स्वप्न मेरे: हिन्दी
हिन्दी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
हिन्दी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

चम्मच कहीं नहीं था शरबत घोला जब ...

होट बजे थे उठा जिगर में शोला जब.
नंगे पाँव चली थी कुड़ी पटोला जब.
 
आसमान में काले बादल गरजे थे,  
झट से रिब्बन हरा-हरा सा खोला जब.
 
टैली-पैथी इसको ही कहते होंगे,
दिखती हो तुम दिल को कभी टटोला जब.
 
बीस नहीं मुझको इक्किस ही लगती हो,  
नील गगन के चाँद को तुझसे तोला जब.
 
इश्क़ लिखा था जंगली फूल के सीने पर,
बैठा, उड़ा, हरी तितली का टोला जब.
 
चूड़ी में, आँखों में, प्रेम की हाँ ही थी,
इधर, उधर, सर कर के ना-ना बोला जब.
 
चीनी सच में थी या ऊँगली घूमी थी,
चम्मच कहीं नहीं था शरबत घोला जब. 

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

कोशिश माँ को समेटने की

#कोशिश_माँ_को_समेटने_की
बहुत आभार बोधि प्रकाशन का, आदरणीय मायामृग जी का, सभी मित्र, पत्नी, बच्चे, भाई-बंधुओं का और माँ का (जो जहाँ भी है, मेरे करीब है) ... जिनके सहयोग और प्रेरणा के बिना ये संभव न होता ... ये हर किसी के मन के भाव हैं मेरी बस लेखनी है ... 

हाँ एक बात और ... अगर इस किताब को पढ़ने के बाद, एक बच्चे का दिल, एक अंश भी बदल सके तो मेरा सात जन्मों का लिखना सार्थक होगा ...  

किताब अमेज़न पर उपलब्ध है ... 

लिंक साझा कर रहा हूँ ...

Hey buddies ... now my work is over, your started ...

https://www.amazon.in/dp/B081NJ3ZKD?ref=myi_title_dp