. सहज़ शब्‍दों में भावमय करती अभिव्‍यक्ति ... अनुपम

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  24. तुम्हें बस महसूस करना है
    तुम तो एक पूरी ज़िन्दगी हो ...

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  25. दिगंबर जी,
    खामोशी कि जुबान और समर्पण का शब्दचित्र है आपकी यह रचना.. हमेशा की तरह सुन्दर!! सहरा में संवेदना का सोता देखना हो तो आपकी कविताओं में कोई देखे!!

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  26. बिलकुल सही मै भी रोजाना भोगता हूँ ! सलाम इन्हें

    जवाब देंहटाएं
  27. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,...

    जवाब देंहटाएं
  28. कितनी खुबसूरत रचना...
    सादर बधाई सर...

    जवाब देंहटाएं
  29. दिगंबर भाई...क्या कहूँ...बस पढ़ रहा हूँ और आपके हुनर की दाद दे रहा हूँ...लाजवाब रचना है...अन्दर तक उतर गयी है...जियो भाई जियो...

    नीरज

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  30. रोज सिरहाने के पास पड़ी होती है
    चाय की गर्म प्याली और ताज़ा अखबार
    याद नहीं पड़ता कब देखा
    माँ की दवाई और बापू के चश्मे से लेकर ...
    बच्चों के जेब खर्च और नंबरों का हिसाब



    खूबसूरत रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  31. ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना
    या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ...
    khubsurat sachchai ko komal bhavo me piroya hai .
    salute to all house wife!

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  32. बहुत सुंदर , सच्ची, स्पष्ट अभिव्यक्ति.....

    जवाब देंहटाएं
  33. कोमल भाव...गृहणी को समर्पित बेहद खूसूरत रचना !!

    जवाब देंहटाएं
  34. मेरी जाना ...
    तुम्हारा प्यार जानने के लिए
    ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना
    या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ...
    भई पति कवि हो तो कम से कम पत्नी को यह पढ़ने को तो मिले. जो मुंह से न कहो ....इसे ही सामने रख दो उनके. उनके प्रति यह आपका प्यार है..सम्मान है. गोस्वामीजी को पढ़वा दिया उठे ही. बोले-'यह तो हम सभी कहना चाहते हैं. मानते हैं. कहते नही.उन्हें मेरा थेंक्स देना कि.........हमारे दिल की बात कही है उन्होंने. सब पत्नियों को समर्पित करता हूँ ' हा हा हा कितने कोमल अहसास है! :)

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  35. वाह!!!!

    बहुत सुंदर.................
    कितना प्यारा तोहफा है ये एहसासों का, एक पत्नि के लिए...एक गृहणी के लिए......
    रचना भा गयी मन को.....

    सादर.

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  36. बहुत बढिया, दिगम्बर जी!

    जवाब देंहटाएं
  37. बहुत बेहतरीन रचना.सुन्दर प्रस्तुति.
    पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं ।

    दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में .....

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  38. उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  39. सुबह से शाम तक
    तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं
    आँखों के सामने से

    हां, सहधर्मिणी न जाने कितने किरदार निभाती है।
    बहुत अच्छी कविता।

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  40. सुबह से शाम तक
    तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं
    आँखों के सामने से
    समय की नोंक पर थिरकती अन्नपूर्णा ,कमर कसे ,होठों में स्मित छिपाए तैनात है हर घर में .... .. बढ़िया प्रस्तुति है .... .कृपया यहाँ भी पधारें -
    रविवार, 27 मई 2012
    ईस्वी सन ३३ ,३ अप्रेल को लटकाया गया था ईसा मसीह
    .
    ram ram bhai
    को सूली पर
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    तथा यहाँ भी -
    चालीस साल बाद उसे इल्म हुआ वह औरत है

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  41. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    हैल्थ इज वैल्थ
    पर पधारेँ।

    जवाब देंहटाएं
  42. वाह...इतनी प्यारी कविता!!! :)
    कितने लोग तो इसे अपनी पत्नियों को अपनी लिखी कविता बोल कर सूना देंगे :D

    जवाब देंहटाएं
  43. बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  44. तुम्हारा प्यार जानने के लिए
    ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना
    या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ...

    ....बहुत खूब....सच में एक ग्रहणी कितने रोल निभाती है...

    जवाब देंहटाएं
  45. कोमल भाव व्यक्त करती बेहतरीन रचना...:-)

    जवाब देंहटाएं
  46. सुबह से शाम तक
    तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं
    आँखों के सामने से


    फिर भी कहलातीं तुम बस हाउस वाइफ ,

    निकलो घर से बाहर कहलाओगी 'कामकाजी '

    हो जायेगी बेटर लाइफ .

