जब तक तुम साथ थीं
बच्चों का बाप होने के
बावजूद
बच्चा ही रहा
तेरे जाने के साथ
ये बचपना भी अनायास साथ छोड़
गया
उम्र के पायदान
अब साफ़ नज़र आते हैं
कहते हैं एक न एक दिन
जाना तो सभी ने है
समय तो सभी का आता है
पर फिर भी मुझे
शिकायत है वक़्त से
क्यों नहीं दी माँ के जाने
की आहट
एक इशारा, एक झलक
क्यों नहीं रूबरू कराया उस
लम्हे से
हालांकि रोक तो मैं भी नहीं
पाता उसे
पर फिर भी ...
निःशब्द हूँ.
जवाब देंहटाएं..........
तेरे जाने के साथ
ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया
उम्र के पायदान
अब साफ़ नज़र आते हैं
माँ बाबूजी की झलक ही कितनी मजबूती दे जाती है.
मर्मस्पर्शी शब्द.
बढ़िया कविता
जवाब देंहटाएंखबर मिल भी जाती तो जाने वाले को रोक नहीं सकता कोई..जिंदगी का यही क्रम है..यादों को दीपक बनकर आगे का रास्ता तय करना है..
जवाब देंहटाएंमां साथ है, यदि वह आपको याद है। और आप तो सदैव ही मां को याद करते हैं, इसलिए वो कहीं नहीं गई, आपके पास ही है।
जवाब देंहटाएंकाश....!, एक ऐसा शब्द है जो हमारी जिंदगियों से बेसाख्ता जुड़ा हुआ है ....लेकिन यह भी याद दिलाता है ...कि हम बहुत निरीह हैं ...नियति के आगे .....बहुत ही मार्मिक लगी आपकी रचना ...बिछड़ने का दुःख ..और वह भी माता पिता से असह्यनिय होता इसकी पीड़ा सिर्फ भुक्त भोगी ही समझ सकता है ....
जवाब देंहटाएंमिट्टी का काया मिट्टी में मिल गया ,उनकी अनश्वरता आपमें सदैव विद्यमान है.
जवाब देंहटाएंlatestpost पिंजड़े की पंछी
आभार आदरणीय -
जवाब देंहटाएंउधर सिधारी स्वर्ग तू, इधर बचपना टाँय |
टाँय टाँय फ़िस बचपना, हरता कौन बलाय |
हरता कौन बलाय, भूल जाता हूँ रोना |
ना होता नाराज, नहीं बैठूं उस कोना |
एक साथ दो मौत, बचपना सह महतारी |
करना था संकेत, जरा जब उधर सिधारी ||
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
जवाब देंहटाएंmaine apne jeevan mein pehli baar "bua ji" ko jaate dekha wahan sirf man thi aur wo.... aashchary is baat kaa hai ki main samjh bhi nahi paai ke wo jaa rahi hai
जवाब देंहटाएंजब तक माँ रहती हैं सच ही स्वयं को हम बच्चा समझते रहते हैं ... उनके जाने के बाद एक दम से बड़े हो जाते हैं ... एहसास को खूबसूरती से लिखा है ।
जवाब देंहटाएंयादें भी बहुत बडा संबल होती है, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बूढ़े हो जाने पर भी माँ के लिए ह बच्चे ही रहते है,माँ की कमी कोई पूरा नही कर सकता है.बहुत ही सुन्दर.
जवाब देंहटाएं:(:(
जवाब देंहटाएंमां की कमी किस शिद्दत से महसूस रहे हैं :(
जवाब देंहटाएंATYANT MARMIK BHAVABHIVYAKTI .
जवाब देंहटाएंममता सारे अस्तित्व को एक चादर सा ओढ़े रहती है, हम निश्चिन्त भाव से पड़े रहते हैं...हृदय छूती पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभियक्ति !
जवाब देंहटाएंसादर !
वेसे तो माँ बाप का साया हमेशा बच्चो के साथ रहता है फिर भी माँ को भूलना आसान नही होता,,,
जवाब देंहटाएंRecent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
एक ही दिन क्या भाई साहब एक ही पल में बड़ा हो जाता है आदमी माँ या बाप के यूं चले जाने के बाद .मार्मिक प्रसंग हमारा सांझा .
