स्वप्न मेरे: चुनाव
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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023

जो लिखा है ख़त में उस पैगाम की बातें करो ...

फिर किसी मासूम पे इलज़ाम की बातें करो.
क़त्ल हो चाहे न हो पर नाम की बातें करो.
 
वक़्त ज़ाया मत करो जो चंद घड़ियाँ हैं मिली,
मौज मस्ती हो गयी तो काम की बातें करो.
 
कुर्सियों के खेल का मौसम किनारे है खड़ा,     
राम की बातें हैं तो इस्लाम की बातें करो.

एक ही चेहरे में दो किरदार होते हैं कभी,  
ज़िक्र राधा का जो आए श्याम की बातें करो.
 
रास्ता लम्बा है ग़र तो मंज़िलों पर हो नज़र,
मिल गई मंज़िल तो फिर आराम की बातें करो.  
 
ये न सोचो क्या लिखा है, कब लिखा है, क्यों लिखा,   
जो लिखा है ख़त में उस पैगाम की बातें करो.