स्वप्न मेरे: मुहब्बत

बुधवार, 19 जनवरी 2011

मुहब्बत

खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
जमीं पे है किसने उतारी मुहब्बत

उमड़ती घटाएं महकती फिजायें
किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत

तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत

तेरे गीत नगमें तेरी याद लेकर
तेरा नाम लेकर संवारी मुहबत

पनपने लगेंगे कई ख्वाब मिल के
जो पलकों में तूने उतारी मुहब्बत

मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

सुनाते हैं जो लैला मजनू के किस्से
वो कहते हैं कितनी हे प्यारी मुहब्बत

चली है जुबां पर मेरा नाम लेकर
वो नाज़ुक सी अल्हड कुंवारी मुहब्बत

है बदली हुई वादियों की फिजायें
पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत

अमीरों को मिलती है ये बेतहाशा
गरीबों को है रेजगारी मुहब्बत

ज़माने के झूठे रिवाजों में फंस कर
लुटी बस मुहब्बत बिचारी मुहब्बत

है दस्तूर कैसा ज़माने का देखो
सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत

फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत

80 टिप्‍पणियां:

  1. खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
    जमीं पे है किसने उतारी मुहब्बत

    उमड़ती घटाएं महकती फिजायें
    किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत

    क्या बात है , हर एक जुमला बहुत ख़ूबसूरत !

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  2. आदरणीय नासवा जी
    नमस्कार !
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
    ह्र्दय की गहराई से निकली मुहब्बत रूपी सशक्त रचना

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  3. सुनाते हैं जो लैला मजनू के किस्से
    वो कहते हैं कितनी हे प्यारी मुहब्बत

    चली है जुबां पर मेरा नाम लेकर
    वो नाज़ुक सि अल्हड कुंवारी मुहब्बत

    दिगम्बर जी क्या कहें....
    हम तो फ़िदा हो गए बस......

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  4. खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
    जमीं पे है किसने उतारी मुहब्बत

    उम्दा लेखन,खूबसूरत अभिव्यक्ति
    .........वाह वाह, क्या बात है कमाल की प्रस्तुति............नासवा जी

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  5. फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत

    dil mohabbat mohabbat ho gaya

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  6. पनपने लगेंगे कई ख्वाब मिल के
    जो पलकों में तूने उतारी मुहब्बत

    मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

    बहुत सुंदर पंक्तियां
    सच्चे जज़्बे कभी हारते नहीं ,ये सच है
    बहुत ख़ूब !

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  7. वाह ...वाह...वाह...प्रेम रस रची पगी प्यारी और न्यारी रचना...

    आनंद आ गया पढ़कर...



    (कुछ टंकण त्रुटियाँ रह गयीं हैं,कृपया सही कर लें..)

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  8. अमीरों को मिलती है ये बेतहाशा
    गरीबों को है रेजगारी मुहब्बत
    प्रेममयी कोमल भावों और शब्दों से सजी प्रस्तुति मुझे तो इस पोस्ट से ही मुहब्बत हो गयी है

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  9. शुरू की पंक्तियों में मोहब्बत, एक कोमल अहसास और फिर बाद में एक जरुरत बन के उभरी है.
    बहुत बढ़िया रचना.

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  10. खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
    जमीं पे है किसने उतारी मुहब्बत

    बहुत खूब कहा है आपने हर पंक्ति में ...बेहतरीन ।

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  11. फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत
    क्या बात है....मुहब्बत के हर रंग बिखरे पड़े हैं,इस रचना में...बहुत खूब

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  12. किस किस शेर की तारीफ करू हर शेर लाजबाब है। सुभान अल्लाह।

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  13. वाह, यहां भी मुहब्बत :)
    पनपने लगेंगे कई ख्वाब मिल के
    जो पलकों में तूने उतारी मुहब्बत
    कितना नाज़ुक शेर है...
    अमीरों को मिलती है ये बेतहाशा
    गरीबों को है रेजगारी मुहब्बत
    नासवा जी...
    सच को छूकर गुज़र रहा है शेर...
    बहुत अच्छी ग़ज़ल है.