जवाब देंहटाएंजब तक तुम साथ थीं
बच्चों का बाप होने के बावजूद
बच्चा ही रहा
तेरे जाने के साथ
ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया
उम्र के पायदान
अब साफ़ नज़र आते हैं
गुलजार साहब के शब्दों मे ...
जवाब देंहटाएं"एक छोटा सा लम्हा है ... जो भस्म नहीं होता ... मैं लाख जलाता हूँ यह खत्म नहीं होता"
'उस' लम्हे की चोट और उसका दर्द तो अब सारी उम्र सताएगा ... पर ज़रा सोचिएगा ... क्या माँ आपको दर्द मे तड़पता देख पाएगी ... नहीं न !!
कुछ ज्यादा बोल गया हूँ तो माफ कीजिएगा पर आपकी पीड़ा का अनुमान लगा सकता हूँ इस लिए कहा !
सादर !
आज की ब्लॉग बुलेटिन १९ फरवरी, २ महान हस्तियाँ और कुछ ब्लॉग पोस्टें - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
माँ के न होने का अहसास तब और भी बढ़ जाता है जब माँ एकायक हमारा साथ छोड़ देती है, जब तक माँ होती है हम बच्चे ही होते है माँ के जाने के बाद जब माँ के मातृत्व का आवरण नहीं रहता और हमारा बचपन भी हमसे छिन जाता है ,माँ का शुभाशीस आपके साथ है निराश ना हो,शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंनहीं है भूलना उन्हें इतना आसान
जवाब देंहटाएंपर याद कर कर के भी क्या होगा।
शुभकामनायें।
गहन और घनीभूत
जवाब देंहटाएंशिवम् जी की बात से सहमत हूँ , माँ हर हाल में अपने बच्चों की ख़ुशी चाहती है आपको दुखी देख उनकी आत्मा भी दुखी होगी... वास्तविकता को स्वीकार कीजिये... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंकहते हैं एक न एक दिन
जवाब देंहटाएंजाना तो सभी ने है
समय तो सभी का आता है
सच कहा आपने
माँ जाने का इशारा करतीं भी तो क्या???
जवाब देंहटाएंतब क्या मन को समझाया जा सकता था???
बस अब यादों को संजोये रखिये और यूँ रहिये जैसे माँ चाहती थीं..
सादर
अनु
फिर भी.....
जवाब देंहटाएंयह विचार तो मन में हमेशा ही रहेगा .... मर्मस्पर्शी भाव
जीवन का सत्य यही है... एक दिन चले जाना, बिना बताए. माँ को समर्पित मार्मिक रचना, शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंmarmik abhivyakti nasva ji , sach kaha aapne , aur us jagah ko koi nahi bhar paata
जवाब देंहटाएंघनीभूत ...अंतस की पीड़ा झलक रही है आपके शब्दों में....निरीह सा मन सम्झौता ही कर सकता है वक़्त के साथ ......माँ की यादों को ले ...
जवाब देंहटाएंपर फिर भी मुझे
जवाब देंहटाएंशिकायत है वक़्त से
क्यों नहीं दी माँ के जाने की आहट
एक इशारा, एक झलक ....
वक्त तो हर पल इशारा देता है लेकिन हम ही शायद देख पाने में असमर्थ होते है जीवन की आपाधापी में !
इस दर्द को साझा कर सकती हूँ, पर कैसे कहूँ कि वक्त पीछे जाये और आहट दे जाये .......... आहट स्वीकार नहीं होता
जवाब देंहटाएंभाई दिगंबर नासवा जी
जवाब देंहटाएंअपनों के बिछड़ने का दुःख बहुत पीड़ादायक होता है. लेकिन यादों को सहेजते हुए इंसान को सदमे की स्थिति से धीरे-धीरे उबरने की कोशिश करनी चाहिए. नज्मों के जरिये अपने दुःख को अभिव्यक्त करते हुए इस दिशा में प्रयास जारी रखें. अभी दुनिया के बहुत सारे काम आपके हाथों संपन्न होने हैं.
आपका लिखा जब भी पढ़ती हूँ मन भावुक हो जाता है और अहसास होता है माँ के न होने पर
जवाब देंहटाएंभावनाओं में हर पल माँ किस कदर साथ होती है
सादर
जब तक तुम साथ थीं
जवाब देंहटाएंबच्चों का बाप होने के बावजूद
बच्चा ही रहा
बहुत ही कोमल भाव.....