    फिर भी कहलाती हो इकोनोमिकाली अन -प्रोडक्टिव ,

    करो जन गणना गुरुओं को सलाम ,

    Marital Love

    समय संगम का दवाब उसके परिणाम
    ram ram bhai
    मंगलवार, 29 मई २०१२
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  47. रोज सिरहाने के पास पड़ी होती है
    चाय की गर्म प्याली और ताज़ा अखबार
    याद नहीं पड़ता कब देखा
    माँ की दवाई और बापू के चश्मे से लेकर ...
    बच्चों के जेब खर्च और नंबरों का हिसाब
    ...sab vqkt ke baat hoti hai...
    bahut hi sundar prastuti..

    जवाब देंहटाएं
  48. माय लव में मुकेश जी का गाया गीत याद आ गया
    तुझको देखा है मेरी नज़रों ने
    तेरी तारीफ हो मगर कैसे
    कि बने ये नज़र जुबाँ कैसे
    कि बने ये जुबाँ नज़र कैसे

    न जुबाँ को दिखाई देता है
    न निगाहों से बत होती है
    जिक्र होता है जब कयामत का
    तेरे जल्वों की बात होती है............

    जवाब देंहटाएं
  49. तुम्हारा प्यार जानने के लिए
    ज़रूरी नहीं तुम्हारी खामोशी को जुबां देना
    या आँखों में लिखी इबारत पढ़ना ...

    ये कह देती हैं सब बातें जो कहना भूल जाते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  50. सुबह से शाम तक
    तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं
    आँखों के सामने से


    एक सुंदर गृहिणी की सुंदर सी तस्वीर उतारती इस सुंदर रचना के लिए बधाई !!

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  51. लाज़वाब।

    खुदा इस नज़्म को मेरी जानम से दूर रखे...मुझे महफूज रखे।:) आज जाना आपकी बेहतरीन गज़लों का राज।

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  52. गृहस्वामिनी का त्याग एक अकथ कहानी है
    बहुत ही प्यारे ढंग से प्रस्तुत किया है उसे आपने
    बहुत सुन्दर सर

    जवाब देंहटाएं
  53. सासू जी ने भावे गुड चना ,सुसराजी ने भावे हरियो पोदिनो '

    लुड जा रे हरियो पोदीना .

    नासवा जी यह जो चाव है घर की फरमाइश पूरी करने का होंठों में दबी हुई मुस्कान के साथ यही चाबी है अन्नपूर्णा की ऊर्जा स्रोत है उसका जो उसे ता -उम्र फिरकी की तरह घुमाए रहता है हँसते हँसते लेकिन आज ये चाव काल शेष है जहां है वे लोग अमीर है दिल के ,दिल की दौलत के .आपका शुक्रिया स्नेहिल हाजिरी के लिए .कृपया यहाँ भी -


    बृहस्पतिवार, 31 मई 2012
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?

    माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .

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  54. बहुत गहरे ..प्यार से भरे हुए भाव ...और वैसे भी प्यार को एहसासों की जरुरत हैं ...कभी कभी शब्द गौण बन जाते हैं ....सादर

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  55. बहुत गहरे ..प्यार से भरे हुए भाव ...और वैसे भी प्यार को एहसासों की जरुरत हैं ...कभी कभी शब्द गौण बन जाते हैं ....सादर

    जवाब देंहटाएं
  56. sir, aapne ye geet likha to sambhavatah apni ardhaangini ke liye hai lekin ise padhkar mujhe apni mommy ka hi dhyaan aaya

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  57. क्या खूब कहा है!
    अगर सभी पति ऐसा सोचने लगें तो समाज का कल्याण हो जाए.. घर को संभालना बाहर के काम से ज्यादा कठिन है इसलिए उसे ज्यादा इज्ज़त मिलनी चाहिए..

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  58. यही वह किरदार है जो दुनिया को चलाए रखता है.

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  59. ’मेरी जाना—’ बहुत सुंदर बन पडा है,प्यार की सीमा सीमाविहीन होती है,
    एक अहसास,ठंडी हवा का झोंका--

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  60. ’मेरी जाना—’ बहुत सुंदर बन पडा है,प्यार की सीमा सीमाविहीन होती है,
    एक अहसास,ठंडी हवा का झोंका--

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  61. तुम्हारी झुकी पलकें और दबे होठों के बीच छुपी मुस्कुराहट में
    न जाने कितने किरदार गुजर जाते हैं!!

    kya baat kahi uncle aapne. . sacch me yahi baat hai jinme auraten mardon per hamesha bhari rahengi. . aur hum unke aabhari.!!

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  62. I was very encouraged to find this site. I wanted to thank you for this special read. I definitely savored every little bit of it and I have bookmarked you to check out new stuff you post.

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है