स्वप्न मेरे: जितनी चादर पाँव पसारो

रविवार, 20 दिसंबर 2009

जितनी चादर पाँव पसारो

अपना जीवन आप संवारो
जितनी चादर पाँव पसारो

हार गये तो कल जीतोगे
मन से अपने तुम न हारो

आशा के चप्पू को थामो
दरिया में फिर नाव उतारो

काँटों को हंस कर स्वीकारो
दूजे का न ताज निहारो

स्वर्ग बनाना है जो घर को
अपना आँगन आप बुहारो

69 टिप्‍पणियां:

  1. बड़े सार्थक संदेश के साथ बहुत ही प्रेरणादायी कविता । बधाई !

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  2. हार गये तो कल जीतोगे
    मन से अपने तुम न हारो

    आशा के चप्पू को थामो
    दरिया में फिर नाव उतारो
    - यह आशावाद ही जीवन का आधार है.

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  3. भावों को इतनी सुंदरता से शब्दों में पिरोया है
    सुंदर रचना....

    Sanjay kumar
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  4. जहाँ तक मेरी जानकारी है ब्लॉग जगत में हिंदी ग़ज़ल में आपका कोई सानी नहीं है... एक ऐसी ही ग़ज़ल महीनो पहले पुनर्नवा पर पढ़ी थी... धन्यवाद...

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  5. सादर वन्दे
    हार गये तो कल जीतोगे
    मन से अपने तुम न हारो
    इसीलिए तो कहते हैं ...मन के हारे हार हार है , मन के जीते जीत
    रत्नेश त्रिपाठी

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  6. कितना सुंदर
    स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो ।

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  7. बेहद खूबसूरत गज़ल
    स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो
    --इस शेर की जितनी भी तारीफ की जाय कम है।

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  8. स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो
    Rachana kaa saara nichod in panktiyon me sama gaya! Waah!

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  9. वाह, नास्वा जी। पाँचों बातें गाँठ बांधने वाली हैं।
    बहुत सार्थक ग़ज़ल।

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  10. हार गये तो कल जीतोगे
    मन से अपने तुम न हारो
    वाह बहुत ग्याण की बात कह दी आप ने इस सुंदर कविता मै

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  11. आशा के चप्पू को थामो
    दरिया में फिर नाव उतारो

    काँटों को हंस कर स्वीकारो
    दूजे का न ताज निहारो

    बहुत बेहतरीन रचना----जीवन के लिये एक सकारात्मक सन्देश देती हुयी।शुभकामनायें।
    पूनम

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  12. काँटों को हंस कर स्वीकारो
    दूजे का न ताज निहारो

    स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो
    aasha se paripurn snnder rachana.waah

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  13. आज किसी एक पँक्ति का ज़िक्र नहीं करूँगी हर एक पँक्ति प्रेरणा से भरी हुयी और सुन्दर सन्देश देती हुयी है। सच मे कमाल का लिखते हैं आप धन्यवाद और शुभकामनायें

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  14. दिगम्बर जी ,
    बहुत बढ़िया लगी आपकी यह रचना।जीवन को आगे बढ़ने का सन्देश देती हुयी।
    हेमन्त कुमार

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  15. prerak kaavy.
    ise gazal kahe yaa darshn yaa adhyaatm..jo bhi kahe..bemisaal he.
    jeevan ke liye hidayate, aour zazbe ko jagaane, jagaye rakhne ke liye..
    bahut khoob digambarji..
    स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो
    ye pankti kuchh khaas prabhaavi he,,aaj ghar aour ghar ke prati maansiktaye jis teji se badal rahi he, uske liye satik he ye line.jnha ishvar nivaas kartaa he vo ghar aapko hi saaf rakhna hotaa he, magar ynhaa ghar ko lekar is jeevanroopi ghar ke sandarbh me bhi ye baat bilkul sahi he...waah, bahut badhiyaa

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  16. बहुत बेहतरीन प्रेरणा से भरी हुयी रचना.

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  17. waah waah............bahut hi prernadayi aur sukhad ..........lajawaab.

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  18. गालिब ने सैकडो शेर और गज़ल लिखी होगी लेकिन चन्द शेरो ने ही गालिब को गालिब बनाया . उसी तरह यह कविता आपकी लिखी कवितओ मे अलग स्थान रखेगी

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  19. 'हार गये तो कल जीतोगे
    मन से अपने तुम न हारो'

    -सकारात्मक भाव लिए हुए ,बहुत ही सुंदर संदेश देती रचना है.

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  20. मुहावरों से गजल बने तो मजा आ जाता है ..
    ऐसा इस गजल में भी है ..
    आपकी गजल की सरलता मन मोह लेती है ..

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  21. baat ek dam pate ki kahi hai aur sahakt maargdarshan karti hui.

    shukriya.positive soch dene k liye.

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  22. सार्थक संदेश देती सुन्दर रचना ।

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  23. दिगाम्जर जी, अति सुन्दर. दिल को छुआ और आप छा गए....

    स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो

    बेहतरीन...बेहतरीन...बेहतरीन...

