गुरुदेव पंकज जी ने इस गज़ल को खूबसूरत बनाया है ... आशा है आपको पसंद आएगी ...
प्यासी दो साँसें रहती हैं
नम सी दो आँखें रहती हैं
बरसों से अब इस आँगन में
बस उनकी यादें रहती हैं
चुभती हैं काँटों सी फिर वो
दिल में जो बातें रहती हैं
शहर गया है बेटा जबसे
किस्मत में रातें रहती हैं
उनके जाने पर ये जाना
दिल में अब आहें रहती हैं
पत्थर मारा तो जाना वो
शीशे के घर में रहती हैं
पीपल और जिन्नों की बातें
बचपन को थामें रहती हैं
बचपन के किस्सों की जिन्नें
जवाब देंहटाएंपीपल पे काहे रहती हैं
घर के आसपास शायद पीपल ही रहा करते थे। मजाक कर रही हूँ, बहुत अच्छी गजल है। बधाई।
खूबसूरत कविता. बहुत नाज़ुक सी
जवाब देंहटाएंबचपन के किस्सों की जिन्नें
जवाब देंहटाएंपीपल पे काहे रहती हैं
बहुत खूबसूरत गजल ! यादों और सांसों के साथ जिन्नों की बातें भी हर मन के किसी कोने में रहती हैं !
पत्थर मारा तो ये जाना
जवाब देंहटाएंकांच के वो घर में रहती हैं
बचपन के किस्सों की जिन्नें
पीपल पे काहे रहती हैं
.....वाह, क्या बात कही है! बहुत ही प्यारा अहसास ....
नाज़ुक अहसासो की खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंशहर गया है बेटा जबसे
जवाब देंहटाएंकिस्मत में रातें रहती हैं
नासवा जी...क्या लिखते हैं आप...आपकी रचनाएँ दिल को छू लेतीं हैं..... !
वाह वाह बहुत बहुत सुन्दर हर शेर ..बढ़िया
जवाब देंहटाएंदूर हुवे तो जाना दिल में
जवाब देंहटाएंकब से वो जानें रहती हैं
वाह, क्या बात है ... बेहतरीन ग़ज़ल !
तीन क्षणिकाएं ... विभीषण !
waah... behad khoobsoorat Ghazal...
जवाब देंहटाएंप्यारी ग़ज़ल कही है. सुंदर.
जवाब देंहटाएंअहा, सच में रिझा गयी यह कविता।
जवाब देंहटाएंDelicate and beautiful post...bahut khoobsurat!!!
जवाब देंहटाएं@ बचपन के किस्सों की जिन्नें
जवाब देंहटाएंपीपल पे काहे रहती हैं ??
जिन्ने पीपल पर बसें, रखें सुरक्षित पेड़ |
प्राण-वायु पावें सतत, डरता मानव-टेढ़ ||
Bahut,bahut khoobsoorat!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत अच्छी रचना ,नासवा जी
जवाब देंहटाएंकोमल अहसासों को चित्रित करती बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गजल .....
जवाब देंहटाएंउनके जाने पर ये जाना
जवाब देंहटाएंदिल में अब आहें रहती हैं....
"दिल से निकली मुबारक
कबूल करें!
शुभकामनायें!
बहुत प्यारी ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंपीपल और जिन्नों की बातें
बचपन को थामें रहती हैं
बहुत उम्दा..... सादा लफ़्ज़ों में कोई बयानी भी कितनी प्रभावशाली हो सकती है यह इस रचना में निहित है>>>>>
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है दिगंबर जी...दाद कबूल करें
जवाब देंहटाएंनीरज
यादें ही तो रह जाती हैं॥
जवाब देंहटाएंपीपल और जिन्नों की बातें
जवाब देंहटाएंबचपन को थामें रहती हैं
आह कितनी खूबसूरत बात कही है.
एक से बढ़कर एक अशआर हैं सब!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ग़ज़ल रची है आपने!
उनके जाने पर ये जाना
जवाब देंहटाएंदिल में अब आहें रहती हैं
रामदुलारी मायके जाए तब भी ऐसा होता है ?
