धार के विपरीत जा कर देखिये
जिंदगी को आजमा कर देखिये
खिड़कियों से झांकती है रौशनी
रात के परदे उठा कर देखिये
आंधियाँ खुद मोड लेंगी रास्ता
एक दीपक तो जला कर देखिये
भीगना जो चाहते हो उम्र भर
प्रीत गागर में नहा कर देखिये
होंसला तो खुद ब खुद आ जायगा
सत्य को संबल बना कर देखिये
जख्म अपने आप ही भर जायंगें
खून के धब्बे मिटा कर देखिये
बाजुओं का दम अगर है तोलना
वक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
खिड़कियों से झांकती है रौशनी
जवाब देंहटाएंरात के परदे उठा कर देखिये
....बहुत खूब नासवा जी
वाह! बेहतरीन.... ग़ज़ल के माध्यम से एक दम सही बात कही है आपने...
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
..लाज़वाब।
जख्म अपने आप ही भर जायंगें
जवाब देंहटाएंखून के धब्बे मिटा कर देखिये
हर पंक्तियाँ सार्थक संदेश देती हुई बेहतरीन ग़ज़ल।
हौसला देती खूबसूरत गज़ल ...
जवाब देंहटाएंओजश्वी और प्रेरणादायी , ललकारती गजल बधाई
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चेतना भरती ग़ज़ल... बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंआशा का संचार करती ग़ज़ल.. दुष्यंत जी की याद दिला रही है.. बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है.
जवाब देंहटाएंदिल में हिम्मत व हौंसला जगाती हुई.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
दीपावली,गोवर्धन व भैय्या दूज की हार्दिक
शुभकामनाएँ.
Haan,hausle aur ummeed se hi jeevan hai.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर साकारात्मक सोच लिए बढ़िया प्रस्तुति भाई दूज की शुभकामनायें ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे जज़्बात,बेहतरीन भावों को कलमबद्ध किया है आपने
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार दीपावली व नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये... dard hi nahin, uski urvarak kshamta bhi , bahut achha to aap likhte hi hain
गज़ल का हर शेर लाजवाब, शानदार दिल मे उतरता हुआ।
जवाब देंहटाएंदर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
बहुत खूब लिखा है आपने ... बेहतरीन प्रस्तुति ।
बिलकुल.जहाँ चाह वहाँ राह..बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना.
जवाब देंहटाएंआंधियाँ खुद मोड लेंगी रास्ता
जवाब देंहटाएंएक दीपक तो जला कर देखिये
..सुन्दर....सच एक-एक दिए से नयी राहें बन जाती है..
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
...सच मिटटी के दर्द को वही समझ सकता है जो उसमें रचता बसता हो..
बहुत ही सुन्दर प्रेरक रचना प्रस्तुति...
खिड़कियों से झांकती है रौशनी
जवाब देंहटाएंरात के परदे उठा कर देखिये
यह शेर तो बेहद खूबसूरत है। बहुत ही अच्छी गजल, बधाई।
यथार्थ चित्रण है इस कविता मे।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब , नासवा साहब !
जवाब देंहटाएंसही है ||
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
बहुत ही सुन्दर...
.
जवाब देंहटाएं.
.
आंधियाँ खुद मोड लेंगी रास्ता
एक दीपक तो जला कर देखिये
होंसला तो खुद ब खुद आ जायगा
सत्य को संबल बना कर देखिये
क्या खूब शेर कहे हैं, लाजवाब, याद रखने लायक...
...
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
वाह!
बाजुओं का दम अगर है तोलना
जवाब देंहटाएंवक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
Kya gazab kaa likha hai!
बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएं--
कल के चर्चा मंच पर, लिंको की है धूम।
अपने चिट्ठे के लिए, उपवन में लो घूम।
बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंआंधियाँ खुद मोड लेंगी रास्ता
जवाब देंहटाएंएक दीपक तो जला कर देखिये
बाजुओं का दम अगर है तोलना
वक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
हौसला और हिम्मत देती रचना ।
शानदार ग़ज़ल ।
प्रेरक और सार्थक गजल
जवाब देंहटाएंek se bad kar ek sher.
जवाब देंहटाएंlajawab prastuti.
hausle buland karti abhivyakti.
har sher bahut umda, bahut gahri baat...
जवाब देंहटाएंदर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
shubhkaamnaayen.
prerna dayee gazal...
जवाब देंहटाएंसुन्दर और प्रेरक रचना ।
जवाब देंहटाएंहोंसला तो खुद ब खुद आ जायगा
जवाब देंहटाएंसत्य को संबल बना कर देखिये
बहुत बढ़िया ...