सुन्दर रचना...
आँखे नम हो गयी रचना पढ़कर ............
जवाब देंहटाएंmarmik......
जवाब देंहटाएंमाँ से जुडी आपकी ये रचनाएं ,मन द्रवित कर जाती हैं
जवाब देंहटाएंदिल को छूती कविता |अब हमें माँ के कदमो की आहट अपने बच्चो बताने होंगे |
जवाब देंहटाएंजब माता-पिता का साया हमारे सर से उठ जाता है तब अचानक ही हम बडे हो जाते हैं।
जवाब देंहटाएंआपके दर्द को हम समझ सकते हैं , हम बड़े तभी होते हैं जब हमारे बड़े का साया अपने सर से हटा हुआ पाते हैं फिर भी हम आहट पाकर और व्याकुल हो जाते क्योंकि हम उस पल को जान कर तिल तिल मरतेहै . वो बेबसी मैंने देखी है कि हम बेबस होकर बस देखते रह जाए हैं और उन पीडाओं को न किसी से बाँट सकते हैं और न छोड़ सकते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत सराहनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! दिल छू गयी गहरे तक!
जवाब देंहटाएंbahut hi pyaari rachna
जवाब देंहटाएंयही सच्चाई है. सुंदर भावपूर्ण.
जवाब देंहटाएंहर बार माँ के प्यार का नया रंग
जवाब देंहटाएंसीधे दिल से..बहुत खूब नासवा जी.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .इस मार्मिक रचना का .माँ की यादों से हम सबको जोड़ने का .
जवाब देंहटाएंमाँ की अनुपस्थिति शब्दों में कैसे व्यक्त हो
जवाब देंहटाएं'एक झलक एक इशारा ..क्यों नहीं दी जाने की आहट'..यह मलाल ताउम्र रहेगा.
जवाब देंहटाएंकसक रहेगी.
माँ की स्मृति में यह फ़ूल मन को छू गया.
कुछ कहने के लिए नहीं है.....
जवाब देंहटाएंएक दम से बड़ा हो जाता है कुछ ही पलों में व्यक्ति जब तक माँ बाप रहते हैं वह बच्चा ही रहता है .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंअद्भुत , अति उत्तम , क्या कहे इस रचना के बारे में शब्द ही नहीं मेरे पास तो
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
कुछ भी अजीब सा होने पर हमेशा माँ की ही याद आती है| बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना | आभार |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
शुक्रिया भाई साहब आपकी टिपण्णी के लिए .
जवाब देंहटाएंमाँ साथ रहती है तो दिल मजबूत रहता है हरपल ....बच्चे से दूर जाने पर कितना दुःख होता है यह बच्चे से बेहतर कौन समझ सकता है .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी , दिल को छू जाने वाली कविता. .
जवाब देंहटाएंDil chhoo gayee ye rachnaa. Badhaai!
जवाब देंहटाएंbahut bahut khoob....
जवाब देंहटाएंतेरे जाने के साथ
ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया
उम्र के पायदान
अब साफ़ नज़र आते हैं ,
,
.ma ke liye bachhe hi rhe hamesa.
मन पसीज गया . क्या कहें . विधि का विधान
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक, सुन्दर पंक्तियाँ ...
जवाब देंहटाएंGahre bhao...
जवाब देंहटाएंआपकी रचना निर्झर टाइम्स पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें http://nirjhar-times.blogspot.com और अपने सुझाव दें।
जवाब देंहटाएंsunder bhaavpoorna rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
जब तक तुम साथ थीं
जवाब देंहटाएंबच्चों का बाप होने के बावजूद
बच्चा ही रहा
तेरे जाने के साथ
ये बचपना भी अनायास साथ छोड़ गया ......
दिगंबर जी बहुत सच्चाई है इन पंक्तियों में और कविता का हर शब्द दिल को छू रहा है।
मेरे पास तारीफ़ के लिए शब्द नहीं हैं . ..मैं आपके ब्लॉग से जुड़ रहा हूँ मुझे खुसी होगी यदि आप भी मेरे ब्लॉग से जुड़ेंगे ...सादर प्रणाम ..ढेर सारी बधाइयों के साथ..
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