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है भाई । बधाई ।
उम्दा ग़ज़ल ....हर शेर बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंsunder lafzo me bandhi, komal ehsaso me dubi umda gazel.
जवाब देंहटाएंपत्थर मारा तो जाना वो
जवाब देंहटाएंशीशे के घर में रहती हैं
bahut hi badhiyaa
वाह वाह, बहुत ही लाजवाब.
जवाब देंहटाएंरामराम.
छोटे बहर में नाज़ुक खयालात इतनी खूबसूरती से पिरोये गए हैं कि जज़्बात भी महसूस होने की बंदिश भूल लफ़्ज़ों पर आकर बैठ गए हैं!! दिखाई देते हैं!!
जवाब देंहटाएंशहर गया है बेटा जबसे
जवाब देंहटाएंकिस्मत में रातें रहती हैं
संवेदना से भरी मार्मिक... बेहद खूबसूरत गज़ल..
पीपल और जिन्नों की बातें
जवाब देंहटाएंबचपन को थामें रहती हैं
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें ।
शहर गया है बेटा जबसे
जवाब देंहटाएंकिस्मत में रातें रहती हैं
यह शे’र यथार्थ की अभीव्यक्ति है।
बरसों से अब इस आँगन में
जवाब देंहटाएंउनकी कुछ यादें रहती हैं
Bahut Sunder ...
प्यासी दो साँसें रहती हैं
जवाब देंहटाएंबस उनकी यादें रहती हैं
बरसों से अब इस आँगन में
उनकी कुछ यादें रहती हैं.
बहुत सुंदर गज़ल कम शब्दों में गहरी बातें आपकी खासियत है. बधाई.
शहर गया है बेटा जबसे
जवाब देंहटाएंकिस्मत में रातें रहती हैं
बहुत ख़ूबसूरत !!!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंउनके जाने पर ये जाना
जवाब देंहटाएंदिल में अब आहें रहती हैं ...
bahut hi khoobsoorat gazal...
सहभावित अनुभूत ग़ज़ल ,लिखी आपने भोगी हमने भी वही मनोभूमि जिस से यह ग़ज़ल निसृत हुई सोते सी .
जवाब देंहटाएंचुभती हैं काँटों सी फिर वो
दिल में जो बातें रहती हैं
पीपल और जिन्नों की बातें
बचपन को थामें रहती हैं
नासवा साहब बहुत कम ग़ज़लें ऐसी पढ़ी हैं जो रोकें मन को ,बारहा पढ़ी जाएँ लौट लौट के .ऐसी ही ग़ज़ल आपने आज पढवा दी .शुक्रिया .
शहर गया है बेटा जबसे
जवाब देंहटाएंकिस्मत में रातें रहती हैं
उनके जाने पर ये जाना
दिल में अब आहें रहती हैं
पढकर अच्छा लगा।
भाई छोटी बहर की एक खूबसूरत गज़ल के लिए आपको बधाई
जवाब देंहटाएंभाई छोटी बहर की एक खूबसूरत गज़ल के लिए आपको बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भाव हैं, आनंद ही आ गया....आभार
जवाब देंहटाएंचुभती हैं काँटों सी फिर वो
जवाब देंहटाएंदिल में जो बातें रहती हैं .....लाजवाब.यूँ तो पूरी गज़ल अच्छी है पर यह शेर मुझे खास पसंद आया
बहुत आसान और सरल शब्दों मे सुंदर रचना ,बधाई।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हमेशा की तरह.. प्यारी गज़ल।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत और दिल की छोटी बातों को बेहतरीन शब्दों में पिरोया है...
जवाब देंहटाएंआभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...
कौउआ-हँकनी की कहानी याद आ गयी.माँ का यही हाल हो जाता है..
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी ग़ज़ल कही है सर,
जवाब देंहटाएंशहर गया है बेटा जबसे
किस्मत में रातें रहती हैं
इस शेर पर विशेष बधाई....
सादर...
हुज़ूर हमारे तरफ से भी ढेरो बधाई क़ुबूल फर्माएँ,एक मक़्बूल ग़ज़ल के लिये... बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंयूँ तो बहुत ही मुश्किल है इन नगीनों में से कोई एक नगीना निकाल बेहतरीन कहना...पर इसमें जो आपने बात कही....