सत्य का संबल ही तो हौसला है.. बेहद खुबसूरत ..
जवाब देंहटाएंदर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
क्या बात है दिगंबर जी , मर्मस्पर्शी सृजन ,बहुत -२ बधाईयाँ जी /
आंधियाँ खुद मोड लेंगी रास्ता
जवाब देंहटाएंएक दीपक तो जला कर देखिये
utsahvardhan karti hui hamesha ki tarah sundar rachna
उत्तम प्रस्तुति, आभार
जवाब देंहटाएंसदा की तरह खूबसूरत ....
जवाब देंहटाएंखुश रहें !
होंसला तो खुद ब खुद आ जायगा
जवाब देंहटाएंसत्य को संबल बना कर देखिये....
अति सुन्दर.....
शुभकामनाएं
होंसला तो खुद ब खुद आ जायगा
जवाब देंहटाएंसत्य को संबल बना कर देखिये....
अति सुन्दर.....
शुभकामनाएं
beautiful ghazal sir
जवाब देंहटाएंभीगना जो चाहते हो उम्र भर
जवाब देंहटाएंप्रीत गागर में नहा कर देखिये
बहुत उम्दा गजल... हर पंक्ति मधुर संदेश से ओतप्रोत है.
wah ..aati sunder . har para dil ko chu gaya , ek nayi tazgi bhar gaya .
जवाब देंहटाएंखिड़कियों से झांकती है रौशनी
रात के परदे उठा कर देखिये ...............!
har para ka har shabd kuch sandesh deta huya , . aapki yeh rachna hrafay sparshi evm hoshala deti hui . badhai swikar kare .
http/sapne-shashi.blogspot.com
उम्मीदों में झूमती रचना,सरल व सुंदर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंभीगना जो चाहते हो उम्र भर
जवाब देंहटाएंप्रीत गागर में नहा कर देखिये
होंसला तो खुद ब खुद आ जायगा
सत्य को संबल बना कर देखिये
बहुत ही सुन्दर और प्रेरित करने वाली रचना|
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये...
दूसरों के दर्द को समझने के लिए दर्द को उसी तरह जीना होता है ...
प्रेरक !
भीगना जो चाहते हो उम्र भर
जवाब देंहटाएंप्रीत गागर में नहा कर देखिये
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
वाह !!! दिगम्बर जी क्या बात है.आपकी गज़लें मन में एक नई गज़ल पैदा कर देती हैं.वाह !!!
हथेली पे सरसों उगाकर देखिये
प्रीत गागर में नहाकर देखिये.
किस तरह मुस्कुराता दिया,जानिये
दिगम्बर सी गज़ल बनाकर देखिये.
शुभ-दीपावली.....
आंधियाँ खुद मोड लेंगी रास्ता
जवाब देंहटाएंएक दीपक तो जला कर देखिये
भीगना जो चाहते हो उम्र भर
प्रीत गागर में नहा कर देखिये
बाजुओं का दम अगर है तोलना
वक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
वाह क्या गज़ब के शेर हैं। ज़िन्दगी जीने के लिये इससे अच्छी प्रेरन क्या हो सकती है। बहुत बहुत बधाई इस खूबसूरत गज़ल के लिये।
खिड़कियों से झांकती है रौशनी
जवाब देंहटाएंरात के परदे उठा कर देखिये
और अंतिम वाला शेर तो खतरनाक है...
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
होंसला तो खुद ब खुद आ जायगा...
जवाब देंहटाएंजी, सत्य का संबल है तो हम हैं, हमारी पहचान है.
धार के विपरीत जा कर देखिये
जिंदगी को आजमा कर देखिये
यही तो अपना काम है. गजल के माध्यम से बहुत सुंदर संदेश !!
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
बहुत लाजवाब.
रामराम
bahut sunder gajal ....
जवाब देंहटाएंवाह सर!
जवाब देंहटाएंसादर
बाजुओं का दम अगर है तोलना
जवाब देंहटाएंवक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
बहुत ही शानदार ग़ज़ल।
बेहतरीन गजल...
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत ग़ज़ल है सर,
जवाब देंहटाएंहर शेर बेहतरीन...
सादर...
बेहतरीन गजल.......
जवाब देंहटाएंआपका पोस्ट अच्छा लगा ।.मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंदर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
बहुत सुन्दर !!
आपकी ख्यालात से पूरी तरह सहमत
मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !
खिड़कियों से झांकती है रोशनी
जवाब देंहटाएंरात के परदे उठा कर देखिये
अंधेरों में उम्मीद जगाता बेहतरीन शेर...
