स्वप्न मेरे: साए में संगीन के फूले फले

गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009

साए में संगीन के फूले फले

आज से पूरे एक सप्ताह के लिए छुट्टी ले रहा हूँ, दुबई की भागमभाग जिंदगी से दूर वतन की खुशबू के बीच, दिल्ली की सर्दी का आनंद लेने, हो सका तो देहरादून गौतम जी से मुलाक़ात करने ..........

जाते जाते पेश है एक ग़ज़ल, प्रकाश बादल जी के कहे अनुसार मीटर की परवाह किए बगैर, अच्छी बुरी तो आप ही जाने........

अब नही उठते हैं दिल में ज़लज़ले
पस्त हो गए हमारे होंसले

लाल पत्ते, लाल बाली गेहूं की
साए में संगीन के फूले फले

मिल गयी है न्याय की कुर्सी उसे
कर रहा अपने हक़ में फैंसले

थक गया पर साथ चलता रहूँगा
दूर तक जो साथ तू मेरे चले

रात गयी चाँद क्यों छिपता नही
सोच रहा सूरज पीपल तले

याद माँ की आ गयी विदेश में
दफअतन आँख से आंसू ढले

छाछ भी पीते हैं फूंक मार कर
दूध से हैं होठ जिन के जले

जिंदगी भर लौट कर न जाऊँगा
आज मेरा रास्ता बस रोक ले

गोलियों की बात ही समझेगे वो
गोलियों से कर रहे जो फैंसले

रेत की दीवार से ढह जायेंगे
जिस्म जिनके हो गए खोखले

30 टिप्‍पणियां:

  1. बहोत ही बढ़िया लिखा है आपने दिगंबर साहब
    बहोत बढ़िया अपने देश आरहे हो ढेरो बधाई और स्वागत है आपका..

    अर्श

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  2. मिल गयी है न्याय की कुर्सी उसे
    कर रहा अपने हक़ में फैंसले |
    -----------

    ये वाली पंक्ति वाकई बहुत अच्छी लगी.......

    हमारे ब्लॉग पर आमंत्रित हैं आप !!

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  3. "मिल गयी है न्याय की कुर्सी उसे
    कर रहा अपने हक़ में फैंसले"

    "रेत की दीवार से ढह जायेंगे
    जिस्म जिनके हो गए खोखले"
    बहुत हि उम्दा..........भई क्या कहने!
    अगर हो सके तो दफअतनशब्द का अर्थ बतलाने का कष्ट् करें.

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  4. वाह क्या बात है‍। कितना सुन्दर लिखा है।
    याद माँ की आ गयी विदेश में
    दफअतन आँख से आंसू ढले

    रेत की दीवार से ढह जायेंगे
    जिस्म जिनके हो गए खोखले

    बहुत ही उम्दा।

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  5. जिंदगी भर लौट कर न जाऊँगा
    आज मेरा रास्ता बस रोक ले

    बहुत बढ़िया एक एक पंक्ति पर यह विशेष रूप से पसंद आई ..चलिए अब अपनी छुट्टियाँ एन्जॉय करे खूब :)

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  6. जिंदगी भर लौट कर न जाऊँगा
    आज मेरा रास्ता बस रोक ले

    bahut khoob

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  7. 'याद माँ की आ गयी विदेश में
    दफअतन आँख से आंसू ढले '
    इतना ही बस घर की याद दिला गया!
    ' बहुत ही भावपूरण ग़ज़ल है..
    सभी शेर कमाल के हैं.

    [यहाँ तो सुबह से सूरज नहीं निकला , शायद दुबई में भी इतनी ही सर्दी है..२० डिग्री तापमान है यहाँ आज--
    दिल्ली में भी ऐसा ही होगा ज्यादा नहीं-
    आप की यात्रा सफल हो.
    शुभकामनायें ]

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  8. पधारिये...आपका स्वागत है... लाजवाब रचना. घणी बधाई.

    रामराम.

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  9. bahut sundar digambar ji bahut hi achchi. badhaai.

    गोलियों की बात ही समझेगे वो
    गोलियों से कर रहे जो फैंसले
    wah..............

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  10. वाह !!! लाजवाब.....हरेक शेर उम्दा,भावभरी .....बहुत बहुत सुंदर ग़ज़ल लिखी आपने......पढ़कर आनंद आ गया.बहुत बहुत बधाई.

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  11. Nice poem....
    थक गया पर साथ चलता रहूँगा
    दूर तक जो साथ तू मेरे चले
    Bashi

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  12. Diganber ji bhot acchi rachna .... yun to her sher lajwab hai pr ye accha lga...

    गोलियों की बात ही समझेगे वो
    गोलियों से कर रहे जो फैंसले

    vatan mubarak ...! Gautam ji se hmara bhi namaskar kahiyega ...!!