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  14. है दस्तूर कैसा ज़माने क देखो
    सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत
    paise se jo haar jaye
    wo hoti nahi muhabbat
    kayamat hi kyun n aa jaye
    zinda rahti hai muhabbat

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  15. गज़ब कर दिया नासवा जी……………हर शेर मुकम्मल , अदायगी का तो क्या कहना सीधा दिल को छू रही है………किसी एक शेर की तारीफ़ दूसरे से नाइंसाफ़ी होगी……………बेहतरीन प्रस्तुति।

    मोहब्बत,मोहब्बत और बस मोहब्बत
    कहो फिर कैसे न हो मोहब्बत

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  16. तेरी सादगी गुनगुनाती है हर सू
    मुहब्बत मुहब्बत हमारी मुहब्बत

    तेरे गीत नगमें तेरी याद लेकर
    तेरा नाम लेकर संवारी मुहबत

    पनपने लगेंगे कई ख्वाब मिल के
    जो पलकों में तूने उतारी मुहब्बत

    मुहब्बत की दास्ताँ मुहब्बत का पैगाम ले आई है . शुभकामना .

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  17. बहुत उम्दा गजल!

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  18. है दस्तूर कैसा ज़माने का देखो
    सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत
    फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत
    .... . मुहब्बत के विविध रूपों को वर्तमान परिवेश में देखने, समझने और कहने का आपका यह अंदाज बेहद खूबसूरत लगा ....

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  19. फटेहाल जेबों ने कहा चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत ...
    मार्मिक ...
    कभी हारी ,कभी ना हारी मुहब्बत ...मुहब्बत की खुमारी हर हाल में सर चढ़ कर बोलती है ...
    बहुत बढ़िया !

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  20. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (20/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  21. मुहब्बत ही खुदा है.....बहुत खूबसूरत रचना.....

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  22. मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

    है दस्तूर कैसा ज़माने क देखो
    सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत

    फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत

    क्या बात है ....बहुत खूबसूरत लिखा है मुहब्बत बस मुहब्बत है ...

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  23. एक रोमांटिक अहसास से शुरुवात हुई ! परवाज़ के लिए डैने फैलाये ही थे कि ग़ुरबत ने ज़मीन पे ला पटका ! दौलत गोया कसाब सी मुहब्बत के पंख क़तर गई !



    { कसाब को मांस का व्यापार करने वाले बंदे के अर्थ में ही स्वीकारें )

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  24. ग़ज़ल पढ़ते पढ़ते ख़ुद ब ख़ुद एक तुकबंदी कर बैठा, और यही कमाल है आपकी ग़ज़ल का...
    यूँ नींद आज आई है पहलू में तेरे
    है दिल पे तभी आज तारी मुहब्बत!

    एक एक शेर लाजवाब दिगम्बर जी! जब से आपने ग़ज़ले कहना शुरू किया है एक समाँसा बँध गया है!
    सिर्फ मक़्ता खटक रहा है...
    फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत.

    जेबों ने बोला नहीं कहा होना चाहिये.. लिहाजा कुछ यूँ कहा जा सकता था मक़्ते कोः
    फटेहाल जेब आज धीरे से बोले,
    चलो आज कर लें उधारी मुहब्बत!

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  25. क्या बात है , बहुत ख़ूबसूरत !

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  26. सदा ही पैसों से हारी मुहब्बत, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल , मुबारक नासवा जी।

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  27. बहुत ही भावपूर्ण गजल........ हर पंक्ति काबिलेतारीफ.

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  28. आज तो मुहब्बत ही मुहब्बत छा गयी चारों ओर.. वाह..

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  29. आज तो मुहब्बत ही मुहब्बत छा गयी चारों ओर.. वाह..

    जवाब देंहटाएं
  30. खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
    जमीं पे है किसने उतारी मुहब्बत
    मन को छू लेने वाली बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल

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  31. ज़माने के झूठे रिवाजों में फंस कर
    लुटी बस मुहब्बत बिचारी मुहब्बत

    है दस्तूर कैसा ज़माने क देखो
    सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत
    यथार्थ का आइना हैं यह पंक्तियाँ...... सभी शेर बेहतरीन ......