हौसला तो खुद ब खुद आ जायगा
सत्य को संबल बना कर देखिये
बहुत खूब,
हर शेर उम्दा
बधाई नासवा जी.
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये...
बहुत सुन्दर...हर शेर लाज़वाब...
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
बहुत खूब! हर शेर बेहतरीन है.
कल 02/11/2011 को आपकी कोई एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बाजुओं का दम अगर है तोलना
जवाब देंहटाएंवक्त से पंजा लड़ा कर देखिये.
बहुत गहरी बातें इतनी आसानी से कर जाते है आप. मानना पड़ेगा.
आभार.
वाह वाह...वाह...नासवा जी इक इक शेर अनमोल है .....
जवाब देंहटाएंआप तो बस कमाल ही करते हैं ...
बस आनंद आ जाता है पढ़ कर .....
भीगना जो चाहते हो उम्र भर
प्रीत गागर में नहा कर देखिये
क्या बात कही .....
होंसला तो खुद ब खुद आ जायगा
सत्य को संबल बना कर देखिये
बहुत खूब .....
जख्म अपने आप ही भर जायंगें
खून के धब्बे मिटा कर देखिये
आमीन .....
बाजुओं का दम अगर है तोलना
वक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
क्या बात है ....
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
कहाँ से लेट हैं ये खजाना .....:))
बाजुओं का दम अगर है तोलना
जवाब देंहटाएंवक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
behtareen sher...umda gazal.
aadarniy sir
जवाब देंहटाएंsarv pratham bahut hi vilamb se aapke blig par aane ke liye xhama -prarthini hun.
bahut hi behatreen gazal .
har sher apne aap me gazab ka hai.
बाजुओं का दम अगर है तोलना
वक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
दर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
हाथ में सरसों उगा कर देखिये
bilkul sahi avam khari baat likhi hai aapne .koi ek nahi sabhi badhai ke haqdaar hain.
sadar naman
poonam
बहुत खूब. हर शेर बेहतरीन है.
जवाब देंहटाएंVery nice! n inspiring too. Congrats sir!
जवाब देंहटाएंजब बात तारीफ की हो तो अब ईर्ष्या होती है...बेहतरीन गज़ल। बहुत दिनों बाद आया, मगर सबकुछ पढ गया छूटा हुआ...डरपोक हो या भूल गये सब लोग दिगंबर आये हैं...आव्हान, प्रश्न...क्या बात है दिगम्बरजी..खूब चलती है आपकी कलम और पाठक तर-बतर हो जाते हैं...। आपकी कलम प्रीत गागर मानो, नहा कर देखा-भोगा-रस लिया है..।
जवाब देंहटाएंबाजुओं का दम अगर है तोलना
जवाब देंहटाएंवक्त से पंजा लड़ा कर देखिये
हर अशआर एक चुनौती एक सन्देश देता हुआ ,विचार को कुरेदता हुआ .बेहतरीन बन पड़ी है पूरी ग़ज़ल
सुन्दर रूपक, सुन्दर कविता - वाह!
जवाब देंहटाएंaapki gazalen hardam hi chakit hokar padhate hain .. siidhii baat men gaharaayi naapate aapke asaar bahut kuchh sochane par vivash karate hain
जवाब देंहटाएंआपका जिक्र यहाँ भी है ……http://redrose-vandana.blogspot.comये आपकी धरोहर है
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावो से संजोया हर शेर लाजवाब है...बधाई..
जवाब देंहटाएंखिड़कियों से झांकती है रौशनी
जवाब देंहटाएंरात के परदे उठा कर देखिये ।
यही तो मुश्किल है, हम खिड़कियों पर परदे डाल कर ऱखते हैं, और फिर रोशनी न होने की शिकायत करते हैं।
bahut hi sndar rachana hai...
जवाब देंहटाएंगज़ब कर डाल रहे हो महाराज!! वाह...क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंदर्द मिट्टी का समझ आ जायगा
जवाब देंहटाएंहाथ में सरसों उगा कर देखिये
...लाजवाब
बहुत अच्छी पंक्तियाँ.
धार के विपरीत जा कर देखिये
जवाब देंहटाएंजिंदगी को आजमा कर देखिये
खिड़कियों से झांकती है रौशनी
रात के परदे उठा कर देखिये
सच कहू ...शब्द कम पड़ जाते हैं आपकी कविता के बारे में कुछ बोलने के लिए ...जितनी अर्थपूर्ण उतनी ही सहज सरल...:)
खिड़कियों से झांकती है रौशनी
जवाब देंहटाएंरात के परदे उठा कर देखिये
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