    - सुलभ

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  24. एक बार फिर से कहिये न...

    काँटों को हंस कर स्वीकारो
    दूजे का न ताज निहारो

    वाह वाह!!

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  25. बिलकुल सही कहा...मुझे भी किसी और का ताज नहीं दिखता है. मैं तो अपने कांटे बीनने में लगा हुआ हूँ.

    आज की सुबह नास्वा जी के नाम - नए साल की भरपूर मुबारकां आपको.....सुलभ

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  26. bahut hee prerana dene v jagane walee pyaree rachana.
    is rah chale to jeevan to sanvar hee jaega.
    bahut acchee lagee ye kavita. badhai.

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  27. टिप्पणी के लिए शब्द कम पड़ रहे हैं!
    सुन्दरतम से ही काम चलाना पड़ेगा!

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  28. स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो
    वाह !

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  29. स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो !

    बहुत ही सुन्‍दर सहज गहराई लिये हुये बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  30. ... बहुत ही सुन्दर .... वाह-वाह ... वाह-वाह !!!!!

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  31. बहुत ही सुन्दर भाव लिए है यह रचना बहुत पसंद आई शुक्रिया

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  32. आप शब्दों की नाप इतनी अच्छी करते हैं जैसे कुशल कलाकार अपने सधे हाथों से कूची लेकर कोरे कैनवास को रंगीन करता है और भावों की नदी पर बैठकर सुंदर नज़ारे दिखता है . .आप कुशल चितेरे हैं बहुत ही सुन्दर !!

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  33. काँटों को हंस कर स्वीकारो
    दूजे का न ताज निहारो
    बहुत ही सुन्दर, नसीहतो से भरी रचना

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  34. बड़ी अच्छी, मह्ताव्पूरण, दार्शनिक व् मार्ग दर्शन करने वाली रचना है आप की .

    आशु

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  35. अरे, क्या बात है दिगम्बर साब...क्या बात है।

    बहुत बढ़िया...छोटी कसी बहर और बेमिसाल मिस्रे...अहा!

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  36. बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.

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  37. बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हर एक शेर दमदार
    बहुत बहुत आभार

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  38. Rachna aisee kee ghane andhkar me bhee Rasta mil jaye. aisee Rachna karenge, mujhe andaza tha. aagen bhee ....

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  39. aap bhi ghazab kahate hai bhayii. aanand aa gaya. chhoti bahar me badi baat...

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  40. टंकण में अपना की जंगह आपना हो गया है कृपया सुधार लें

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  41. धन्यवाद देवेन्द्र जी ग़लती सुधार ली .........

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  42. काँटों को हंस कर स्वीकारो
    दूजे का न ताज निहारो
    bilkul satya sat-pratishat
    behad saarthak rachna

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  43. pair to chote nhi ho payenge....
    hmm...
    lambi chadar ka jugad karna padega..
    are ek hi to zindgi ha..kab tak bandhke rahenge....bhayi mene to soch lia ha lambi chadar ka intezam karna hi padega...
    khair....kavita kafi sarthak ha...

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  44. आदर्श सिखाती रचना --सुंदर शब्दों में । शुभकामनायें ।

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  45. नमस्कार!

    आदत मुस्कुराने की तरफ़ से
    से आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    Sanjay Bhaskar
    Blog link :-
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  46. स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो
    bahut hi behtar.Badhai!!

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  47. काँटों को हंस कर स्वीकारो
    दूजे का न ताज निहारो

    इतने बढ़िया और खूबसूरत विचारों से सजी ग़ज़ल इतनी देर से पढ़ पाया ..बहुत खेद हो रहा है ..आपके लिए बस इतना कहूँगा लाज़वाब..ना तो शब्द कठिन और ना भाव सब के दिल को जीतने वाले सुंदर ग़ज़ल है आपकी इस प्रसस्तुतिकरण में..धन्यवाद जी..

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  48. आपकी ग़ज़लों में मुझे कबीर का फक्कडपन नज़र आता है,
    चाहे इससे ऊपर वाली ग़ज़ल के एक शेर से 'ढाई अक्षर प्रेम का' वाला दोहा याद आना हो या इस ग़ज़ल के शीर्षक और एक शेर से 'जेते पाऊं पसारिये' हो.
    आपके इस फक्कडपन को सलाम, और सलाम दुनिया को किसी दूसरे ही dimention से देखने का.
    --

    "स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो"


    अपनी रूहों का सफ़र करके देखा ही नहीं,
    और बस कहते रहे तुम देखो दुनिया घूमकर....
    Awesome !!

    हार गये तो कल जीतोगे
    मन से अपने तुम न हारो

    मन के हारे हार है, एक survey याद हो आया जिसमें कहा गया है की रोज़ उठकर अपन को शीशे में देखकर अपनी तारीफ़ करो, एक दिन खुद अच्छे हो जाओगे, Self Motivation is Best Motivation.

    एक बार फ़िर धांसू ग़ज़ल.

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  49. स्वर्ग बनाना है जो घर को
    अपना आँगन आप बुहारो ...
    Waise harek pankti dohrayi jaa sakti hai!

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आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है