जवाब देंहटाएंबस,वाह..वाह...वाह...
पीपल और जिन्नों की बातें
बचपन को थामें रहती हैं..
dilkash!
जवाब देंहटाएंनासवा जी...कम शब्दों में बड़ी-बड़ी बातें कहने में...आपका जवाब नहीं है...
जवाब देंहटाएंपीपल और जिन्नों की बातें
जवाब देंहटाएंबचपन को थामें रहती हैं
वाह..वाह...वाह..
प्यारी गज़ल.
चुभती हैं काँटों सी फिर वो
जवाब देंहटाएंदिल में जो बातें रहती हैं....behtareen...
वाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंचुभती हैं काँटों सी फिर वो
दिल में जो बातें रहती हैं
शहर गया है बेटा जबसे
किस्मत में रातें रहती हैं
यथार्थ कहते अशआर
शहर गया है बेटा जबसे
जवाब देंहटाएंकिस्मत में रातें रहती हैं.......... !
बेटे की बातो में सुबह की ताजगी होती है आपने इस कविता से याद दिलाया ! आभार !
behad khoobsurat....
जवाब देंहटाएंपत्थर मारा तो जाना वो
जवाब देंहटाएंशीशे के घर में रहती हैं
पीपल और जिन्नों की बातें
बचपन को थामें रहती हैं... ati sundar...
बरसों से अब इस आँगन में
जवाब देंहटाएंबस उनकी यादें.......खूबसूरत गज़ल के लिए आपको बधाई
har pankti sunder .....
जवाब देंहटाएंचुभती हैं काँटों सी फिर वो
जवाब देंहटाएंदिल में जो बातें रहती हैं
bahut sundar
चुभती हैं काँटों सी फिर वो
जवाब देंहटाएंदिल में जो बातें रहती हैं
और
शहर गया है बेटा जबसे
किस्मत में रातें रहती हैं......
बहुत खूब नासवा जी कमाल की गज़ल ।
प्यासी दो साँसें रहती हैं
जवाब देंहटाएंनम सी दो आँखें रहती हैं
बरसों से अब इस आँगन में
बस उनकी यादें रहती हैं
छोटी बहर में अद्भुत रचना।
माँ-बाप के गुजर जाने के बाद
जवाब देंहटाएंआँगन में बस उनकी यादें
रहती हैं।
ये बाद हम उनके जाने के बाद ही
महसुस कर पाते हैं कि
वे हमारे लिये कितना तरसते होंगे।
भावुक बना दिया आपकी रचना ने
धन्यवाद।
हर दो पंक्तियाँ आपने आप में पूर्ण हैं...!
जवाब देंहटाएंशब्द हैं जो काफी कुछ कह जाते हैं...
भाव हैं जो मन को छू जाते हैं.....!!
छोटे बहर में कमाल की गजल।
जवाब देंहटाएं------
आप चलेंगे इस महाकुंभ में...
...मानव के लिए खतरा।
बेहतरीन रचना है यह ....
जवाब देंहटाएंअसाधारण !
छोटी सी बूंद , पर घाव करत गंभीर !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, बधाई,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत बढ़िया लगा! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
चुभती हैं काँटों सी फिर वो
जवाब देंहटाएंदिल में जो बातें रहती हैं
बहुत उम्दा और सार्थक प्रस्तुति! बधाई !
bahut sundar gazal bani hai...
जवाब देंहटाएंआपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
जवाब देंहटाएंजय माता दी..
♥
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
दिगंबर जी बहुत सुन्दर ..अक्सर ये देखने को मिलता है .... सुन्दर मूल भाव बधाई हो ...
जवाब देंहटाएंजय माता दी
भ्रमर ५
शहर गया है बेटा जबसे
किस्मत में रातें रहती हैं
उनके जाने पर ये जाना
दिल में अब आहें रहती हैं
वाह जनाब ...क्या बात है...
जवाब देंहटाएंशहर गया है बेटा जबसे
जवाब देंहटाएंकिस्मत में रातें रहती हैं
संवेदना से भरी मार्मिक, खूबसूरत गज़ल!