एक बुग्नी फूल सूखा डायरी ...
धूप कहती है निकल के दें … न दें
रौशनी हर घर को चल के दें … न दें
साहूकारों की निगाहें कह रहीं
दाम पूरे इस फसल के दें … न दें
तय अँधेरे में तुम्हें करना है अब
जुगनुओं का साथ जल के दें … न दें
बात वो सच की करेगा सोच लो
आइना उनको बदल के दें … न दें
फैंसला लहरों को अब करना है ये
साथ किश्ती का उछल के दे ... न दें
सच है मंज़िल पर गलत है रास्ता
रास्ता रस्ता बदल के दे ... न दें
एक बुग्नी, फूल सूखा, डायरी
सब खज़ाने हैं ये कल के दे ... न दें
बेहतरीन ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब। जरा सा भी ना देना :)
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18 -8 -2020 ) को "बस एक मुठ्ठी आसमां "(चर्चा अंक-3797) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
धूप कहती है निकल के दें … न दें
जवाब देंहटाएंरौशनी हर घर को चल के दें … न दें
साहूकारों की निगाहें कह रहीं
दाम पूरे इस फसल के दें … न दें,,,,,,,बहुत लाजवाब ग़ज़ल ।
ज़रा रुक कर सोच लें फिर जिसको जो देना है, दें
जवाब देंहटाएंवाह ! बेहतरीन अंदाज ! दें या न दें .. सवाल वाकई गंभीर है, मगर एक ही जवाब है 'हाँ'
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल दिगम्बर सर
जवाब देंहटाएंसाहूकारों की निगाहें कह रहीं
जवाब देंहटाएंदाम पूरे इस फसल के दें … न दें
वाह!!!
लाजवाब सृजन कुछ अलग ही अंदाज में।
दें...न दें, अजीब कशमकश ......
बहुत ही उत्कृष्ट।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंदें...ना दें
जवाब देंहटाएंइतना सुंदर प्रयोग कशमकश का । बहुत बार इस कशमकश में ही समय निकल जाता है। बेजोड़ है हर शेर इस ग़ज़ल का।
वाह लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार असमंजस।
जवाब देंहटाएंउम्दा हमेशा की तरह बेहतरीन सृजन।
तय अँधेरे में तुम्हें करना है अब
जवाब देंहटाएंजुगनुओं का साथ जल के दें … न दें
वाह बहुत दिनों बाद अपने परिचितों में इतनी अच्छी ग़ज़ल किसीने कही हैं।
शुक्रिया साहब।
वाह। बहुत उम्दा ग़ज़ल। दाद स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंवाह ! बेहतरीन
जवाब देंहटाएंदें … न दें------ की उहापोह में डूबे मन से निसृत शानदार अशार |
जवाब देंहटाएंएक बुग्नी, फूल सूखा, डायरी
सब खज़ाने हैं ये कल के दे ... न दें
वाह और सिर्फ वाह !!!!!शुभकामनाएं और आभार |
सोच में ही बाधा सी है-
जवाब देंहटाएंसाहूकारों की निगाहें कह रहीं
दाम पूरे इस फसल के दें … न दें
बहुत बढ़िया रचना.
सच है मंज़िल पर गलत है रास्ता
जवाब देंहटाएंरास्ता रस्ता बदल के दे ... न दें....अदभुत और बहुत ही प्रभावी शब्द संयोजन दिगंबर जी !! बहुत साधुवाद इतना बेहतरीन साहित्य पढ़वाने के लिए