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  32. मेरी बहकी मुहब्बत ने उसे जालिम बना डाला।

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  33. बेमिसाल ग़ज़ल... ख़ूबसूरत बयानी!!
    दिगंबर जी दाद क़ुबूल करें.
    बार बार पढने योग्य है ये शायरी !!

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  34. चली है जुबां पर मेरा नाम लेकर
    वो नाज़ुक सि अल्हड कुंवारी मुहब्बत

    रूमानी अंदाज लिए ये शेर भी बड़ा प्यारा है.
    बहुत अच्छा लिखते हैं नासवा जी आप.

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  35. खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
    जमीं पे है किसने उतारी मुहब्बत
    hamento yah bahut achha laga , mubarak ho

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  36. अमीरों को मिलती है ये बेतहासा
    गरीबों को है रेजगारी मुहब्बत
    उम्दा ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब !

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  37. मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत
    bahut sunder paribhasha.

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  38. "अमीरों को मिलती है ये बेतहाशा
    गरीबों को है रेजगारी मुहब्बत

    फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत

    है दस्तूर कैसा ज़माने क देखो
    सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत"

    बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है नासवाजी.आपका शेर पढ़ के नज़र सामने खड़े बर्फीले पहाड़ों पर चली गयी.

    "है बदली हुई वादियों की फिजायें
    पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत"

    पहाड़ से सलाम

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  39. khoobsurat falsfa!
    mujhe yaad karne ke liye tahe dil se shukriya..jaldi hi hajiri dungi nayi rachna ke saath :)

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  40. फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत

    kya baat hai! wah!

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  41. "फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत" ... पूरी ग़ज़ल खूबसूरत है... खास तौर पर अंतिम शेर लाज़बाब है...

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  42. है दस्तूर कैसा ज़माने क देखो
    सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत

    फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत

    bemisal....har jumla sundar....antim panktiyan to aur bi khoobsoorat hain......

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  43. मोहोबत - मोहोबत ये केसी मोहोबत !

    सारी कायनात मै तो समाई मोहोबत !

    पर न जाने सब इसके नाम से क्यु डरते ?

    अरे यारों सारे रिश्ते इसकी लो से हैं जलते !

    समझते हैं सब फिर भी निभाने से डरते !

    बहुत खुबसूरत रचना बधाई दोस्त

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  44. aapki gazal padhkar aur mahsoos kar bas ek hi shabd jehan men aa rahaa hai.....muhabbat....muhabbat..... muhabbat,......

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  45. पनपने लगेंगे कई ख्वाब मिल के
    जो पलकों में तूने उतारी मुहब्बत

    मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

    Bahut hi behtareen shers.Badhai!!

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  46. ज़माने के झूठे रिवाजों में फंस कर
    लुटी बस मुहब्बत बिचारी मुहब्बत

    digambar ji,
    puri ghazal khubsurat,dil men utar jaane waale shero ka guldasta hai.

    makammal aur behatarin ghazal .
    Gyanchand marmagya

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  47. मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

    सुनाते हैं जो लैला मजनू के किस्से
    वो कहते हैं कितनी हे प्यारी मुहब्बत

    चली है जुबां पर मेरा नाम लेकर
    वो नाज़ुक सि अल्हड कुंवारी मुहब्बत

    है बदली हुई वादियों की फिजायें
    पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत

    नसवा जी .....सुभानाल्लाह .....
    हर शे'र चुन चुन कर लिखा है .....
    आपकी ये ग़ज़ल पहले भी पढ़ चुकी हूँ ...
    कायल तो तभी हो गई थी ....
    बहुत खूब ....
    बहुत ही उम्दा लेखन .....!!

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  48. कई शेर ऐसे हैं कि जिन्हें पढ़कर दिल उछलने लगता है। यदि सिर्फ ये हों तो मन उड़ता ही रहे...

    खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत
    जमीं पे है किसने उतारी मुहब्बत

    उमड़ती घटाएं महकती फिजायें
    किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत

    चली है जुबां पर मेरा नाम लेकर
    वो नाज़ुक सि अल्हड कुंवारी मुहब्बत

    है बदली हुई वादियों की फिजायें
    पहाड़ों पे हे बर्फ़बारी मुहब्बत

    अमीरों को मिलती है ये बेतहाशा
    गरीबों को है रेजगारी मुहब्बत

    है दस्तूर कैसा ज़माने क देखो
    सदा ही है पैसे से हारी मुहब्बत

    फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत
    ....इन शेरों को कहने का अंदाज निराला है। बहुत बधाई।

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  49. दिगंबर जी, बहुत बेहतरीन और उम्दा शेर पेश किए आपने..आख़िरी शेर तो कमाल का है...थोड़े अंतराल पर आए आप और धमाल कर दिए...एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाई..

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  50. behad khobsorat gazal kahten hai bhai digambarji dil khush ho jata haithanks with regards

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  51. जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्‍योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.

    @ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्‍योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"

    जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?

    जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.

    आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.

    आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?

    वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.

    हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.

    सदभावना पूर्वक
    -राधे राधे सटक बिहारी

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  52. सच ही तो है हर समस्या का समाधान है
    "मुहब्बत मुहब्बत बस मुहब्बत "!!

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  53. फटेहाल जेबों ने धीरे से बोला
    चलो आज कर लो उधारी मुहब्बत

    -वाह! क्या बात है!!

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  54. बहुत बेहतरीन और उम्दा शेर पेश किए है आपने| धन्यवाद|

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  55. प्रेम के विविध रंगों का वर्णन करती एक सुंदर ग़ज़ल।

    इस प्रेमिल रचना के लिए बधाई।

    आपको गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।

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  56. मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

    सुनाते हैं जो लैला मजनू के किस्से
    वो कहते हैं कितनी हे प्यारी मुहब्बत
    sach kaha aesi hi hoti hai mohbbat ,bahut badhiya rachna ,gantantra divas ki badhai .

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  57. उमड़ती घटाएं महकती फिजायें
    किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत


    मोहब्बत को कितनी खूबसूरती से बयां किया है आपने!

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  58. पनपने लगेंगे कई ख्वाब मिल के
    जो पलकों में तूने उतारी मुहब्बत

    बहुत ही खूबसूरत एवं भावपूर्ण गज़ल ! हर अशआर दिल में उतरता चला जाता है ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  59. muhabbat muhabbat muhabbat muhabbat muhabbat....bas sar se paanv tak bheeg gaya is ghazal men.. .. bahut effortless lag rahe hain sabhi sher... lag hee nahi raha ki kaheen zabardasti socha gaya.. gazab ka bandha khayaal...waah .... :)

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  60. प्रिय बंधुवर दिगम्बर नासवा जी

    अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद !

    मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

    हर शे'र प्यारा है… और यह तो क्या बात है ! बहुत ख़ूब !!

    हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  61. मुहब्बत है सौदा दिलों का दिलों से
    न मैं जीत पाया न हारी मुहब्बत

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ है ! पूरी ग़ज़ल प्यारी है !

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  62. बहुत खूब नासवा जी ....शुभकामनायें आपको !

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  63. बाऊ जी,
    नमस्ते!
    पूरी नज़्म के लिए:
    आनंद! आनंद! आनंद!
    आखिरी चार लाईनों के लिए:
    सादर चरण स्पर्श!
    आशीष

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  64. अद्भुद !
    एक एक शे'र लाजवाब

    मोहोब्बत मोहोब्बत मोहोब्बत

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  65. उमड़ती घटाएं महकती फिजायें
    किसी की तो है चित्रकारी मुहब्बत

    उफ्फ्फ्फ़...क्या कहते हो भाई...हद करते हो...इतनी शानदार ग़ज़ल...एक के बाद एक पढ़ रहा हूँ और झूम रहा हूँ...लगता है जैसे कोई खज़ाना हाथ लग गया है...
    नीरज

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  66. ग़ज़ल प्यारी है.एक एक शे'र लाजवाब है..बहुत ख़ूब ..शुभकामनायें..

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है