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  13. क्या खूब दिगम्बर जी...क्या खूब...चूंकि मीटर की बात पे पहले ही आपने ने उद्‍घोषणा कर दी तो उस बाबत कोई टिप्पणी नहीं...दूसरा शेर बेहद भाया

    और प्रतिक्षा कर रहा हूँ आपके फोन की

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  14. "याद माँ की आ गई 'परदेस' में ,
    दफअतन फिर आँख से आंसू ढले "

    वाह जनाब !
    बहुत ही खूबसूरत और भावपूर्ण
    ग़ज़ल कही है आपने ........
    हर शेर ख़ुद कुछ कहता है ....
    बधाई . . . . . . .
    ---मुफलिस---

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  15. जिंदगी भर लौट कर न जाऊँगा
    आज मेरा रास्ता बस रोक ले
    सच कहू तो इन्ही पंक्तियों में कविता का सार है.
    मुझे तो एसा लगा. दूसरे जो जाने...
    बहुत खूब लिखते है आप..
    मेरे ब्लॉग पर भी आकर कुछ सीख देने का समय निकालेंगे तो
    अहोभाग्य होगा मेरा.

    जवाब देंहटाएं
  16. जिंदगी भर लौट कर न जाऊँगा
    आज मेरा रास्ता बस रोक ले
    सच कहू तो इन्ही पंक्तियों में कविता का सार है.
    मुझे तो एसा लगा. दूसरे जो जाने...
    बहुत खूब लिखते है आप..
    मेरे ब्लॉग पर भी आकर कुछ सीख देने का समय निकालेंगे तो
    अहोभाग्य होगा मेरा.

    जवाब देंहटाएं
  17. "थक गया पर साथ चलता रहूँगा
    दूर तक जो साथ तू मेरे चले"

    लाजवाब लिखा है आपने,
    हर पंक्ति में बहुत ही गहराई है,
    बहुत खूब रचना लिखी है आपने...

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  18. मिल गयी है न्याय की कुर्सी उसे
    कर रहा अपने हक़ में फैंसले

    बहुत खूबसूरत

    मेरा मुंसिफ ही मेरा कातिल है
    मेरे हक में क्या फिअसला देगा

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  19. 'थक गया पर साथ चलता रहूँगा
    दूर तक जो साथ तू मेरे चले'
    -' एकला चलो ' का विरोधी संदेश. सुंदर रचना के लिए साधुवाद.

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  20. बहुत सुंदर रचना .
    बधाई
    इस ब्लॉग पर एक नजर डालें "दादी माँ की कहानियाँ "
    http://dadimaakikahaniya.blogspot.com/

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  21. जिंदगी भर लौट कर न जाऊँगा
    आज मेरा रास्ता बस रोक ले .

    bahut hi sundar saahab,des or pardes ke beech ke dwand ko kitne sundar shabd diye hain aapne.

    aapka yah sher to ham jaise pardes vaasiyon ke liye diary men note karne yogya hai.

    bahut bahut dhanywaad.

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  22. छुट्टियों का आनंद लीजिये. पता लगा है कि गौतम से मुलाक़ात हो चुकी है, बधाई!

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  23. दिगंबर जी ,
    वैसे तो पूरी गजल ही बहत भावपूर्ण है लेकिन ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी हैं .
    गोलियों की बात ही समझेगे वो
    गोलियों से कर रहे जो फैंसले

    रेत की दीवार से ढह जायेंगे
    जिस्म जिनके हो गए खोखले .........
    बधाई .
    हेमंत कुमार

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  24. थक गया पर साथ चलता रहूँगा
    दूर तक जो साथ तू मेरे चले

    दिगंबर भाई...आप के ब्लॉग पर देर से आने की माफ़ी मांगता हूँ....नुक्सान इस से मुझे ही हुआ है...इतनी अच्छी ग़ज़ल पढने से रह गया इतने दिनों तक....
    उम्मीद है आपकी छुट्टियाँ मजे से गुजरी होंगी...गौतम जी से हुई मुलाकात के बारे में जरूर बतईयेगा...वो भी ग़ज़ब के शायर हैं...
    नीरज

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  25. याद माँ की आ गयी विदेश में
    दफअतन आँख से आंसू ढले

    Bahut khub.
    Har pankti asar chodti hai.

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  26. वत्स साहब
    दफतन का मतलब है "अचानक, यकबयक"

    कहीं आप मेरी खिचाई तो नही कर रहे, चलें कोई बात नही या आपका हक़ है

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  27. अब नही उठते हैं दिल में ज़लज़ले
    पस्त हो गए हमारे होंसले

    शानदार गजल आपने लिखा है पढ़कर काफी प्रसन्नता हुई धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  28. कितना कुछ लिखते हैं आप और सभी एक से बढ़कर एक... काफी सारी आज़ ही पढ़ डाली...

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